RANCHI:राजधानी में शराब दुकान वालों की मनमानी रुकने का नाम नहीं ले रही है। उत्पाद विभाग ने शराब की जो कीमत तय की है, उससे अधिक दाम पर शराब की बिक्त्री दुकानदार कर रहे हैं। दुकानदार उत्पाद विभाग के नियम को भी नहीं मान रहे हैं। नए उत्पाद आयुक्त अमित कुमार ने सभी खुदरा दुकानदारों को निर्देश दिया है कि उनके यहां जो पुराना डिस्पले बोर्ड है, जिसमें प्राइस लिस्ट रहता है उसको हटाकर नया डिस्प्ले बोर्ड लगाएं। इसके बावजूद शराब दुकानदार नया डिस्प्ले बोर्ड नहीं लगा रहे हैं और तय दर से अधिक पैसे वसूल रहे हैं।

सभी जगह अधिक वसूली

अंग्रेजी हो या फिर देसी शराब, सभी दुकानों में प्रिंट रेट से दस से बीस रुपए अधिक दर पर बेची जा रही है। साथ ही कई शराब की दुकानों पर रेट लिस्ट भी नहीं लगी है। वहीं मिल रही शिकायत के बावजूद पुलिस-प्रशासन व उत्पाद विभाग कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। मेन रोड निवासी अभिषेक राव का कहना है कि उन्होंने बाजार में एक अंग्रेजी शराब दुकान से एक बीयर की बोतल ली तो सेल्समैन द्वारा प्रिंट रेट से 20 रुपए अतिरिक्त लिए गए। विरोध करने पर वह झगड़ा करने लगा।

रेवेन्यू बढ़ाने को खोली दुकान

लॉकडाउन के बाद राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार ने शराब की दुकानें तो खोल दीं, लेकिन ठेकेदार दुकान चला नहीं पाए। इसके बाद कुछ दिन दुकानें बंद रहीं, फिर राजस्व बढ़ाने के फेर में दुकानें खोली गईं। हालात ऐसे हैं कि शराब दुकानों में अधिक दाम पर शराब बेची जा रही है।

300 ने सरेंडर किया लाइसेंस

कोरोना पेंडेमिक का असर भी झारखंड के शराब कारोबारियों पर दिखा है। आलम ये है कि स्टेट में 1500 शराब कारोबारियों में से 300 ने अपना लाइसेंस सरेंडर कर दिया है। खासकर छोटे कारोबारी अब अपनी शराब दुकान का लाइसेंस रिन्यू कराने के बजाय दुकान बंद करना ही सही समझ रहे हैं। कारोबारियों ने बताया कि एक तो कोरोना में शराब की बिक्री काफी कम हो गई है। वहीं, सरकार द्वारा लगातार हर माह कर की वसूली करना सबसे बड़ी समस्या हो गई है। वहीं, कोरोना सेस तो लगाया गया, लेकिन हाल ही में इसे हटा भी लिया गया। नतीजन, शराब का कारोबार करना अब काफी महंगा साबित होने लगा है।

ऑनलाइन बिक्री भी ध्वस्त

शराब व्यवसायियों ने बताया कि शराब ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन बेचने का भी फरमान जारी किया गया था। लेकिन इसमें इतनी समस्या आई कि इसे चला पाना मुश्किल हो गया। ऑनलाइन शराब बेचने काम का कई कंपनियों द्वारा किया जाता था, जो शराब तो ले जाते थे, लेकिन समय पर पेमेंट नहीं होने से परेशानी होने लगी। इससे लाखों रुपए भी बाजार में फंस गए। कोविड काल में ऐसी समस्या से कारोबारियों की कमर टूट गई। शराब व्यवसायी संघ के अध्यक्ष सुबोध जायसवाल ने बताया कि सरकार ने जो कोरोना सेस लगाया उससे व्यवसायियों को कोई लाभ नहीं मिला। हटाने के बाद भी कोई राहत नहीं मिल सकी।