-कोरोना की वजह से किसी के घर जाने से कर रहे हैं मना

-पितृपक्ष में पितरों को पानी देना होता है जरूरी

-लॉकडाउन में घर जाने के बाद वापस भी नहीं लौटे हैं कई पंडित

RANCHI:दो सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो गया है। पितृपक्ष में अपने पितरों के तर्पण की परंपरा है, लेकिन इस बार तर्पण में भी परेशानी हो रही है। दरअसल इस बार कोरोनावायरस ने खलल डाला है। सभी समुदाय के त्योहार ऐसे ही फीके ढंग से बीत गए। हिंदू धर्म में पितृपक्ष का खास महत्व होता है। इस मौके पर अपने पितरों को याद कर उन्हें तर्पण दिया जाता है, लेकिन समस्या यह है कि इस बार तर्पण के लिए पंडितजी ही नहीं मिल रहे हैं। कोरोना काल में कर्मकांडी पंडित भी अपने जजमान के घर तर्पण कराने जाने से भी कतरा रहे हैं। पंडितों का कहना है कि जान है तो जहान है। इस बार बच गए तो अगली बार कमा लेंगे। इधर, तर्पण बिना पंडितजी के होना मुमकिन नहीं है। इसलिए लोग मान-मनौवल कर किसी तरह पंडितजी के सभी शर्तो को मानते हुए घर तक घर आने का आग्रह कर रहे हैं।

वापसी को टिकट नहीं मिल रहा

यूपी, बिहार के रहनेवाले पंडितजी लॉकडाउन की वजह से अपने-अपने घर चले गए हैं। वापसी के लिए उन्हें टिकट ही नहीं मिल रहा है। शहर के पंडितजी भी घर से बाहर निकलने में परहेज कर रहे हैं। राजधानी रांची में हर दिन कोरोना संक्त्रमितों की संख्या में इजाफा देख हर कोई डरा हुआ है। जन्म से लेकर श्राद्ध तक सभी में परेशानी हो रही है। कुछ भी सामान्य नहीं है, न ही कोई काम या व्रत-त्योहार सामान्य ढंग से बीत रहे हैं।

माइक्रो कंटेनमेंट जोन में आना-जाना मना

माइक्रो कंटेनमेंट जोन में रहने वालों लोगों के घर कोई आ-जा नहीं सकता और नहीं तर्पण के लिए कर्मकांडी पंडित को बुला सकते हैं। वहीं, ऐसे इलाकों में रहनेवाले पंडितजी भी अपने घर में कैद हो चुके हैं। श्राद्ध कराने के लिए लोग पंडितजी के घरों के चक्कर काट रहे हैं। पंडितजी के फोन की घंटी भी लगातार बज रही है। लोग पूजा-पाठ के लिए बार-बार आग्रह कर रहे हैं, लेकिन कोरोना के कारण पंडितजी भी घर से ही पूजा-पाठ करने की सलाह दे रहे हैं। भोजन और दान-दक्षिणा भी घर भेजने के लिए कह रहे हैं, लेकिन कर्मकांड में पंडित का होना जरूरी है इसलिए लोग पंडितजी को पूरी सुरक्षा देने के वादे के साथ बड़ी मुश्किल से घर तक ले जा रहे हैं।

जहां पूरी सुरक्षा का आश्वासन मिल रहा है या लगता है वहां जाने से कोई खतरा नहीं है, ऐसे ही यजमान के घर जा रहे हैं। वैसे तो अपनी सुरक्षा साथ लेकर चलते हैं। जहां पूजा कराने या तर्पण कराने जा रहे हैं, वहां भी जगह को सेनेटाइज करने, पूजा में शामिल होने वाले व्यक्ति को सेनेटाइजर पास में रखने के लिए कहते हैं। अनजान जगह जाने से अभी बच रहे हैं। किसी भी यजमान के घर खाना-पीना नहीं हो रहा है। जो भी दान-दक्षिणा देना है वह पैक करा लेते हैं। सभी को सुरक्षा बरतना जरूरी है।

मुन्ना पंडितजी