रांची(ब्यूरो)। आज 10 मई है, ये वो तारीख है जिस पर हर हिंदुस्तानी को फख्र होता है। हो भी क्यों नहीं, आखिर इसी दिन अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का बिगुल जो फूंका गया था। जी हां, 10 मई 1857 को क्रांति का बिगुल फूंका गया, जिसे अब क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है। लेकिन राजधानी रांची समेत पूरे राज्य के लिए यह दुर्भाग्य की बात है कि एक अमर शहीद वीर क्रांति को यहां सम्मान देने में हम विफल साबित हो रहे हैंै। राष्ट्रीय युवा शक्ति की ओर से शहीद भगत सिंह की प्रतिमा लगाने का प्रयास एक साल पहले शुरू हुआ जो आज तक पूरा नहीं हो सका है। देश की आजादी में जिस वीर पुरुष ने अपने प्राणों की आहूति दे दी, उसकी प्रतिमा को लगाने के लिए रांची में दो गज जमीन नहीं मिल पा रही है।
कबाड़ में पड़ी है प्रतिमा
राजधानी के मोरहाबादी मैदान में लगने वाली शहीद भगत सिंह की प्रतिमा एक साल से भी अधिक समय से रांची पुलिस लाइन में पड़ी हुई है। प्रशासन के रवैये के कारण इस प्रतिमा को स्थापित नहीं किया जा सका। लोग प्रतिमा को स्थापित करने की मांग करते रहे, लेकिन सिस्टम के अधिकारी गूंगे और बहरे बने रहे। युवा शक्ति राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तम यादव ने कहा कि भारत की आजादी में जिसने अपना सर्वोच्च योगदान दिया, जिस शहीद-ए-आजम का शहादत दिवस 23 मार्च को मनाया जाता है। अपने शहादत दिवस पर भी उनकी प्रतिमा पुलिस लाइन में धूल फांकती रही। भारत माता के वीर सपूत भगत सिंह की प्रतिमा लगाने के लिए जगह नहीं दिया जा रहा है। हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ जाने वाले वीर भगत सिंह की प्रतिमा पुलिस लाइन परिसर में कबाड़ गाडिय़ों के बीच पड़ी हुई है, यह सभी हिंदुस्तानियों के लिए शर्म की बात है।