- पुरानी हो चुकी है सड़क, गढ्डों के कारण बार-बार हो रहे हादसे

- 8.5 किलोमीटर की सड़क पर खर्च होंगे 9.22 करोड़ रुपए

- जल्द भरेगा रांची के लोगों का वषरें पुराना जख्म, पथ निर्माण ने जारी किया टेंडर

- 5 महीने में काम होगा पूरा, पहले स्मार्ट सड़क बनाने की थी योजना

राजधानी का बरियातू रोड चकाचक होगा। हर बार चिप्पी साटकर विभाग काम चलाता था, लेकिन इस बार इस सड़क को चकाचक करने की पूरी तैयारी की गई है। पथ निर्माण विभाग द्वारा 8.5 किलोमीटर इस सड़क को बनाने के लिए करीब 9.22 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। पांच महीने में बनकर तैयार होने वाली इस सड़क का टेंडर भी पथ निर्माण विभाग द्वारा कर दिया गया है। इस सड़क की दुर्दशा काफी पुरानी है, पिछली सरकार में भी इसे लेकर काफी किरकिरी हुई थी। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में नई सरकार के गठन के बाद से ही इसे दुरुस्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। छह महीने पहले ही एक करोड़ रुपए खर्च कर इस सड़क में गढ्डों को भरा गया थे।

पूरा सरफेस बनाया जाएगा

सूचना भवन (एलपीएन शाहदेव चौक) से बरियातू रोड होते हुए बूटी मोड़ तक इस सड़क को बिल्कुल नया रूप दिया जाएगा। सड़क की राइडिंग क्वालिटी में सुधार के लिए टेंडर भी निकाला गया है। इसके तहत सड़क का सरफेस नवीकरण सहित कई तरह का काम किया जाएगा। इस सड़क पर आधा दर्जन पॉइंट चिन्हित किये गये हैं। इस बार इस सड़क को बनाने के दौरान यह ध्यान रखा जाएगा कि कहां-कहां हमेशा सड़कें टूट रही हैं। इस सड़क पर वाटर पाइपलाइन के लीकेज के कारण कई जगह पर सड़क टूटती रहती है। ऐसे में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से संपर्क कर इस समस्या का परमानेंट उपाय निकाला जाएगा।

वर्षो पुराना है जख्म

बरियातू रोड में गढ्डों का जख्म नया नहीं है। 10 साल से भी ज्यादा समय से इस सड़क पर रह-रह कर गढ्डे होते रहे हैं। अनगिनत लोगों की इन गढ्डों में गिरकर घायल होने या मौत की सूचना आती रही है। वैसे तो इस सड़क से पेशेंट्स अपना इलाज कराने जाते हैं। रिम्स समेत तमाम छोटे-बडे़ हॉस्पिटल इसी रोड में होने की वजह से यहां दिन रात एंबुलेंस का आना-जाना रहता है। ऑटो एवं पर्सनल गाड़ी में भी पेशेंट्स लेकर परिजन इसी रोड से होकर हॉस्पिटल पहुंचते हैं। लंबे समय से बरियातू रोड में जगह-जगह गढ्डे होने की वजह से यह अब इसकी पहचान बन चुका है। रिपेयरिंग के नाम पर हर बार खानापूर्ति कर दी जाती है। कुछ दिन बाद ही यहां फिर गढ्डे दिखने लगते हैं। अंधेरे में हालत और भी खराब रहती है। लेकिन इसे परमानेंट ठीक करने की व्यवस्था की जा रही है।

रिपेयरिंग के नाम पर 13 करोड़ खर्च

बरियातू रोड ऐसा रोड है जहां बार-बार रिपेयरिंग होती है। लेकिन न जाने किस क्वालिटी की रिपेयरिंग होती है कि महीने भर में ही सड़क टूटने लगती है। ढाई साल पहले ही इस रोड की रिपेयरिंग के नाम पर 12 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। अब छह महीने पहले एक करोड़ रुपए रिपेयरिंग पर खर्च किया गया है। इसके बाद भी बीच-बीच में सड़क की रिपेयरिंग होती रही है। फिर भी इसकी स्थिति आज तक नहीं सुधरी। सड़क के नीचे वाटर सप्लाई के लिए पाइपलाइन भी बिछाई गई है, जो सड़क में गढ्डे होने की वजह से अक्सर फट जाती है। इससे आस-पास एरिया में जलजमाव की स्थिति भी बनी रहती है। हजारों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है।

पहले स्मार्ट सड़क बननी थी

राजभवन से बरियातू होते हुए बूटी मोड़ तक साढ़े आठ किलोमीटर लंबी सड़क को पहले स्मार्ट बनाने की योजना सरकार ने तैयार की थी। इस सड़क को 29-29 मीटर चौड़ा किया जाना था। साथ ही सड़क के दोनों तरफ फुटपाथ बनाने की योजना थी। सड़क के बीच कम से कम एक मीटर चौड़ा डिवाइडर बनाया जाना था। सड़कों को स्मार्ट बनाने का काम जुडको को सौंपा गया था। इस वजह से इस सड़क को पथ निर्माण विभाग से लेकर जुडको को स्थानांतरित कर दिया गया था। लेकिन अब इस सड़क को वापस पथ निर्माण विभाग को दे दिया है। अब विभाग ने इसका टेंडर किया है।