रांची (ब्यूरो)। सिटी में आवास बोर्ड के जितने भी मकान और खाली जमीन हैं, उसमे बहुत सारे लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। बोर्ड उनको मकान अपने नाम कराने का ऑप्शन भी दिया है, लेकिन लोग कब्जे वाले मकान को अपने नाम कराने के लिए भी आगे नहीं आ रहे हैं। इस कारण इन मकानों व जमीन की रजिस्ट्री भी नहीं हो रही है। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि बोर्ड ने जो ऑॅफर दिया है कि दस साल के कब्जे वाले लोगों को मकान उनके नाम कर दिया जाएगा, लेकिन जो रेट रखा गया है, उसके अनुसार लोग पैसा देने में भी सक्ष्म नहीं हैं।

कई ने एनओसी तक नहीं लिया

बहुत सारे ऐसे लोग भी बोर्ड के मकान में रह रहे हैं, जिन्होंने मकान अलॉट तो करा लिया लेकिन उसके बाद बोर्ड को एक भी पैसा नहीं दिया। नतीजा यह हो रहा है कि उनके कंपाउंड इंटरेस्ट की रकम ही बहुत अधिक हो गई है। अब वह उतना अधिक पैसा देने की स्थिति में नहीं हैं। इस कारण बहुत सारे लोगों ने एनओसी ही नहीं लिया है और अब रजिस्ट्री नहीं करा पा रहे हैं।

फ्री होल्ड करने का हो चुका है निर्णय

आवाास बोर्ड के फ्लैट में रहने वाले या उसकी जमीन पर मकान बनाने वालों के लिए उसको लीज होल्ड से फ्री कर दिया गया है। यानी की आवास बोर्ड की जमीन या फ्लैट लेने वाले इस संपत्ति का उपयोग अपने हिसाब से कर पाएंगे। फ्री होल्ड के बाद जमीन या मकान पर लोगों का मालिकाना हक हो जाएगा।

99 साल का है लीज

लीज व्यवस्था में आवास बोर्ड संपत्ति का असली मालिक होता है और लेनदार को 99 साल की लीज पर आवास देता है। लीजधारक इसे बेचने के लिए बोर्ड को आवेदन देता है और लाभांश का भुगतान बोर्ड को भी करता है। फ्री होल्ड के बाद यह व्यवस्था समाप्त हो गई है। फ्री होल्ड कराने के लिए आवास बोर्ड लीजधारकों से बाजार दर की 10 प्रतिशत राशि परिवर्तन प्रभार शुल्क के रूप में लेता है।