-नहीं है लाइट की कोई व्यवस्था, हाई मास्ट लाइट लगा था जो वर्षो से जला ही नहीं

-हर रोज हो रही हैं घटनाएं, स्टैंड में ही घूमते हैं अपराधी, चोरी-छिनतई को देते हैं अंजाम

-यात्री शेड में चलता है शराब और जुआ

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राजधानी के आईटीआई बस स्टैंड में लाइट का इंतजाम नहीं है। रांची में चार स्थानों पर बस स्टैंड हैं। कांटाटोली खादगढ़ा, धुर्वा, रेलवे स्टेशन सरकारी बस और आईटीआई बस स्टैंड। तीन स्थानों पर स्थिति ठीक है, लेकिन आईटीआई बस स्टैंड को लावारिस की तरह यूं ही छोड़ दिया गया है। यहां न कोई सुविधा है और न ही सुरक्षा। बस और ऑटो की रौशनी के सहारे रात में यात्री आना-जाना करते हैं। शाम ढलते ही स्टैंड में अंधेरा छा जाता है, हालांकि रात में नौ बजे के बाद आईटीआई बस स्टैंड से बसों का परिचालन बंद करवा दिया जाता है, लेकिन शाम छह से नौ बजे तक यहां की स्थिति बहुत ही खतरनाक होती है।

5 साल से नहीं हाई मास्ट लाइट

करीब छह साल पहले बस स्टैंड के बीचो-बीच एक हाईमास्ट लाइट लगवाया गया था। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह मास्ट लाइट शुरू के छह महीने ठीक जला, उसके बाद आज तक बंद पड़ा है। जब कोई अधिकारी यहां जांच के लिए आने वाले होते हैं तो उससे पहले लाइट ठीक करवा दिया जाता है। लेकिन एक से दो दिन में फिर वही हालत हो जाती है। बस एजेंटों ने बताया कि करीब चार साल पहले कुछ बस एजेंटों ने चंदा कर हाई मास्ट बनवाया था, लेकिन कुछ दिन बाद यहां फिर वही स्थिति हो गई। इसकी रिपेयरिंग के लिए कई बार नगर निगम में शिकायत की गई, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ।

पैसेंजर्स को लगता है डर

बस स्टैंउ में अपराधी छवि वाले लोग घूमते रहते हैं। अक्सर यहां छिनतई और छेड़छाड़ के मामले भी आते रहते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है। आईटीआई बस स्टैंड से लोहरदगा, गुमला, बेडो, ईटकी, नगड़ी आदि के सवारी ज्यादा सफर करते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं काम की वजह से रोज आना-जाना करते हैं। बस एजेंटो ने बताया कि रात के वक्त चोरी की घटनाएं भी होती हैं। बस से भी कई बार सामानों की चोरी कर लेते हैं। लाइट न होने की वजह से उन्हें ढूंढ पाना मुश्किल होता है। वहीं स्टैंड में बना यात्री शेड भी रात के अंधेरे में शराबियों और जुआरियों का अड्डा बन जाता है।

क्या कहते हैं लोग

मैं अक्सर इस स्टैंड से आना-जाना करती हूं। कभी-कभी शाम के वक्त भी सफर करना पड़ता है। शाम को स्टैंड में लाइट नहीं होने से चारो ओर अंधेरा छा जाता है। सात बजे के बाद यहां रुकने में भी डर लगता है।

- अर्चना देवी

लगता ही नहीं यह किसी राजधानी का बस स्टैंड है। शहर नहीं बल्कि किसी गांव के स्टैंड की तरह आईटीआई बस स्टैंड लगता है। यहां किसी चीज की सुविधा नहीं है। दुर्भाग्य है कि स्टैंड में एक लाइट तक की व्यवस्था सरकार नहीं करा रही है।

- अंतेश कुमार

पांच साल से स्टैंड का हाईमास्ट लाइट खराब है। खुद से चंदा करके हमलोगों ने इसे बनवाया था, लेकिन फिर से खराब हो गई। स्टैंड के लोगों ने मिल कर पास में दूसरी लाइट की व्यवस्था कराई थी, लेकिन उसे भी हटवा दिया गया। शाम के वक्त परेशानी बढ़ जाती है।

- सूरज तिर्की

लाइट नहीं होने से दिक्कत तो होती ही है। पैसेंजर्स के साथ-साथ बस ड्राइवर, एजेंट और स्टैंड के अन्य लोगों को भी दिक्कत होती है। शिकायत तो की गई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

- विजय तिर्की