रांची: राजधानी के दूसरे सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल सदर सुपरस्पेशियलिटी में लंबे समय बाद आईसीयू बना दिया गया है, जिसका इस्तेमाल कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए तो कर लिया गया। लेकिन अब यह वार्ड जेनरल मरीजों के लिए भी खाली कर दिया गया है। जहां पर एक साथ दर्जनों मरीजों को लाइफ सपोर्ट सिस्टम की फैसिलिटी दी जा सकती है। लेकिन इन मशीनों को चलाने वाले एक्सपर्ट ही नहीं हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आईसीयू बना दिया, मशीनें भी लगा दी पर इसे चलाएगा कौन?

59 बेड का आईसीयू

हॉस्पिटल के उद्घाटन के बाद भी आजतक आईसीयू की फैसिलिटी मरीजों के लिए नहीं थी। ऐसे में जब कोरोना के गंभीर मरीज बढ़ने लगे तो आनन-फानन में आईसीयू बना दिया गया। वहां पर ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड के अलावा वेंटीलेटर भी लगाए गए। जहां इमरजेंसी में कोरोना मरीजों का इलाज भी किया गया। अब ये वार्ड कोरोना से फ्री किया जा रहा है। जिससे कि सामान्य मरीजों के इलाज के लिए आईसीयू को चालू किया जा सके।

डीएस ने लिखा लेटर, जवाब का इंतजार

आईसीयू के संचालन को लेकर हॉस्पिटल ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। अब मैनपावर के लिए डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ने हेल्थ डिपार्टमेंट को लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने तत्काल आईसीयू के संचालन के लिए डॉक्टर व स्टाफ उपलब्ध कराने की मांग की है। वहीं, दोबारा भी एक रिमाइंडर दिया गया है। लेकिन विभाग की ओर से अबतक कोई जवाब नहीं मिला है।

सदर में आईसीयू से मरीजों को राहत

रिम्स में आईसीयू पर पहले से ही मरीजों का लोड है। ऐसे में लोग प्राइवेट हॉस्पिटल्स में मरीजों के इलाज के लिए जाते हैं। जहां पहुंचते ही मरीजों की जेब पर बोझ बढ़ने लगता है। वहीं मरीज के वेंटीलेटर पर जाते ही मीटर तेजी से बढ़ता है। इस चक्कर में मरीजों के परिजनों की स्थिति खराब हो जाती है। कई बार तो जमीन-घर बेचने की नौबत आ जाती है। इसके बावजूद सदर में आईसीयू के संचालन के लिए मैनपावर को लेकर विभाग गंभीर नहीं है। अगर इसे चालू करा दिया जाता है तो रिम्स पर लोड कम होगा। वहीं मरीजों की जेब पर डाका भी नहीं पड़ेगा।

आईसीयू के संचालन को लेकर एक्सपर्ट की जरूरत है। इनमें फिजिशियन, एनेस्थेसिस्ट और आईसीयू ट्रेंड नर्सिग स्टाफ्स की जरूरत है। हमने विभाग को मैनपावर के लिए पत्र लिखा है। मैनपावर के मिलते ही लोगों के लिए इसे चालू कर दिया जाएगा। फिलहाल कई और बिंदुओं पर विचार किया जा रहा है कि कैसे इसे जल्द चालू कराया जा सके।

-डॉ एस मंडल, डीएस, सदर