RANCHI:राज्य में टेरर फंडिंग मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के अनुसंधान में रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी का काला खेल खुलकर सामने आ गया है। कम्पनी का माओवादी के साथ सीधा कनेक्शन है। एनआईए ने कंपनी के कर्मी गिरिडीह के सरिया थाना क्षेत्र के केशरवानी गांव निवासी मनोज कुमार को गिरफ्तार करने के बाद कम्पनी के दफ्तर और अन्य ठिकानों पर रेड मारी है। मनोज की गिरफ्तारी के बाद छानबीन में कंपनी की गतिविधियां भी जांच के घेरे में आई हैं। टेरर फंडिंग में कंपनी का कनेक्शन मिलने के बाद ही मंगलवार को एनआइए की टीम रांची में कचहरी रोड के पंचवटी प्लाजा स्थित रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी के दफ्तर पहुंची थी।

एनआईए ने जारी किया बयान

एनआइए ने छापेमारी के दूसरे दिन जारी बयान में बताया कि छापेमारी के दौरान कंपनी के दफ्तर से बहुत सारे संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं। इनमें कैश बुक और कई बैंक खाते भी शामिल हैं। कम्पनी के संचालक सारी जिम्मेदारी अपने कर्मी मनोज पर डालकर निकलने की फिराक में हैं, लेकिन एनआईए के तेजतर्रार अफसर सच्चाई की जड़ खोद रहे हैं।

दो साल पहले मनोज हुआ अरेस्ट, कम्पनी रडार पर

एनआइए ने जारी बयान में बताया है कि गिरिडीह जिले के डुमरी थाना क्षेत्र से 21 जनवरी 2018 को मनोज कुमार को छह लाख रुपये व संदिग्ध दस्तावेज के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में डुमरी थाने में 22 जनवरी 2018 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। तब झारखंड पुलिस को छानबीन में पता चला था कि मनोज कुमार के पास से बरामद उक्त राशि ठेकेदारों से माओवादियों के नाम पर उठाई गई लेवी से संबंधित थी। मनोज ने स्वीकार किया था कि वह माओवादियों के रिजनल कमेटी सदस्य कृष्णा दा उर्फ कृष्णा हांसदा उर्फ अविनाश दा के लिए लेवी वसूलता है।

एनआइए ने जुलाई 2018 में टेकओवर किया था केस

एनआइए ने गिरिडीह के डुमरी थाने में 22 जनवरी को दर्ज टेरर फंडिंग के उक्त मामले को उसी वर्ष 9 जुलाई 2018 को टेकओवर करते हुए केस रजिस्टर्ड किया। इसमें मनोज कुमार के अलावा माओवादी कृष्णा दा उर्फ कृष्णा हांसदा को भी आरोपित बनाते हुए अनुसंधान शुरू किया गया था।

कम्पनी ने पुलिस से छुपाई सच्चाई, करती रही नक्सल प्रभावित इलाके में काम

एनआइए के अनुसंधान में यह खुलासा हुआ है कि मनोज कुमार रामकृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का कर्मचारी था। उसका मूल काम माओवादियों व ठेकेदारों के बीच सेतु का काम करना था। वह माओवादियों के रिजनल कमांडर कृष्णा दा के लिए ठेकेदारों से लेवी वसूलता था। इस बात का खुलासा हुआ है कि उसके पास से बरामद छह लाख रुपये लेवी के थे, जिसे वह माओवादियों को पहुंचाने जा रहा था। यह भी जानकारी मिली है कि माओवादी लेवी के रुपए से हथियार व कारतूस तथा विस्फोटक खरीदते रहे हैं और इसी राशि से अपने संगठन का विस्तार तथा नए कैडर को बहाल करते रहे हैं। इस खुलासे के बाद ही मंगलवार को राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन कंपनी के कचहरी रोड के पंचवटी प्लाजा स्थित दफ्तर में छापेमारी हुई, जहां से कई कैश बुक, कई बैंक खाते व संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए हैं। एनआइए का अनुसंधान अभी जारी है।

कंपनी की दी गई राशि के साथ पकड़ाया था मनोज

जांच में यह बात सामने आयी कि मनोज कुमार जिन छह लाख रुपए के साथ पकड़ा गया था, वह राशि आरके कंस्ट्रक्शन की थी। जांच में यह बात भी आयी कि माओवादी संगठन को करोड़ों की फंडिंग आरके कंस्ट्रक्शन से हुई थी। एनआईए अधिकारियों के मुताबिक, लेवी की राशि से भाकपा माओवादियों ने हथियार व कारतूस खरीदे हैं, जिनका इस्तेमाल सुरक्षाबलों के खिलाफ किया जा रहा है।

छापेमारी के दौरान क्या-क्या मिले

आरके कंस्ट्रक्शन के कार्यालय में छापेमारी के दौरान एनआईए ने कैश बुक, बैंक खातों की डिटेल्स समेत कई अहम कागजात जब्त किए हैं। एनआईए सभी कागजातों की गहराई से जांच कर रही है। एनआईए सूत्रों के मुताबिक, आगे भी जांच में कई तथ्य सामने आ सकते हैं।