रांची: इन दिनों रांची सहित पूरे राज्य भर में लोग कोरोना महामारी से परेशान हैं। ऐसे समय में हर कोई अपनी तरफ से कुछ न कुछ योगदान करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन रांची की रेडक्रॉस सोसाइटी जो इस समय अहम योगदान दे सकती थी वो अपने सदस्यों और अधिकारियों के साथ आपसी घमासान में जुटी है। मार्च में हीं इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी, रांची की कार्यकारिणी के चार सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। सदस्यों ने ऑफिस बेरर की मनमानी और जिला प्रशासन की कार्रवाई में शिथिलता के कारण इस्तीफा दिया। इनमें कार्यकारिणी के सदस्य डॉ प्रभात कुमार, डॉ अशोक प्रसाद, अतुल गेरा व सुरेश अग्रवाल शामिल हैं। अपनी परेशानियों का उल्लेख करते हुए चारों सदस्यों ने सामूहिक रूप से अपना इस्तीफा रांची के डीसी सह सोसायटी के अध्यक्ष को सौंप दिया है।

लगाया ये आरोप

अपने पत्र में कार्यकारिणी सदस्यों ने कहा है कि पिछले दो सालों में न तो रेडक्रॉस में ओपीडी शुरू की गयी न ही जन औषधि केंद्र खोला गया। यही नहीं, जनहित को लेकर भी सोसायटी गंभीर नहीं है। वित्तीय वर्ष 2006-07 से 2017-18 के बीच सोसायटी द्वारा 74 लाख की वित्तीय अनियमितता की गयी। लेकिन जिला प्रशासन द्वारा इसकी ऑडिट रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। यही नहीं, डॉ सुशील कुमार जो रेडक्रॉस सोसायटी के कर्मचारी हैं, तमाम अनियमितताओं में उनका हाथ है। वो पिछले सात सालों से सोसायटी के सचिव बने हुए हैं। सबसे बड़ी बात कार्यकारिणी को सबकुछ पता है फिर भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है। वहीं पूरी रेडक्रॉस कंट्रोल कर रहे हैं।

सदस्यों की नहीं सुनते

इस्तीफा देने वाले सदस्यों ने कहा है कि कार्यकारिणी की न तो नियमित बैठक होती है, न ही बैठक में सभी सदस्यों की राय ली जाती है। बैठक में दी गयी राय को मिनट्स में शामिल भी नहीं किया जाता है।

अध्यक्ष विहीन भी हो गया है

रांची रेडक्रॉस सोसाइटी वर्तमान दौर में सिर्फ एक टीकाकरण केंद्र बनकर रह गया है। यहां से अधिकतर सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है और अभी हाल में ही रेडक्रॉस सोसाइटी के चेयरमैन पीडी शर्मा का भी निधन हो गया है। इस तरह पहले से ही 4 सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। अब अध्यक्ष का भी देहांत हो गया है। ऐसे में रांची रेडक्रॉस सोसाइटी खुद ही आपसी संघर्षो में उलझ कर रह गई है।

आगे बढ़कर काम करने की जरूरत

रेडक्रॉस सोसाइटी के एक सदस्य ने बताया कि सोसाइटी में अभी बहुत काम करने की जरूरत थी। इस महामारी में जब लोग एक दूसरे को मदद कर रहे हैं तो सोसाइटी के पास बहुत सारी सुविधाएं हैं, जिससे लोगों को मदद की जा सकती है। जिला प्रशासन प्लाच्मा बैंक के लिए जो रिम्स और दूसरे संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रहा है, अगर रेडक्रॉस सोसाइटी में सब कुछ अच्छा रहता तो प्लाज्मा कोऑर्डिनेट कर सकता था। यहां काफी संख्या में मेन पावर है जिनका उपयोग किया जा सकता था। इस सोसाइटी से काफी संख्या में वॉलेंटीयर भी जुड़े हुए हैं, जिनकी मदद इस महामारी में ली जा सकती थी। लेकिन स्थिति यह है कि कई महीने से यहां ब्लड डोनेशन कैंप भी नहीं लगा है। यह सिर्फ आपसी लड़ाई का जगह बनकर रह गया है।