रांची (ब्यूरो)। राजधानी में खाद्य पदार्थों में मिलावट का धंधा जोरों पर है, दूसरी तरफ राज्य में मिलावटी खाद्य पदार्थ की जांच करने वाली एकमात्र फूड लेबोरेटरी में सैंपल जांच पर नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फोर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (एनएबीएल) ने रोक लगा दी है। दिसंबर 2020 में ही इस लैब की मान्यता खत्म हो गई थी, जिसे अभी तक एक्रिडेशन नहीं मिला है। इस वजह से झारखंड से कलेक्ट किए जा रहे सैैंपल कोलकाता भेजने पड़ रहे हैैं। नतीजा यह है कि जांच रिपोर्ट आने में 2 महीने से अधिक का समय लग रहा है। रांची सहित राजभर से हर साल 1300 सैंपल जांच के लिए कोलकाता भेजे जा रहे हैैं। सूत्रों का कहना है कि रांची स्थित इस सरकारी लैब को न तो अपडेट किया गया है और न ही मैन पावर है। इस वजह से इस लैब को अभी मान्यता मिल भी नहीं सकती।

जांच पर लगी है रोक

स्टेट फूड लेबोरेटरी को एक्रिडेशन नहीं मिलने के कारण इस लेबोरेटरी में फूड सैंपल की जांच पर रोक लगा दी गई है। निर्धारित प्रविधानों के तहत वर्ष 2011 से ही सभी टेस्टिंग लेबोरेटरी को एक्रिडेशन लेना अनिवार्य है। एनएबीएल तथा एफएसएसएआई से अनुमति लेकर अभी तक रांची स्थित लेबोरेटरी में खाद्य पदार्थों के सैंपल की जांच हो रही थी। दिसंबर 2020 में इसकी अनुमति नहीं मिली। अब इस लैब में खाद्य पदार्थों की लीगल जांच नहीं हो पा रही है। खाद्य सुरक्षा पदाधिकारियों द्वारा जांच के लिए जो सैैंपल लिए जाते हैैं, उन्हें मजबूरी में कोलकाता भेजना पड़ रहा है।

नहीं हो पा रही है लीगल कार्रवाई

झारखंड के फूड लैब को मान्यता नहीं होने के कारण मिलावटखोरों पर कार्यवाही नहीं हो पा रही है। रांची के लैब में जो टेस्ट कराए जा रहे हैैं, वह नॉर्मल सैंपल टेस्ट हैं, जिनकी कानूनी रूप से कोई अहमियत नहीं है। यहां जैसी जांच हो रही है, उसमें यह तो पता चल जा रहा है कि किस प्रोडक्ट में कितनी मिलावट है। लेकिन, अगर किसी भी प्रोडक्ट में मिलावट पाया जाता है और मिलावटखोर पर कानूनी कार्रवाई करनी है तो इसके लिए इस लैब को अधिकार ही नहीं है। कोलकाता के लैब से रिपोर्ट आने में ही बहुत अधिक समय लगता है। स्वास्थ्य विभाग भी इसे लेकर बहुत चिंतित नहीं है। एक साल से अधिक का समय होने वाला है लेकिन इतने महत्वपूर्ण लैब का एक्रिडेशन बहाल नहीं किया गया है।

हर साल भेजे जा रहे 1300 सैंपल

नामकुम के फूड लैब के एक अधिकारी ने बताया कि रांची सहित पूरे झारखंड से 1300 सैंपल कलेक्ट करके कोलकाता भेजे जा रहे हंै। रांची के लैब में जब टेस्ट होता था, तो किसी भी सैंपल की रिपोर्ट 10 दिन में आ जाती थी। लेकिन, कोलकाता के लैब में सैंपल भेजने के कारण 2 से 3 महीने का समय लग रहा है।

मैन पावर की भारी कमी

नामकुम के फूड लेबोरेटरी में 5 करोड़ रुपए से अधिक का इक्विपमेंट स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगा दिया गया है। जांच के लिए हाईटेक इक्विपमेंट्स लगाए गए हैं। लेकिन अब इसकी मान्यता ही खत्म हो गई है। सबसे बड़ी बात है कि इस लैब में मैनपवर की भी काफी कमी है और अभी तक सरकार द्वारा यहां अधिकारियों-कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की गई है।

नामकुम के लैब की मान्यता खत्म हो गई है। इसलिए सैंपल जांच के लिए कोलकाता भेजे जा रहे हैैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मान्यता बहाल करने के लिए मीटिंग हुई है। जल्द ही मान्यता मिल जाएगी। हालांकि, सैंपल कोलकाता भेजने के कारण रिपोर्ट आने में देरी होती है।

चतुर्भुज मीणा, फूड एनालिस्ट, रांची