रांची: राजधानी में वाहनों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है और उससे प्रदूषण लेवल भी बढ़ता जा रहा है। इस बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए परिवहन विभाग ने सभी पेट्रोल पंपों पर प्रदूषण जांच केंद्र (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल, पीयूसी) बनाने का निर्देश दिया था जो धीरे धीरे फाइलों में दफन होता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक मामले की सुनवाई के दौरान यह निर्देश जारी किया गया, जिसके बाद विभाग ने भी सूबे के सभी पेट्रोल पंपों को प्रदूषण जांच केंद्र खोलने का निर्देश दिया था। लॉकडाउन का फायदा उठाकर कई पेट्रोल पंप अभी तक इससे बचते आ रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इस संबंध में सोमवार को तीन पेट्रोल पम्प में रियलिटी चेक किया, जहां प्रदूषण जांच केंद्र का नामोनिशान नहीं मिला।

बहु बजार पेट्रोल पंप

कांटाटोली से स्टेशन रोड जाने वाली सड़क पर बहुबाजार इलाके में पेट्रोल पंप का संचालन किया जा रहा है। यह घना रिहायशी और व्यावसायिक दोनों मिला जुला इलाका है। चौक पर स्थित इस पेट्रोल पम्प में प्रदूषण जांच केंद्र अभी तक नहीं लगाया गया है। इस पम्प में पर्याप्त जगह भी नहीं, जहां जांच केंद्र लगाया जा सके।

प्लाजा चौक पर पेट्रोल पंप

लालपुर चौक से फिरायालाल चौक तक पहुंचने वाले सर्कुलर रोड स्थित पेट्रोल पम्प पर भी अभी तक प्रदूषण जांच केंद्र नहीं लगाया गया है। कर्मियों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण नहीं लग पाया है। शायद जल्दी ही लगा दिया जाएगा।

कचहरी चौक पेट्रोल पंप

कचहरी चौक के समीप स्थित सालों पुराना पेट्रोल पम्प भी बिना प्रदूषण जांच केंद्र के चल रहा है। इस पम्प पर अगर एक साथ 10 चारपहिया वाहन तेल लेने पहुंच जाएं तो सड़क पर जाम लग जाता है। ऐसे में अगर यह प्रदूषण जांच केंद्र खुला तो वाहनों की लंबी कतार लग सकती है, जिसके कारण कचहरी रोड पूरी तरह जाम हो जाएगा।

डंगराटोली चौक के समीप

डंगराटोली चौक से कांटाटोली जाने वाली सड़क पर संचालित होने वाले पेट्रोल पंप में पर्याप्त जगह है, लेकिन वहां अभी तक प्रदूषण जांच सेंटर नहीं लगाया गया है। जांच केन्द्र नहीं होने के कारण इस रास्ते पर चलने वाले भारी वाहनों की प्रदूषण जांच नहीं हो पाती है।

पंप का लाइसेंस तक रद्द करने की बात

परिवहन विभाग द्वारा जारी निर्देश में स्पष्ट कहा गया था कि अगर प्रदूषण जांच केंद्र नहीं खोले गए तो पंप का लाइसेंस रद्द किया जाएगा। लेकिन हकीकत यह है कि अभी भी राजधानी के कई पेट्रोल पंप संचालकों ने इसमें कम दिलचस्पी दिखाई है। इन लोगों को ना तो शहर की आबोहवा की चिंता है ना ही माननीय न्यायालय के आदेश की फिक्र है।

5 कंपनियों के कुल 129 पेट्रोल पंप

राजधानी में बढ़ते प्रदूषण का एक प्रमुख कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं है। हालांकि, प्रदूषण को कम करने के लिए राज्य सरकार कई स्तर पर काम कर रही है। लेकिन फिर भी प्रदूषण पर नियंत्रण संभव नहीं हो पा रहा। राजधानी में 129 पेट्रोल पंपों में अलग-अलग पांच कंपनियों के पेट्रोल पंप हैं, जिसमें इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम, एस्सार और रिलायंस हैं। अगर इन पेट्रोल पंप में प्रदूषण जांच केंद्र खुल जाते हैं तो लोगों को कम दर पर ज्यादा सुविधाएं भी मिलेंगी और पेट्रोल लेने के लिए नियमित आने वाले वाहनों को भी प्रदूषण स्तर पता चलता रहेगा। लेकिन इनके पंपों में पीयूसी नहीं होने से शहर में प्राइवेट प्रदूषण जांच केंद्र गली-गली में खुल रहे हैं जहां खुलेआम बिना जांच के रिपोर्ट दे दिए जाते हैं।

क्यों जरूरी है प्रदूषण जांच केंद्र

प्राइवेट केंद्र वाहन संचालकों से सरकारी रेट से ज्यादा राशि वसूलते हैं। वहीं जांच केन्द्र की संख्या कम रहने के कारण वाहन चालकों को प्रदूषण प्रमाणपत्र प्राप्त करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। प्रमाणपत्र नहीं होने की वजह से वाहन चालकों से यातायात पुलिस जमकर जुर्माना भी वसूल करती है। पेट्रोल पंपों पर जांच केन्द्र खुल जाने से सरकारी दर ही इसका प्रमाण पत्र लोगों को उपलब्ध हो जाएगा, वहीं प्राइवेट केंद्रों की मनमानी को भी रोका जा सकेगा। लेकिन कई माह गुजर जाने के बाद भी इसे लेकर कोई पहल नहीं की जा सकी है।

80 ने दिया आवेदन, 30 में खुला

डीटीओ आफिस से मिली जानकारी के विभाग की तरफ से हर पेट्रोल पंप पर केंद्र खोलने का सख्त निर्देश दिया गया है। जिला परिवहन कार्यालय ने सभी पेट्रोल पंपों को लाइसेंस लेने के लिए पत्र भी लिखा है। अबतक कुल 129 में से 80 पंप संचालकों ने जांच केंद्र खोलने का आवेदन मांगा है। जबकि करीब 30 पंपों पर यह केंद्र खोला जा चुका है। साथ ही विभागीय स्तर पर इसकी कड़ी मॉनिटरिंग की जा रही है। जल्द ही जहां पीयूसी नहीं खोला जाएगा, उनका लाइसेंस रिन्यूअल नहीं किया जाएगा। इससे तेल कंपनियां संबंधित पंपों को तेल आपूर्ति नहीं कर पाएंगी।