RANCHI: राजधानी दिनों दिन कंक्रीट में तब्दील होती जा रही है। नियम-कानून को धत्ता बताकर अपार्टमेंट का धड़ल्ले से निर्माण किया जा रहा है, लेकिन इन इमारतों में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं होने से बिल्डिंग में रहने वाले लोग सुरक्षित नहीं हैं। भले ही अपार्टमेंट कल्चर और कॉमर्शियल बिल्डिंग मिडिल और अपर क्लास की पहली पसंद बन चुकी हों, लेकिन यह भी सच है कि मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में सिमटी जिन्दगी सुरक्षित नहीं है। नगर निगम, आरआरडीए और बिल्डरों के गंठजोड़ ने जिस तरह से एनबीसी यानी नेशनल बिल्डिंग कोड और बिल्डिंग बायलॉज की धज्जियां उड़ाई हैं, उससे साफ है कि थोड़ी सी लापरवाही से लोगों की जान जा सकती है।

आधे कॉम्प्लेक्स बिना फायर एनओसी के

सिटी में आधे कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स ऐसे हैं जिनके पास फायर एनओसी नहीं है और न ही घटनाओं से सबक लेते हुए प्रशासन ने इनपर कार्रवाई की है। अग्निशमन विभाग भी नियमों के बंधन में जकड़ा हुआ है क्योंकि ऐसी इमारतों के पास कार्रवाई करने का अधिकार या तो जिला प्रशासन के पास है या फिर भवन प्राधिकार के पास। मतलब साफ है कि एनओसी देने के लिए भले ही अग्निशमन विभाग अधिकृत हो, लेकिन एनओसी नहीं लेने वालों पर कार्रवा‌ई्र करने का उसे कोई अधिकार नहीं है।

इन बिल्डिंग्स के पास एनओसी नहीं (बॉक्स)

चर्च कॉम्प्लेक्स

क्लब रोड स्थित सिटी सेंटर,

हाई स्ट्रीट मॉल

आईलेक्स

ग्लीट्स

प्रधान टावर

तीरथ मेंशन

कश्मीर वस्त्रालय

फिरायालाल

अपर बाजार के ज्यादातर कॉम्प्लेक्स।

क्या कहता है नियम?

-बिल्डिंगों में दोनों तरफ सीढि़यां होनी चाहिए, ताकि आग लगने या इमरजेंसी की स्थिति में लोगों को निकाला जा सके।

-अपार्टमेंट में आगजनी से निपटने के लिए बिल्डिंग के चारों तरफ 15 फीट का सेटबैक छोड़ना अनिवार्य है।

-अपार्टमेंट में अंडरग्राउंड वाटर और ओवरहेड वाटर टैंक होना अनिवार्य है।

-सभी अपार्टमेंट्स में फायर अलार्म अनिवार्य है, जो धुंआ फैलने की स्थिति में सबको अलर्ट करता है।

-जी प्लस 4 से ऊपर के भवन के लिए कम से कम 30 फीट चौड़ी सड़क होनी चाहिए।

बॉक्स।

क्या है ऑक्यूपेंसी सर्टीफिकेट?

नगर निगम से नक्शा पारित कराया जाता है। उसके बाद बिल्डिंग का निर्माण किया जाता है। जब बिल्डिंग बन जाती है तो नगर निगम के इंजीनियर निर्मित बिल्डिंग की जांच करते हैं और यह देखते हैं कि बिल्डिंग का निर्माण नक्शा में गड़बड़ी करके तो नहीं किया गया है। साथ ही इस बात की भी जांच की जाती है कि भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, फायर फाइटिंग सिस्टम, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, तडि़त चालक और पार्किंग आदि की समुचित व्यवस्था है या नहीं। उसके बाद ही नगर निगम की ओर से ऑक्यूपेंसी सर्टीफिकेट दिया जाता है।