RANCHI: लॉकडाउन में पेशेंट को हॉस्पिटल ले जाने के लिए कोई साधन नहीं मिल रहा है। वर्क लोड बढ़ जाने की वजह से एंबुलेंस सेवा का लाभ भी मरीज सही तरीके से नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे पेंशेंट जिन्हें रेगुलर चेकअप, डायलिसिस या फिर प्रेगनेंट लेडिज को रुटीन चेकअप के लिए हॉस्पिटल जाना पड़ता है उन्हें भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद होने से यह परेशानी दोगुनी हो गई है। कभी-कभी एक्सीडेंट वाले केस में भी एंबुलेंस नहीं पहुंचने से काफी दिक्कत हो रही है। 108 एंबुलेंस पर भी वर्क लोड काफी बढ़ गया है। साथ ही साथ कोविड-19 के लिए पांच एंबुलेंस रिजर्व रखने की वजह से यह समस्या और जटिल हो गई है।

26 एंबुलेंस, कॉल 150

सिटी में कुल 31 एंबुलेंस हैं। इसमें से पांच को कोविड-19 के पेशेंट के लिए रिजर्व रखा गया है। ये एंबुलेंस सिर्फ कोरोना सस्पेक्टेड और कोरोना पॉजिटिव मरीजों को ही अपनी सेवा दे रहे हैं। सिर्फ 26 एंबुलेंस से ही सिटी संभालने का प्रयास हो रहा है, जबकि हर दिन एंबुलेंस के लिए 130 से 150 कॉल आते हैं। इनमें से 70 से 80 कॉल ही हैंडल हो पाता है। एक एंबुलेंस दो से तीन कॉल अटैंड कर रहा है। ऐसे में बाकी के पेंशेंट को बहुत ही ज्यादा परेशानी हो रही है। प्राइवेट हॉस्पिटल बंद होने की वजह से एंबुलेंस सेवा भी बंद है।

सस्पेक्टेड को नहीं मिलेगी सेवा

लॉकडाउन के दौरान 108 एंबुलेंस सर्विस सिटी में कैसी सेवा दे रही है, यह जानने के लिए हमने इस नंबर पर कॉल किया। आइए जानते हैं टेलीकॉलर के साथ हुई बातचीत के अंश

रिपोर्टर- हैलोमैं पंडरा से बोल रहा हूं। यहां एक पेशेंट बेहोश हो गया है। उसे हॉस्पिटल ले जाना है। प्लीज जल्दी से एंबुलेंस भेज दीजिए।

टेलीकॉलर : क्या हुआ है, मरीज को।

रिपोर्टर : मरीज को बुखार था और वह बेहोश हो गया है। उसे हॉस्पिटल पहुंचाना जरूरी है।

टेलीकॉलर : मरीज को और भी कोई परेशानी जैसे सर्दी, जुकाम या सांस लेने में तकलीफ हो रही थी।

रिपोर्टर : हां ऐसी समस्या तो हुई थी। उसके घरवाले बता रहे हैं कि वह कुछ दिनों से बीमार था।

टेलीकॉलर : उसकी कोरोना की जांच कराई गई है क्या।

रिपोर्टर : नहीं।

टेलीकॉलर : तो हम आपको एंबुलेंस की सुविधा नहीं दे सकते है क्यों कि सस्पेक्टेड को एबुंलेंस की सुविधा नहीं दी जा रही है। पहले नजदीकी हॉस्पिटल में कोरोना टेस्ट कराईए।

रिपोर्टर : इसके लिए भी तो रिम्स ले जाना होगा, कैसे ले जाएंगे?

टेलीकॉलर : आप अपनी निजी गाड़ी में ले जाइए।

केस-1

पिताजी को बाइक में लेकर पहुंचा हॉस्पिटल

बडंगाई के रहनेवाले सोहन गुप्ता अपने पिताजी का इलाज कराने बाइक में लेकर गया। सोहन की मां भी साथ थी उसने अपने पति को पकड़ रखा था। सोहन ने बताया कि उसके पिता को कॉर्डियेक अटैक आया था। इसके बाद एंबुलेंस के लिए काफी इंतजार किया। नहीं आने पर खुद से ही बाइक पर लेकर चले गए।

केस-2

पुलिस की गाड़ी से पहुंचाया

हिंदपीढ़ी के रहने वाले मो सद्याम की पत्नी की डिलीवरी होनेवाली थी, लेकिन समय पर एंबुलेंस नहीं मिला। सद्याम के पास दूसरा कोई साधन नहीं था। अंत में पुलिस की गाड़ी में उसे और उनकी वाइफ को हॉस्पिटल पहुंचाया गया।

लॉकडाउन में कॉल पहले से डबल हो गई है। सभी को ट्रीट करने का प्रयास रहता है। एक एंबुलेंस हर दिन 3 से 4 केस हैंडल कर रहा है। दूसरी सुविधा नहीं होने के कारण ज्यादातर लोग अब 108 एंबुलेंस सर्विस पर ही डिपेंड हो गए हैं। वैसे इन दिनों फेक कॉल भी ज्यादा आ रहे हैं। अच्छी तरह से जांच करने के बाद ही ड्राइवर पेंशेंट को लेने निकलता है।

- धनेश्वर तिर्की, ऑपरेशन हेड, जिकित्जा प्रा.लि।