रांची: सीसीएल पिपरवार क्षेत्र के बचरा साइडिंग में गुरुवार मध्य रात्रि पेलोडर मशीन व दो हाइवा डंपरों में आगजनी व गोलाबारी की घटना की जिम्मेदारी उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ ने ली है। इधर, घटना की सूचना मिलते ही चतरा एसपी ऋषभ झा शुक्त्रवार को तड़के पिपरवार पहुंचे। उन्होंने पिपरवार की थाना पुलिस के साथ बचरा साइडिंग में घटनास्थल का जायजा लिया और अपराधियों की धरपकड़ के लिए उनके छिपने के संभावित ठिकानों में छापामारी अभियान चलाने का निर्देश दिया। जानकारी के अनुसार टंडवा एसडीपीओ आशुतोष कुमार सत्यम के नेतृत्व में चतरा पुलिस केरेडारी, बुढ़मू, बड़कागांव व बालूमाथ के सीमांत जंगलों में एलआरपी चलाया जा रहा है। इस संबंध में चतरा एसपी ने कहा चतरा पुलिस जिले के सीमांत क्षेत्रों में उग्रवादी संगठनों के खिलाफ लगातार उनके विरुद्ध अभियान चलाकर धर-पकड़ और कुर्की जैसी कार्रवाई कर रही है। इससे वे भयभीत हैं और अपनी उपस्थित दर्शाने के लिए इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। हम इसका अनुसंधान कर रहे हैं। घटना में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा।

ट्रांसपोर्टिग कर्मी दहशत में

पीएलएफआइ उग्रवादियों द्वारा बचरा साइडिंग में घटना को अंजाम देने के बाद यहां कार्यरत सीसीएल व निजी कंपनियों के कर्मियों में दहशत व्याप्त है। दहशत इतना है कि शुक्रवार को मजदूर काम पर आए ही नहीं। इससे दोपहर डेढ़ बजे तक साइडिंग का कामकाज पूरी तरह ठप रहा। इस घटना में उग्रवादी की गोलियों की बौछार के बीच पेलोडर ऑपरेटर जितेंद्र कुमार महतो बाल-बाल बच गया था।

सुरक्षा को लेकर ट्रांसपोर्टिग ठप

बचरा साइडिंग में उग्रवादी घटना के बाद डंपर मालिकों ने सुरक्षा व मुआवजा की मांग को लेकर बीच रोड पर धरने पर बैठ गए हैं। वे पुलिस व प्रशासन से घटना में संलिप्त अपराधकर्मियों की अविलंब गिरफ्तारी व नुकसान के लिए मुआवजा की मांग कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार सुबह 10 बजे से डंपर मालिक विशुझापा के निकट बीच रोड में धरने पर बैठे हुए हैं। बतातें चलें कि गुरुवार को देर रात आठ-दस की संख्या में आए हथियारबंद पीएलएफआइ उग्रवादियों ने टीसीपीएल कंपनी की एक पेलोडर मशीन व दो हाइवा डंपर नंबर जेएच01सीजी 4804 व जेएच01सीके 0304 में आग लगा दी थी। इस दौरान दहशत फैलाने के उद्देश्य से उन्होंने दो बम धमाके किए व कई राउंड गोलिया चलाई थी।

घटना के समय सीआइएसएफ के सशस्त्र बल ड्यूटी पर थे

बचरा साइडिंग में पीएलएफआइ के उग्रवादी जब तांडव मचा रहे थे, उस समय 50 मीटर की दूर पर स्थित दो नंबर कांटाघर में सीआइएसएफ के छह जवान ड्यूटी पर थे। आगजनी व गोलीबारी की आवाज सुनने के बाद भी सीआइएसएफ जवानों ने कोई एक्शन नहीं लिया। बताया जाता है कि ड्यूटी में तैनात छह जवानों में से तीन जवानों के पास इंसास रायफलें थीं। यदि उन्होंने कांटाघर से फाय¨रग की होती उग्रवादी इतनी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे सकते थे। वहीं, घटनास्थल से महज 100 मीटर की दूरी पर सीआइएसएफ कैंप भी है। वे क्यूआरटी टीम की भी मदद ले सकते थे। सीआइएसएफकर्मियों की क‌र्त्तव्यहीनता आरसीएम साइडिंग में भी देखने को मिली। वहां एक जवान ड्यूटी के दौरान गहरी निंद्रा में खराटे लेता हुआ दिखा, जिसका वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। ज्ञात हो कि एक माह पूर्व भी पिपरवार परियोजना के पांच नंबर कांटाघर में पीएलएफआइ उग्रवादियों ने बम विस्फोट कर तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दिया था। पुलिस अब तक एक भी आरोपित को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।