- झामुमो ने चुनावी घोषणा पत्र में किया था बेरोजगारी भत्ता देने का वादा

- ग्रेजुएट को पांच हजार और पीजी को सात हजार देने का किया था वादा

- सूबे के 2.57 लाख एक्टिव युवा रजिस्टर्ड हैं इम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज में

- रोजगार या भत्ता मिलने की आस में हर दिन दो हजार से ज्यादा करा रहे रजिस्ट्रेशन

- रोजगार मेले के जरिए अब तक सिर्फ 44947 का ही हो सका है प्लेसमेंट

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RANCHI (2 स्नद्गढ्ड) : राज्य के बेरोजगार युवाओं को रोजगार या बेरोजगारी भत्ता देने के लिए सरकार ने अपनी कसरत शुरू कर दी है। इसके साथ ही इम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज का डेटा अपडेट करने का आदेश मुख्यमंत्री ने दिया है। श्रम, नियोजन और प्रशिक्षण विभाग आंकड़ों को अपडेट कर रहा है। इसी बीच 2.57 लाख लाइव रजिस्ट्रेशन के आंकड़े सामने आए हैं, जिन्हें सरकार को या तो नौकरी या रोजगार देना होगा अथवा इतने लोगों को बेरोजगारी भत्ता देना होगा। मुसीबत यह है कि इतने युवाओं को भत्ता देने में राज्य सरकार को हर महीने करीब 128 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। एक साल में सरकार को केवल बेरोजगारी भत्ते के मद में 1536 करोड़ के आसपास खर्च करना होगा। सरकारी अमला इस बात को लेकर पसोपेश में है कि आखिर इतनी बड़ी राशि का इंतजाम कहां से होगा? वैसे यह स्थिति तब आएगी, जब सभी को रोजगार नहीं दिया जा सके। हालांकि, आंकड़े अपडेट होने के बाद सरकार का पूरा फोकस पहले रोजगार मुहैया कराना होगा।

झामुमो ने चुनाव में की थी घोषणा

दरअसल, झामुमो ने अपने चुनावी घोषणापत्र में बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था। अब झामुमो की सरकार बन चुकी है और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए सभी जिलों के इम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज को एक्टिव कर दिया है। 16 साल से अधिक उम्र के युवाओं का रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है। आलम यह है कि अब हर दिन दो हजार से भी ज्यादा युवा इम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज में अपना नाम दर्ज करा रहे हैं।

युवाओं को है कई उम्मीद

इम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज में अपना रजिस्ट्रेशन कराने वाले अमित कच्छप बताते हैं कि हमने 2016 में ही रजिस्ट्रेशन कराया था। अभी तक न सरकारी नौकरी मिली और न ही किसी अन्य तरह का रोजगार। अब सरकार फि र से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कह रही है। सवाल यह है कि अगर पहले से इम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज में नाम दर्ज है, तो उसी आंकड़े के साथ कोई योजना क्यों नहीं बन रही है?

मुख्य सचिव ने दिया निर्देश

सीएम के निर्देश के बाद मुख्य सचिव डीके तिवारी ने श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का के साथ सभी जिलों के उपायुक्त से कहा है कि जिलों के रोजगार कार्यालयों को महत्वपूर्ण केंद्र बनाएं। रोजगार के लिए युवाओं को स्पष्ट पता रहे कि उन्हें कहां जाना है। मुख्य सचिव ने जिला और प्रखंड स्तर पर शिविर लगा कर बेरोजगार युवाओं का रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश दिया है। मुख्य सचिव ने प्रधान सचिव से कहा कि वे जिलों में हो रही कार्रवाई की मॉनिटरिंग करें। यह भी निर्देश दिया कि युवाओं का शिक्षा और कौशल संबंधी जानकारी के आधार पर वर्गीकरण भी करें ताकि उनके लिए किस प्रकार के रोजगार और कौशल विकास की जरूरत है, उसके लिए कार्य किया जा सके।

यह था हेमंत सोरेन का वादा

झारखंड विधानसभा चुनाव में रोजगार बड़ा मुद्दा रहा था। सभी पार्टियों ने अपने मेनिफेस्टो में रोजगार देने का वायदा किया था। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने घोषणा पत्र में नौकरी नहीं मिलने तक सभी बेरोजगार स्नातक को 5 हजार व स्नातकोत्तर को 7 हजार रुपए का भत्ता दिए जाने की बात कही थी। वहीं इंटर पास के बाद सभी स्थानीय युवाओं को 4 लाख रुपए तक का स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड भी दिए जाने की घोषणा की गई थी। साथ ही झामुमो ने घोषणा पत्र में सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने, निजी क्षेत्रों में 75 फीसदी स्थानीय लोगों को नौकरी देने, महिलाओं को सरकारी नौकरी में 50 प्रतिशत आरक्षण देने, सभी गरीब परिवार को 72 हजार रुपए वार्षिक अनुदान तथा 25 करोड़ तक की सरकारी निविदा झारखंड के लोगों को दिए जाने का भी वादा किया था। साथ ही सरकार बनने के दो साल के अंदर 5 लाख झारखंडी युवकों को नौकरी देने की भी बात कही गई थी।