रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची में दर्जनों बड़े-बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल बना लिए गए। कुछ खुद को सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बताते हैं तो कुछ हर प्रकार की बीमारी का इलाज करने का दावा करते हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल के लिए करोड़ो रुपए में ऊंची-ऊंची इमारतें तो खड़ी कर ली गईं। लेकिन यहां पार्किंग ही नहीं बनाया। सिटी में कई प्राइवेट हॉस्पिटल ऐसे हैं जिनका खुद का पार्किग स्पेस तक नहीं है। रोड पर और हॉस्पिटल के गेट पर दर्जनों गाडिय़ां खड़ी रहती हैं, जिससे सड़क पर जाम की स्थिति बनी रहती है। आलम यह है कि हॉस्पिटल में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों को भी अपनी गाड़ी खड़ी करने के लिए जगह ढूंढनी पड़ती है। हॉस्पिटल के गेट पर तैनात गार्ड गेट के पास गाड़ी खड़ी करने नहीं देते। क्योंकि गेट के पास डॉक्टर और मैनेजमेंट के अधिकारी की गाड़ी लगती है। ऐसे में मरीज और उनके परिजनों को मजबूरन सड़क पर ही गाड़ी लगानी पड़ती है।

जाम की बड़ी वजह

राजधानी रांची के हर इलाके में जाम की स्थिति बनी रहती है। लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं। इस जाम को बढ़ाने में सिटी के प्राइवेट हॉस्पिटल का भी अहम योगदान है। प्राइवेट हॉस्पिटल की अपनी पार्किंग नहीं होने के कारण लोग रोड पर ही गाड़ी पार्क कर देते हैं। इसका खामियाजा इन रोड से गुजरने वाली पब्लिक को भुगतना पड़ता है। इसके बावजूद न तो ट्रैफिक पुलिस को ये चीजें दिखाई दे रही हैं और न ही रांची नगर निगम हॉस्पिटल्स पर कोई कार्रवाई ही कर रहा है। नगर निगम सिर्फ छोटे दुकानदार और फुटपाथ विक्रेताओं पर ही लाठी भांजता है। बड़े हॉस्पिटल्स पर कार्रवाई करने से निगम के अधिकारी भी बचते हैं। वैसे रांची नगर निगम क्षेत्र में बिना नक्शा के दो मंजिला मकान भी नहीं बना सकते हैं। लेकिन इन ऊंची-ऊंची इमारतों के लिए जरूरी सभी शर्तों को पूरा किए गए बगैर ही नगर निगम नक्शा पास कर देता है।

स्पॉट 1 : सेंटेविटा हॉस्पिटल

मेन रोड अल्बर्ट एक्का चौक के समीप स्थित सेंटेविटा हॉस्पिटल। यहांबेड की कैपासिटी तो 70 है, लेकिन पार्किंग कैपासिटी सिर्फ 15 ही है। ऐसे में बेड फुल होने पर मरीज और उनके परिजनों को गाड़ी लगाने के लिए स्थान तक नहीं मिलता। पार्किंग में जगह नहीं होने के कारण हॉस्पिटल के सामने खाली जगह को ही पार्किंग बना दिया गया है। जहां पर व्हाइटलाइन के पीछे ही दर्जनों गाडिय़ां लगी रहती हैं। इस वजह से पैदल चलने वालों के लिए जगह ही नहीं बचती।

स्पॉट 2 : ऑर्किड हॉस्पिटल,

एचबी रोड स्थित आर्किड हॉस्पिटल का भी हाल ऐसा ही है। इस हॉस्पिटल की बेड कैपासिटी 135 है। लेकिन यहां सिर्फ 20 गाडियों की पार्किंग की ही व्यवस्था है। व्यस्त इलाके में हॉस्पिटल होने के बावजूद पार्किंग के लिए स्पेस नहीं दिया गया। जिससे सड़क पर गुजरने वाले दूसरे लोगों को परेशानी होती है। पार्किंग एरिया अधिकारियों और स्टाफ्स से ही फुल हो जाता है। यहां तक की एंबुलेंस लगाने की भी जगह नहीं बचती।

स्पॉट 3 : आलम हॉस्पिटल

बरियातू स्थित आलम हॉस्पिटल के बाहर भी गाडिय़ों का रेला लगा रहता है। हॉस्पिटल में बेड कैपासिटी तो 150 है लेकिन सिर्फ दस गाडिय़ों को ही पार्क करने का स्पेस है। हॉस्पिटल में काफी संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं, जिससे गाडिय़ों की लाइन लग जाती है। लोग सड़क पर ही गाड़ी खड़ी कर देते हैं। सड़क पर जाम की स्थिति बन जाती है।

स्पॉट 4: पल्स हॉस्पिटल

बरियातू स्थित पल्स हॉस्पिटल में भी पार्किंग एरिया नहीं है। नो पार्किंग में हॉस्पिटल के अधिकारी और स्टाफ्स अपनी गाड़ी लगाते हैं। मरीज और उनके परिजनों को भी सड़क पर ही गाड़ी लगाना होता है। वैसे तो शहर के नो पार्किंग में खड़ी गाडिय़ों को नगर निगम फौरन जब्त कर लेता है। लेकिन प्राइवेट हॉस्पिटल के बाहर नगर निगम के कर्मचारी भी आंखें मूंद लेते हैं।