रांची: आनलाइन स्टडी ने कोचिंग सेंटर्स की सेहत खराब कर दी है। लॉकडाउन के दौरान सारे स्कूल कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थान बंद हैं। ऐसे में अधिकतर शैक्षणिक संस्थानों ने स्टूडेंट्स के लिए ऑनलाइन स्टडी की व्यवस्था की है। इस स्टडी के कारण अब बच्चों को पर्याप्त समय ही नहीं मिल पा रहा है कि वे लोग कोचिंग सेंटर्स की पढ़ाई कर सकें। इसके अलावा शहर में कोचिंग सेंटर्स लगातार बंद किए जा रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चों की आंखों पर काफी प्रेशर पड़ रहा है। साथ ही लगातार कम्प्यूटर या मोबाइल के उपयोग के कारण उनमें गुस्सा भी काफी देखा जा रहा है।

बंद हुए अधिकतर कोचिंग सेंटर्स

शहर के कोचिंग संस्थान भी अब तेजी से बंद होने लगे हैं। जैसे-जैसे लॉकडाउन लंबा खींच रहा है। झारखंड के कोचिंग संस्थानों का भविष्य सिमटता जा रहा है। केवल रांची में ही पिछले 10 सालों में 60 से अधिक कोचिंग इंस्टीट्यूट्स खुले थे। इसके अलावा तकरीबन 12-15 ऐसे छोटे-छोटे संस्थान हैं जो 5 से 7 साल पुराने होंगे। दस सालों में भले पांच संस्थान बंद ना हुए हों पर कोरोना की मार से 6 महीने में 50 से अधिक का शटर गिर चुका है।

700 करोड़ की हानि

झारखंड कोचिंग एसोसिएशन के अनुसार, राज्यभर में 4000 से अधिक कोचिंग संस्थान हैं। 10 साल पुराने संस्थान हर महीने 18 फीसदी जीएसटी भी भरते हैं। संस्थानों की मानें तो झारखंड के कोचिंग संस्थानों के जरिए हर महीने लगभग 700 करोड़ तक जीएसटी के रूप में सरकार को मिलता है पर इस साल मार्च महीने से जारी लॉकडाउन और एजुकेशनल एक्टिविटी को बंद रखे जाने के कारण यह जीरो ही है।

कोचिंग सेंटर्स को पेमेंट नहीं

जिन स्टूडेंट्स ने रांची या किसी और जिले में कोचिंग संस्थानों में एडमिशन फरवरी, मार्च में लिया था, वे कोचिंग संस्थानों को पैसे देने में अभी उदासीनता ही दिखा रहे हैं। कॉरपोरेशन टैक्स भी हर साल कोचिंग संस्थानों को सरकार को देना होता है। औसतन 10 से 40 हजार रुपए सालाना का खर्च इस पर बैठता है। इसके अलावा बिजली बिल भी है, जो 8000 से 25,000 रुपए महीने तक लगता है।

बड़े संस्थानों को ज्यादा प्रॉब्लम

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थानों को बंद रखा गया है। ऐसे में मार्च महीने से नया एडमिशन नहीं हो पा रहा है। आमदनी का मूल स्रोत ही बंद हो जाने से संस्थानों की हालत पतली होती जा रही है। जो संस्थान 8 से 10 साल पुराने हैं और सालाना औसतन 50 लाख से 1 करोड़ तक की आय करते थे, उन्हें अब संस्थान का किराया भी नसीब नहीं हो रहा।

तालाबंदी का सिलसिला जारी

रांची और दूसरे जगहों पर शैक्षणिक संस्थान लगातार खाली हो रहे हैं। रेंट तक दे पाने की हालत उनकी नहीं रह गई है। हरिओम टावर, रांची में 60 से भी अधिक छोटे-बड़े कोचिंग संस्थान हैं। यहां संस्थान चलाने को हर महीने केवल किराये के तौर पर कम से कम 30 से 40 हजार रुपए चाहिए। अगर एक से ज्यादा कमरे हों तो खर्च इसी हिसाब से बढ़ता है। इसके अलावा टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ पर दो से पांच लाख का खर्च तो है ही। फिलहाल कोचिंग संस्थान वीरान पड़े हैं। संस्थानों में लगातार तालाबंदी जारी है। यह कहानी तकरीबन सभी जिलों से लगातार सामने आ रही है।