रांची (ब्यूरो): अभी हर दिन 105 मेगावाट उत्पादन हो रहा है। यहा का बिजली पीक आवर में शाम के छह बजे से रात के 12 बजे तक उपयोग किया जाता है। अपने शहर में बिजली का उत्पादन होने से राजधानी की जो बिजली आपूर्ति है वह भी बेहतर होगी। हलांकि सिकिदरी हाइडल में दो यूनिट है। एक यूनिट से 65 मेगावाट की क्षमता है और दोनों यूनिट मिलाकर 130 मेगावाट उत्पादन की क्षमता है।

तीन महीने तक होगा उत्पादन

इस हाइडल प्रोजेक्ट से अभी तीन महीने तक लगातार उत्पादन होता रहेगा। इस डैम में पानी का लेबल बेहतर रहने के कारण यहां उत्पादन शुरू हो गया है। अभी बारिश होने के साथ हीं यहां उत्पादन हो रहा है।

160 करोड़ का लक्ष्य है

झारखंड के बनने के 22 सालों के बाद इस वर्ष वित्तीय वर्ष 2021-22 में स्वर्णरेखा जल विद्युत परियोजना सिकिदिरी ने रिकार्ड 120 करोड़ रुपए से ज्यादा बिजली का उत्पादन किया है। 300 एमयू बिजली का अभी तक उत्पादन हो चुका है। गेतलसूद डैम में पानी की उपलब्धता को देखते हुए बिजली का उत्पादन 160 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। इस साल बिजली का उत्पादन रिकॉर्ड 400 एमयू से अधिक होने का अनुमान है।

उत्पादन 300 एमयू पार

झारखंड बनने के बाद अधिकतम उत्पादन 270 एमयू वर्ष 2011-12 में हुआ था। सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना के निर्माण के बाद यह सिर्फ दूसरा अवसर है जब बिजली का उत्पादन 300 एमयू को पार किया। संयुक्त बिहार में वर्ष 1994 में सिकिदिरी से 300 एमयू का बिजली का उत्पादन किया गया था।

दो पावर प्लांट

सिकिदिरी हाइडल प्रोजेक्ट में 65-65 मेगावाट का दो पावर प्लांट हैं। दोनों पावर प्लांट से प्रतिदिन पीक ऑवर में पांच घंटे तक 105 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। गेतलसूद नहर से छोड़े गए पानी से सिकिदिरी में दो जगहों पर बिजली का उत्पादन होता है। पहले पावर प्लांट एक में बिजली का उत्पादन होता है, इसके बाद यही पानी पावर प्लांट दो में जाकर बिजली का उत्पादन करती है, एक ही खर्च पर दो पावर प्लांट से बिजली का उत्पादन हो रहा है।

बेहतर हुआ उत्पादन

वर्ष 2021 में हुई अच्छी बारिश व मशीन के ब्रेकडाउन नहीं होने से बिजली का रिकॉर्ड उत्पादन हो पाया। झारखंड राज्य बनने के बाद पहली बार बिजली का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। पिछले साल 2021 में पहली बार मई माह से ही बारिश शुरू हो गई थी, जिस कारण बिजली का लगातार उत्पादन होता रह।

खर्च एक रुपये तक

सिकिदिरी हाइडल प्रोजेक्ट से बिजली का प्रति यूनिट उत्पादन खर्च 80 पैसा से एक रुपया के बीच आता है। प्रोजेक्ट इस उत्पादित बिजली को 4 रुपए प्रति यूनिट बेचती है। प्रतिदिन पीक ऑवर में पांच घंटे बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। दूसरी ओर झारखंड सरकार पीक ऑवर में अन्य निजी हाइडल व थर्मल बिजली कंपनी से 10 रुपए से अधिक कीमत पर प्रति यूनिट बिजली खरीदती है।

तो होगा पूरा उत्पादन

गेतलसूद डैम में जमा गाद की पिछले 50 सालों से साफ-सफ ाई नहीं की गई है। जिससे डैम में करीब 24 फीट गाद भर गया है। रांची की बढ़ रही जनसंख्या को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए गेतलसूद डैम के जलस्तर को 1914 आरएल फीट तक स्थिर कर दिया गया है। इस जलस्तर पर बिजली उत्पादन के लिए पानी की आपूर्ति बंद कर दी जाती है। इसके बाद बारिश होने पर ही बिजली उत्पादन शुरू होता है। गेतलसूद की न्यूनतम गहराई 1886 आरएल फूट है व जलाशय की क्षमता 1936 आरएल फूट है।