रांची (ब्यूरो)। रांची में तार अंडरग्राउंड करने की दिशा में झारखंड बिजली वितरण निगम ने काम शुरू कर दिया है। निगम की ओर से डीपीआर बनाकर भेजा गया है। ग्रीन सिग्नल मिलते ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। हालांकि, हाईटेंशन वायर को अंडरग्राउंड करने का काम पहले से ही रांची में हो रहा है। फस्र्ट फेज का काम पूरा कर लिया गया है, जिसमें 33 केवी लाइन को अंडरग्राउंड किया गया है। फस्र्ट फेज में 110 किमी वायर को अंडरग्राउंड किया गया है। सेकंड फेज का काम चल रहा है जिसका काम केईआई कंपनी कर रही है। अब थर्ड फेज का काम होना है। थर्ड फेज के अंतर्गत आठ सौ किमी में काम होना है। इसमें 11 केवी के वायर भी शामिल हैं। थर्ड फेज के लिए लगभग नौ सौ करोड़ रुपए की अनुमानित लागत की डीपीआर बनाकर भेजी गयी है।

ओवर हेडेड वायर का जाल

राजधानी रांची में हर तरफ हाई टेंशन ओवर हेडेड वायर का जाल बिछा है, जिससे हर वक्त खतरे की घंटी बजती रहती है। आये दिन पक्षियों की मौत इस हाईटेंशन से टकरा कर होती रहती है। कई संकीर्ण गलियों में भी 11 केवी का ओवरहेडेड हाई टेंशन लाइन गया हुआ है। लोगों के घरों के ऊपर से भी 11 केवी वायर गुजरा है, जो हर वक्त खतरे का अहसास कराता है। बारिश के मौसम में पेड़ गिरने से 11 केवी का वायर टूट भी चुका है। विभाग की सतर्कता के कारण बड़ा हादसा नहीं हुआ है, लेकिन हादसे की संभावना हमेशा बनी रहती है। सिटी में लगभग 1500 किमी हाई टेंशन तार का जाल बिछा हुआ है। इसमें साढ़े तीन सौ किमी 33 केवी और शेष 11 केवी के वायर हैं। दो फेज के काम में अब तक लगभग साढ़े चार सौ किमी अंडरग्राउंड करने का काम कर लिया गया है। विभाग के वरीय अधिकारियों का कहना है कि आने वाले तीन साल में सभी फेज का काम पूरा कर लिया जाएगा।

33 केवी लाइन से ग्रिड को पॉवर सप्लाई

विभाग द्वारा दो तरह की लाइन से बिजली सप्लाई होती है। एक 33 केवी लाइन जो ग्रिड को पावर सब स्टेशन से जोड़ती है। दूसरी लाइन 11 केवी की होती है जो मुहल्लों से गुजरी होती है। इससे लोगों के घरों में सप्लाई ली जाती है। 33 केवी के वायर को अंडरग्राउंड करने का काम जारी है। कांके से राजभवन पावर सबस्टेशन आई 33 केवी लाइन को अंडरग्राउंड किया जा चुका है। हटिया से राजभवन, हटिया हरमू लाइन, हटिया अरगोड़ा लाइन, हटिया पुंदाग लाइन, हटिया-आइटीआइ लाइन को अंडरग्राउंड करने का काम जारी है। हाई टेंशन तार के अंडरग्राउंड होने से बिजली चोरी की समस्या रुक जाएगी। बारिश में बिजली कटने की परेशानी भी काफी हद तक कम हो जाएगी। आंधी तूफान आने पर भी बिजली के तार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सिटी में पर्याप्त पावर भी सप्लाई हो सकेगी।