रांची(ब्यूरो)। अब डॉक्टर की तरह नर्स को भी एक साल सरकारी अस्पताल में सेवा देना अनिवार्य होगा। नर्स की पढ़ाई पूरी होने के बाद किसी भी सरकारी अस्पताल में सेवा देनी होगी, उसके बाद ही उनको अनुभव प्रमाण पत्र दिया जाएगा। झारखंड नर्सिंग काउंसिल द्वारा यह व्यवस्था इसी साल से लागू हो जाएगी। राज्य में पीजी की पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों पर यह नियम पहले से ही लागू है। डॉक्टरों को पढ़ाई पूरी करने के बाद तीन साल तक राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में सेवा देना अनिवार्य है, अब नर्स के साथ भी यह अनिवार्य कर दिया गया है।

देना होगा शपथ पत्र

झारखंड में सरकारी कॉलेजों से नर्सिंग की पढ़ाई करने वाली छात्राओं को एक साल तक राज्य के सरकारी अस्पतालों में नौकरी करनी होगी। इसके लिए नर्सों को बॉन्ड भरना होगा। एडमिशन के समय ही छात्राओं को शपथ पत्र देना होगा कि वह कोर्स खत्म होने के बाद 10 हजार रुपए प्रति माह और जीएनएम को 12 हजार के मानदेय पर एक साल सरकारी अस्पतालों में सेवा देनी होगी। कोर्स खत्म होते ही इन नर्र्साे को सरकारी अस्पताल में जाना होगा और वहां मरीजों की सेवा करनी होगी।

सर्टिफिकेट मिलेगा

सरकार के आदेश के अनुसार पढ़ाई के लिए एडमिशन के समय ही बांड भरना होगा। बांड भर कर यह बताना होगा कि कोर्स पूरा होने के बाद सरकारी अस्पताल में एक साल तक नौकरी करेंगे। इसका उल्लंघन करने पर उनसे एक लाख रुपए जुर्माना भी वसूला जाएगा। एक साल की सेवा करने के बाद नर्सोंं को अनुभव प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इसी आधार पर झारखंड में होने वाली एएनएम-जीएनएम की नियमित नियुक्ति में उन्हें दो अंकों का वेटेज मिलेगा। इसके लिए नर्सिंग नियुक्ति नियमावली में प्रावधान किया जाएगा। यह व्यवस्था इसी सत्र से लागू की जाएगी।

सिविल सर्जन की जवाबदेही

बॉन्ड आधारित यह व्यवस्था वर्तमान सत्र से ही लागू की जाएगी। अभी एएनएम-जीएनएम ट्रेनिंग स्कूल में पढ़ रही छात्राओं को बॉन्ड का विकल्प दिया जाएगा। विकल्प देने के बाद इसका पालन करना जरूरी होगा। जो इस व्यवस्था को चुनेंगी, उन नर्सों पर खर्च होने वाली राशि का भार संबंधित जिले के सिविल सर्जन को अनुबंध और मानदेय कर्मियों के भुगतान के लिए मिलने वाले वाली राशि से किया जाएगा। राज्य के सभी सिविल सर्जनों का दायित्व होगा कि वह नर्सों से बॉन्ड आधारित सेवा लें ओर इसकी सूचना स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रमुख और क्षेत्रीय उपनिदेशक को देंगे।

पीजी डॉक्टर कर रहे तीन साल की अनिवार्य सेवा

राज्य में वर्तमान में मेडिकल पीजी की परीक्षा पास करने वाले छात्र-छात्राओं से राज्य में तीन साल की अनिवार्य सेवा ली जा रही है। इसके लिए छात्र-छात्राओं से बॉन्ड भरवाया जा रहा है। बॉन्ड का उल्लंघन करने वालों से 20 लाख रुपए हर्जाना लिए जाने का प्रावधान है। झारखंड के मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को अब तीन साल तक अनिवार्य रूप से राज्य में सेवा देने के लिए भी प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि अभी इसे लागू नहीं किया गया है।