- प्राइवेट एंबुलेंस वाले उतरे मनमानी पर, कोई लगाम नहीं

- हटिया स्टेशन से सदर का भाड़ा 4000 लिया एंबुलेंस वाले ने

- आपदा को अवसर में बदल दिया चालकों ने, आम आदमी है हलकान

राज्य सरकार ने सभी प्रकार के एंबुलेंस के लिए रेट तय कर दिया है। लेकिन, रेट चार्ट जारी होने के 48 घंटे के भीतर ही अनगिनत लोगों से एंबुलेंस वालों ने मनमाना किराया वसूल लिया। रांची में अपने मरीजों को घर से हॉस्पिटल शिफ्ट कराने वाले लोग जब एंबुलेंस चालकों से बात कर रहे हैं, तो उन्हें सरकारी रेट से चौगुना किराया देने को कहा जा रहा है। सिटी में हर रोज औसतन करीब 400 लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाने की जरूरत पड़ रही है। इसमें ज्यादातर वैसे मरीज हैं, जिन्हें घर से अस्पताल ले जाने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। इसे लेकर एंबुलेंस वाले मनमाना चार्ज वसूलने में जुटे हैं।

क्या है सरकारी रेट

राज्य के स्वास्थ्य सचिव केके सोन ने 13 अप्रैल की रात को एक आदेश जारी किया था, जो 14 अप्रैल को वाट्सएप के माध्यम से लोगों को मिला। इसके प्रभावी होने के बाद लगातार शिकायतें आने लगीं कि इसे कोई मान नहीं रहा है। दरअसल, स्वास्थ्य सचिव ने प्राइवेट एंबुलेंस वालों के लिए प्रथम 10 किलोमीटर का किराया 500 रुपए निर्धारित किया था। इसके अलावा वेंटिलेटर सपोर्ट वाले एंबुलेंस के लिए प्रथम 10 किलोमीटर का किराया 600 रुपए तय किया गया था। इसके बाद के प्रति किलोमीटर का किराया क्रमश: 12 और 14 रुपए तय किया गया है। यानी अगर शहर में किसी को एंबुलेंस से हॉस्पिटल शिफ्ट किया जाता है, तो हजार रुपए का भुगतान करना होगा। हालांकि, पीपीई किट के लिए 500 रुपए और एंबुलेंस को सेनेटाइज करने के लिए 200 रुपए का भुगतान करना होगा। लेकिन, इस तय भाड़े से कहीं अधिक एंबुलेंस संचालक वसूल रहे हैं।

डेड बॉडी के लिए अलग चार्ज

एंबुलेंस संचालक डेड बॉडी को शमशान या कब्रिस्तान ले जाने के लिए भी मनमाना चार्ज वसूल रहे हैं। गुरुवार को ही रिम्स में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। परिजन डेड बॉडी को सिरमटोली कब्रिस्तान ले जाना चाहते थे। परिजन ने एंबुलेंस संचालक से बात की तो एम्बुलेंस संचालक ने कहा कि वहां तक जाने के 10000 रुपए लगेंगे। चूंकि, बाजार में अभी सभी एंबुलेंस संचालक भारी-भरकम चार्ज वसूल रहे हैं, इसलिए किसी के पास कोई ऑपशन भी नहीं है। थक-हार कर लोग एंबुलेंस वालों को मुंहमांगी रकम अदा कर रहे हैं।

कार्रवाई का भय नहीं

एंबुलेंस संचालकों में कार्रवाई का भी कोई भय नहीं है, क्योंकि मरीजों के परिजन इस लूट की कोई रिपोर्ट थाने में दर्ज नहीं करा रहे हैं। अस्पताल पहुंचने के बाद परिजन अपने मरीज के इलाज में जुट जाते हैं। हॉस्पिटल कैंपस में मौजूद मीडिया कर्मियों को परिजन अपनी पीड़ा बता देते हैं, लेकिन उनके पास इतना वक्त नहीं रहता कि वे इसकी विधिवत शिकायत करें। इसका फायदा प्राइवेट एंबुलेंस के संचालक उठा रहे हैं। इन लोगों ने आपदा को अवसर में तब्दील कर दिया है।

केस स्टडी - 1

सिदरौल से सदर का किराया 4 हजार

नामकुम स्थित सिदरौल से सदर हॉस्पिटल ले जाने के लिए विजय ने जब एंबुलेंस चालक शमशाद से बात की, तो उसने 4000 रुपए की मांग की। जब विजय ने बताया कि सरकार ने दस किलोमीटर का किराया 500 रुपए तय किया है, तो एंबुलेंस चालक ने साफ कहा कि यह सरकारी एंबुलेंस का रेट होगा। उसने गाड़ी सेनिटाइजेशन और ऑक्सीजन का हवाला देते हुए कहा कि चार हजार से नीचे में नहीं हो पाएगा। अभी सामान्य मरीज को ही हॉस्पिटल ले जाने का रेट 2500 चल रहा है। इस चालक की बातें सुनने के बाद थक-हार कर परिजनों ने दूसरे एंबुलेंस वाले से बात किया। उसने भी यही रेट बताया।

केस स्टडी - 2

हटिया से सदर पहुंचाने में भी मनमाना किराया

गुरुवार को हटिया निवासी अभिषेक को अपने परिवार के एक सदस्य को सदर ले जाना था। उन्होंने एक एंबुलेंस किया, तो उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। एंबुलेंस (ओमनी वैन) संख्या जेएच 01 बीवाई 1362 के चालक ने उनसे पहले 5000 मांगे, फिर चार हजार में लाकर अस्पताल छोड़ा। अभिषेक ने बताया कि उनके मरीज की स्थिति ठीक नहीं थी। पैसे देखते, तो जान पर आफत बन आती। बहुत ज्यादा देर करने का वक्त नहीं था, इसलिए सरकारी रेट के चक्कर में न पड़कर हमने एंबुलेंस चालक को पूरे पैसे दिए। उन्होंने बताया कि कोई भी एंबुलेंस संचालक इस रेट से नीचे में नहीं मान रहा है।

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किसी भी व्यक्ति से अगर एंबुलेंस संचालक तय रेट से ज्यादा वसूल रहे हैं, तो यह बिल्कुल कानून का उल्लंघन है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। स्वास्थ्य सचिव, झारखंड की ओर से जारी आदेश का अनुपालन किया जाएगा। लोग ऐसी किसी अनियमितता की शिकायत स्थानीय थाने में करें, बिल्कुल कार्रवाई की जाएगी।

उत्कर्ष गुप्ता, एसडीओ सदर, रांची

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