धर्म अध्यात्म : सिद्ध योग में महादेव के रूद्राभिषेक से मिलती है सुख-समृद्धि

-नागपंचमी पर पूजा करने से पूरे साल सांप-बिच्छू के काटने का नहीं रहता भय

रांची: शुक्रवार को सावन शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि है। इस तिथि को नागपंचमी भी कहा जाता है। नागदेव की पूजा-अर्चना का विशेष दिन। नाग पंचमी शुक्रवार को दोपहर 1.47 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागदेव की पूजा-अर्चना करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। वहीं, आज के दिन महादेव के रुद्राभिषेक की भी प्रधानता है। महादेव की कृपा से सर्वमंगल की पूर्ति होती है। ¨हदू धर्म में नाग को देवतुल्य माना गया है। नाग भगवान महादेव को विशेष प्रिय है। यही कारण है कि नाग देव महादेव के गले में विराजमान रहते हैं। पंडित बिपिन पांडेय के अनुसार नागपंचमी के दिन महादेव और नागदेव की पूजा से कालसर्प दोष से तो मुक्ति मिलती ही है सांप काटने का अनावश्यक भय भी समाप्त हो जाता है। महादेव की कृपा से विषैले जीव-जन्तु कभी नुकसान नहीं पहुंचाते। वहीं, विधि-विधान से पूजा करने से घर में शांति व समृद्धि आती है।

कुल देवता के रूप में भी पूजा

देश के कई हिस्से में नागदेव को कुलदेवता के रूप में पूजा जाता है। यह भी मान्यता है कि धरती का भार नागदेव के फन पर टिका है। पंडित बिपिन पांडेय कहते हैं सनातन संस्कृति में प्रचलित मान्यता के अनुसार धरती पर बड़ी संख्या में विषैले जीव-जन्तु हैं। नागदेव इन विषैले जीव जन्तु से हमारी रक्षा करते हैं। नागदेव की असीम कृपा के कारण ही देवता के रूप में पूजा की जाती है।

नाग-नागिन का चित्र

नागपंचमी पर नागदेव की पूजा अर्चना के बाद घर के प्रवेश द्वार पर नाग-नागिन का चित्र बनाने की भी प्रथा है। वहीं, नागदेव जिनके कुलदेवता हैं वे आज की रात विशेष पूजन करते हैं। घर में नागदेव की मूर्ति स्थापित कर पूजा करते हैं। पूजा स्थल पर हल्दी और अर्पण का छिड़काव किया जाता है।

सिद्ध योग में पूजा

पंडित बिपिन पांडेय के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष गुरुवार को दोपहर 3.33 बजे आरंभ हो जायेगा जो कि शुक्रवार को दोपहर 1.47 बजे तक रहेगा। सिद्ध योग प्रात:काल से 11.37 बजे तक रहेगा। यह समय पूजा के लिए विशेष उपयुक्त होगा। हालांकि, दोपहर 1.47 बजे तक पूजा कर सकते हैं।