रांची: सिटी में अब अवैध व सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगने वाली है। एक जमीन दो लोगों को नहीं बेची जा सकेगी। सरकारी जमीन का कागज बदलकर नहीं बेचा जा सकेगा। क्योंकि राजधानी रांची में हर प्लॉट का यूनिक आईडी नंबर होगा। जमीन के हर एक प्लॉट को यूनिक आईडी नंबर दिया जाएगा। केंद्र सरकार से प्रस्ताव मिलने के बाद राज्य सरकार ने इस पर काम शुरू कर दिया है। भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने रांची डीसी व कमिश्नर सहित राज्य के सभी डीसी को पत्र भेजकर उनसे जमीन की इस तरह की डिजिटल आईडेंटिटी के बारे में राय मांगी है। इसके अलावा आईटी और जीआईएस स्पेशलिस्ट से भी सलाह देने को कहा गया है। जिलों से राय मिलने के बाद राज्य सरकार जमीन की यूनिक आईडी तैयार करने पर डिटेल्स रिपोर्ट तैयार करेगी।

जमीन की गलत खरीद-बिक्री होगी बंद

अलपिन यानी (यूनिक लैंड पार्सल आईडेंटिफिकेशन नंबर) के सहारे कहीं से भी ऑनलाइन बैठ कर लोग जमीन की हर तरह के कानूनी पहलू को जान सकेंगे। अलपिन को जमीन मालिक के आधार नंबर के साथ भी लिंक किया जाएगा। इससे जमीन से संबंधित हर तरह के फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी। बेनामी जमीन जैसी चीजें अब खत्म हो जाएंगी। वहीं सरकार की जमीनों के एन्क्रोचमेंट या उसकी खरीद-बिक्री पर भी रोक लगेगी।

आधार कार्ड जैसा जमीन का आईडी नंबर

रांची में जमीन के हर प्लॉट को मिलने वाला अलपिन नंबर 15-18 अंकों का होगा। अलग-अलग राज्यों को अपने यहां की परिस्थिति के आधार पर इसे लागू करना है। इस नंबर में जमीन का खाता नंबर, मौजा नंबर, अंचल नंबर और जिला का नंबर समाहित होगा। इससे जमीन के मालिक और उसके इतिहास में रहे हर तरह के विवाद का पता चल जाएगा। इसमें होल्डिंग टाइप, जमीन का वर्गीकरण और संपत्ति के हस्तांतरण के बारे में भी पूरी जानकारी मिल जाएगी। इसमें जमीन की प्रकृति गैरमजरूआ आम, गैरमजरूआ खास, रैयती, बकास्त, कैसर-ए-हिंद, खासमहल और जिरात जैसी प्रकृति के बारे में भी अलपिन के अंकों से ही पता चल जाएगा। खेतिहर, बंजर, आवासीय, व्यावसायिक या औद्योगिक होने के बारे में भी पूरी जानकारी मिल जाएगी।

एक्सप‌र्ट्स से भी ली लेंगे राय

उत्तर प्रदेश में जमीन को यूनिक आईडी देने की प्रक्रिया फाइनल स्टेज में है। वहां यह यूनिक आईडी नंबर 16 अंकों का है। बिहार सरकार ने भी हाल ही में इसकी प्रक्रिया शुरू की है। वहां 17 अंकों की यूनिक आईडी देने की योजना है। झारखंड सरकार इस बारे में विशेषज्ञों की राय आने के बाद फैसला करेगी।

नहीं हो पाएगा जमीन का अवैध कारोबार

रांची सिटी के हर इलाके में जमीन दलाल अधिकारियों-कर्मचारियों से मिलकर जमीन के अवैध कारोबार का काम कर रहे हैं। कई लोगों की जमीन को दूसरे लोगों को बेच दिया गया है। एक जमीन की बिक्री 2 से 3 लोगों को कर दी गई है। कई जगह दलालों ने सरकारी विभाग के कर्मचारियों से मिलकर सरकारी जमीन की बंदोबस्ती कर दी है। कई जगह आदिवासी जमीन का नेचर बदल कर जेनरल प्लॉट बनाकर लोगों को बेच दिया गया है। राजधानी में आशियाना बनाने के लिए हर व्यक्ति जमीन दलालों से जमीन खरीद रहा है। इसमें बहुत सारे लोगों को सही जमीन मिलती है और बहुत सारे लोगों को फर्जी जमीन मिल रही है। जब जमीन का यूनिक आईडी नंबर जारी कर दिया जाएगा तो फर्जी जमीन की बिक्री नहीं हो पाएगी। क्योंकि उस जमीन का आईडी नंबर डालने के साथ ही उस जमीन का पूरा नेचर आ जाएगा और यह सीओ कार्यालय से लेकर रजिस्ट्री कार्यालय तक में शो करने लगेगा।