-लोगों ने बताई अपने-अपने इलाके की परेशानी

-35-35 लाख की तीन कोल्ड फॉगिंग मशीनें खरीदी

-हर वार्ड के लिए एक हफ्ते बाद का रोस्टर किया था तैयार

रांची। राजधानी में ठंड बढ़ती जा रही है, जिससे कि लोग परेशान हैं। अब लोगों की परेशानी बढ़ाने में मच्छर कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ठंड बढ़ने के बावजूद मच्छर सिटी के लोगों को डंक मार रहे हैं। इतना ही नहीं, मच्छरों के बढ़ने से सिटी के कई इलाकों में लोगों की नींद उड़ गई है। आखिर मच्छरों के काटने से डेंगू के मरीजों के आने का सिलसिला भी जारी है। इसके बावजूद रांची नगर निगम की फॉगिंग मशीनें कहीं दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में सिटी के अलग-अलग इलाकों से लोगों ने अपनी समस्याएं दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के साथ शेयर की।

फॉगिंग के नाम पर आईवॉश

नगर निगम के अधिकारी समीक्षा बैठक करते हैं। बैठक के बाद फॉगिंग कराने और रोस्टर मेंटेन करने का आदेश भी दिया जाता है। इसके कुछ दिनों के बाद ही सारी व्यवस्था पहले की तरह ही हो जाती है। न तो फॉगिंग के लिए गाडि़यां जाती है और न ही छिड़काव कराया जाता है। इससे यह तो साफ है कि अधिकारी भी केवल आईवॉश करने में ही लगे रहते हैं।

हर इलाके में एक जैसे हैं हालात

पॉश एरिया हो या स्लम एरिया हर जगह एक जैसे हालात हैं। मौसम में नमी और क्षेत्र में गंदगी के कारण तेजी से मच्छर पनप रहे हैं। मच्छरों की फौज हर जगह हमला कर रही है। हालात ये है कि सुबह हो शाम घर का दरवाजा खुला रखना आफत मोल लेने जैसा हो गया है। नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के दावों के बावजूद मच्छरों का हमला लोग झेल रहे हैं।

मच्छरों का बढ़ गया रेजिस्टेंट

पहले ठंड सामान्य से अधिक होने के साथ ही मच्छर कम होने लगते थे। लेकिन मच्छरों की रोकथाम के लिए किए जाने वाले तमाम उपाय से उनका रेजिस्टेंट बढ़ गया है। ऐसे में मच्छरों के लिए ठंड भी कोई परेशानी नहीं बन रही। यही वजह है कि सिटी में अब भी मलेरिया-डेंगू का अटैक होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

लोगों ने बताई परेशानी

पहले तो कभी-कभार फॉगिंग की गाड़ी दिख जाती थी। लेकिन जब से नई गाड़ी खरीदी गई है तो ये लोग आते ही नहीं है। अगर गाडि़यां फॉगिंग करने आती तो मच्छरों का इतना आतंक नहीं होता। घर का दरवाजा खुला रखने के लिए भी सोचना पड़ता है।

सुनिता कुमारी

घर में मच्छरों के कारण बैठना भी मुश्किल हो रहा है। हालात यह है कि सभी इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। निगम के लोग केवल दिखावा करते हैं। जबकि सच्चाई तो कुछ और है। आखिर फॉगिंग और छिड़काव के लिए मंगाई गई मशीनें शोपीस के लिए हैं क्या?।

प्रमोद कुमार