RANCHI: राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में इलाज के लिए दूर दराज से मरीज आते हैं। यह देखते हुए हॉस्पिटल की व्यवस्था सुधारने को कहा गया है। लेकिन प्रबंधन चाहकर भी व्यवस्था में सुधार नहीं कर पा रहा है। इस वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब एक लेटर के चक्कर में मरीजों के टेस्ट पर ब्रेक लग गया है, जिससे कि गंभीर मरीजों को भी इंतजार करना पड़ रहा है। इससे समझा जा सकता है कि कैसे हॉस्पिटल की व्यवस्था सुधारने के नाम पर आईवॉश किया जा रहा है।

अलाउ फ्री के बाद भी टेस्ट नहीं

आयुष्मान और बीपीएल के दर्जनों मरीजों को इलाज के दौरान एमआरआई, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड कराने के लिए लिखा गया। जिन्हें टेस्ट कराने के लिए अधिकारी ने अलाउ फ्री भी कर दिया, जिससे कि वे रिम्स कैंपस में पीपीपी मोड पर काम कर रही एजेंसी हेल्थ मैप में टेस्ट करा सकें। लेकिन वहां जाने के बाद उन्हें लौटा दिया गया। साथ ही कहा गया कि जबतक उन्हें प्रबंधन का लेटर नहीं मिलता है उनका टेस्ट नहीं किया जाएगा।

सुपरिंटेंडेंट आफिस में लगाते रहे दौड़

तीन दिन पहले टेस्ट कराने के लिए मरीजों की पर्ची पर अलाउ फ्री किया गया। इसके बाद से परिजन हेल्थ मैप सेंटर के अलावा सुपरिंटेंडेंट आफिस की दौड़ लगा रहे हैं। जहां उन्हें बताया गया कि एजेंसी को लेटर भेज दिया गया है। लेकिन एजेंसी ने साफ इनकार कर दिया। वहीं परिजन पैसे देकर भी टेस्ट कराने को तैयार थे पर सेंटर पर इनकार कर दिया गया।

तो नहीं लगानी पड़ती दौड़

हॉस्पिटल की सीटी स्कैन मशीन 21 महीने से खराब पड़ी है। इसके बावजूद न तो मशीन की रिपेयरिंग कराई गई और न ही नई मशीन का इंस्टालेशन कराया गया। अगर रिम्स की अपनी टेस्टिंग व्यवस्था दुरुस्त होती तो पीपीपी मोड पर किसी एजेंसी को काम देने की नौबत ही नहीं आती। वहीं इलाज के लिए आने वाले सभी मरीजों का टेस्ट आराम से हो जाता।

केस-1

सुखदेव मंडल को लीवर में समस्या के साथ सांस लेने में तकलीफ थी। उसे सीबी शर्मा की यूनिट में एडमिट किया गया था। जहां डॉक्टर ने टेस्ट कराने के लिए लिखा था। तीन दिन के बाद भी जब उसका टेस्ट नहीं हुआ तो डॉक्टर ने परिजनों को झाड़ लगाई।

केस 2

उर्मिला देवी का एमआरआई कराने को डॉक्टर ने लिखा। दो दिन से परिजन चक्कर लगाकर थक गए। जबकि उनके पास लाल कार्ड के अलावा आयुष्मान कार्ड भी था फिर भी उनका टेस्ट नहीं किया गया।