RANCHI: एक ओर जहां सबकुछ डिजिटल हो रहा है। कैश लेनदेन के साथ पेपरलेस का दौर चल पड़ा है। वहीं, झारखंड के पोस्टऑफिस पेपरलेस होने की जगह चेकबुकलेस हो गए हैं। इसका कारण डाकघरों को चेकबुक की सप्लाई नहीं होना है। चीफ पोस्टमास्टर जनरल शशि शालिनी कुजूर का कहना है कि नासिक स्थित प्रिंटिंग प्रेस को कई बार कहा गया है सप्लाई करने के लिए, लेकिन पर्याप्त मात्रा में सप्लाई नहीं मिल पा रही है। इस कारण यह समस्या उत्पन्न हो गई है। इस संबंध में लोगों ने उनसे कई बार शिकायतें की हैं और पोस्टऑफिस द्वारा भी कई बार रिक्विजिशन भेजा गया है लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है। विदित हो कि आज जब लेनदेन तेजी से डिजिटल माध्यम में बदलता जा रहा है। ऐसी स्थिति में पोस्ट ऑफिस का काम कैश लेनदेन से हो रहा है।

खाताधारकों की बढ़ी संख्या

उल्लेखनीय है कि पोस्टऑफिस के ग्राहकों की संख्या में अचानक तेजी आई है। ऐसे में लोगों को सुविधाओं की भी जरूरत बढ़ रही है लेकिन चेकबुक नहीं मिल पाने से कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

सरकारी योजनाओं को झटका

भारत सरकार की कई योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए डिजिटलाइजेशन के तेज प्रयास चल रहे हैं, लेकिन ऐसे में पोस्ट ऑफि स का डिजिटल नहीं होना योजनाओं को तेज झटका है।

साइबर फ्राड ने बढ़ाई पोस्टऑफिस की लोकप्रियता

विदित हो कि बैंकों से धोखाधड़ी और साइबर फ्राड के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब लोग पोस्ट ऑफि स की तरफ रुख कर रहे हैं। ऐसे में चेकबुक जैसे सामान्य आवश्यकता का नदारद होना सरकारी उपक्रम की लोकप्रियताओं को कम कर रहा है।

आइपीपीबी में आनलाइन ट्रांजेक्शन

हाल में शुरू हुए इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंकिंग के कार्यो के लिए आनलाइन सुविधा दी गयी है, जिसे जल्द ही पोस्टऑफिस सेविंग्स बैंक के साथ जोड़ने की प्रक्रिया की जा रही है। इसके जुड़ जाने से लोगों को काफी सुविधाएं प्राप्त हो सकती हैं।

वर्जन

पहले लोग विड्राल स्लीप के माध्यम से रुपए निकालते थे, लेकिन अब चेकबुक की डिमांड तेज हो गई है। इधर, नासिक से चेकबुक की सप्लाई हो ही नहीं रही है। इस कारण चेकबुक का भारी अभाव हो गया है। प्रिंटिंग प्रेस वालों को लगातार रिक्विजिशन भेजा जा रहा है।

शशि शालिनी कुजूर, चीफ पोस्टमास्टर जनरल