रांची: कोरोना के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। इनमें एसिंप्टोमैटिक मरीजों की संख्या अधिक है। ऐसे में मरीजों में कोई लक्षण नहीं होने के कारण उन्हें होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जा रही है, जिसके लिए प्रॉपर मॉनिटरिंग सिस्टम भी बनाया गया है। लेकिन होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को आफत हो गई है। न तो उन्हें दवाएं दी जा रही हैं और न ही कोरोना किट। इतना ही नहीं, उनसे डॉक्टर भी कंसल्ट नहीं कर रहे हैं। इससे समझा जा सकता है कि कैसे होम आइसोलेशन की मॉनिटरिंग के नाम पर केवल आईवॉश किया जा रहा है।

किट मिला नहीं, खुद से ले रहे दवा

होम आइसोलेशन वाले मरीजों को जिला प्रशासन की ओर से किट उपलब्ध कराया जाना है। इसमें मास्क, ग्लव्स, सेनेटाइजर के अलावा जरूरी दवाएं होती हैं। लेकिन होम आइसोलेशन वाले मरीजों को अबतक ये किट उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। अब वे खुद से डॉक्टर की सलाह लेकर दवाएं खा रहे हैं। वहीं कंट्रोल रूम से जानकारी भी नहीं ली जा रही है कि वे कौन-कौन सी दवाएं खा रहे हैं। ऐसे में मरीज की स्थिति बिगड़ जाए तो जिम्मेवार कौन होगा?

मरीज से पूछ रहे घर पर हैं या बाहर

होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों की मॉनिटरिंग के लिए पिछले महीने से कॉल सेंटर की शुरुआत की गई है। जहां से कॉल कर हर दिन मरीजों की स्थिति के साथ उनके लोकेशन की जानकारी ली जानी है। लेकिन कॉल सेंटर वाले हर दिन कॉल कर सिर्फ यही पूछ रहे हैं कि घर पर हैं न। इसके बाद मरीजों से और कोई जानकारी नहीं ली जाती। वहीं कुछ मरीजों को तो कॉल भी नहीं किया जा रहा है। ऐसे में हम कोरोना को मात कैसे दे पाएंगे?

अकेले रहने वाले मरीज ज्यादा परेशान

कोरोना पॉजिटिव आने के बाद कई ऐसे मरीज हैं, जिन्हें होम आइसोलेशन में रखकर उनका रूम सील कर दिया गया है। अब अकेले रहने वाले मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किसी तरह जरूरी सामान और दवाओं के लिए पड़ोसी से मदद मांग रहे हैं। लेकिन हर बार पड़ोसी उनकी मदद को उपलब्ध नहीं होते। चूंकि उनका भी अपना काम होता है।

केस-1

लोअर चुटिया में रहने वाले एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हो गए। प्राइवेट हॉस्पिटल में टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद वह खुद होम आइसोलेशन में चले गए। कोई लक्षण नहीं था तो उन्होंने भी टेंशन नहीं ली। दो दिन बाद उन्हें कंट्रोल रूम से फोन कर बताया गया कि आप पॉजिटिव हैं और कोई लक्षण नहीं है तो घर पर ही रहें। इसके बाद न तो कोई दवा के बारे में पूछा गया और न ही उन्हें कोई किट मिला। वहीं दोबारा कॉल कर कोई और जानकारी भी नहीं ली गई।

केस 2

तिरील रोड में रहने वाले पांडेयजी को कोरोना हो गया। वह रेंट के मकान में अकेले रहते हैं। उन्हें कोई लक्षण तो नहीं था लेकिन स्वाद और गंध बिल्कुल भी पता नहीं चल रहा था। उन्हें होम आइसोलेट कर दिया गया। साथ ही घर को भी बाहर से सील कर दिया। अब उन्हें छोटी सी छोटी चीज के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। वहीं उन्हें कोई किट भी जिला प्रशासन की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया। आठ दिन बीतने के बाद भी जांच को लेकर कोई बात नहीं की गई।