रांची: इस्लामनगर और अलीनगर के सैकड़ों अवैध मकानों को हाईकोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2011 में गिरा दिया गया था। लेकिन कोई विकल्प न होने के कारण यहां के प्रभावित परिवार फि र से उसी स्थान पर झोपडि़यों में निवास करने लगे हैं। 33 करोड़ रुपए से 444 परिवारों के लिए आशियाना बनाया जा रहा है, लेकिन जिन लोगों को वहां घर मिलना है, आज भी वो इंतजार ही कर रहे हैं।

पॉलिटेक्निक कॉलेज के पास

इस्लाम नगर में 444 आवास निर्माण कार्य का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है। यहां के चयनित विस्थापितों को पक्के मकान उपलब्ध कराए जाएंगे। पॉलीटेक्निक कॉलेज से मिली 3.5 एकड़ जमीन पर तीन आवासीय ब्लॉक का निर्माण हो रहा है। ब्लॉक-1 व 1बी में 206 तथा ब्लॉक-2 में 238 आवासों का निर्माण किया जा रहा है। 30 वर्ग फीट के प्रत्येक आवास में एक बेडरूम, एक हॉल, किचेन व एक शौचालय का निर्माण किया जा रहा है।

कब पूरा होगा निर्माण

दो वर्ष में 444 आवासों का निर्माण होना था, लेकिन अब तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। झारखंड अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन(जुडको) ने इस कार्य के लिए रॉक ड्रिल इंडिया कंपनी का चयन किया है। लेकिन कंपनी द्वारा तय समय पूरा होने के बाद भी काम पूरा नहीं किया गया है। काम करने वाली एजेंसी से लेक र जुडको तक के अधिकारी यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि इसका काम कब पूरा होगा।

अब भी फंसा है पेंच

हाईकोर्ट के आदेश के बाद उस समय अर्जुन मुंडा की सरकार ने इस्लाम नगर को खाली करवाया था। जिस समय सरकार ने वहां लोगों को खाली कराया था, उस समय उनकी संख्या 1175 थी, लेकिन जब सरकार ने वहां रहने वाले लोगों का सर्वे किया तो पाया कि 444 लोग ही एलिजिबल हैं, जिनको आवास दिया जाएगा, बाकी बचे लोगों के बारे में सरकार का कहना है कि इन लोगों के पास ऐसा कोई भी कागज नहीं, जिसमें ये लोग दिखा सकें कि वो कई सालों से यहां रह रहे हैं। जिन 444 लोगों को सेलेक्ट किया गया है, उनमें से बहुत सारे लोगों ने बिजली बिल सहित कई तरह के डॉक्यूमेंट उपलब्ध कराये हैं। राज्य सरकार ने सिर्फ 444 लोगों के लिए तैयार की है योजना, जबकि विस्थापितों की संख्या 1175 है।