रांची (ब्यूरो)। अपराध से जुड़े 16 से 18 साल के बाल बंदियों को जल्द ही प्लेस ऑफ सेफ्टी में शिफ्ट किया जाएगा। बाल संप्रेषण गृह में रहने वाले किशोरों के लिए स्पेशल रूप से इस भवन को तैयार किया जाएगा। कांके के मदनपुर इलाके में इसके लिए करीब साढ़े चार एकड़ जमीन चिन्हित की गई है, जहां प्लेस ऑफ सेफ्टी भवन का निर्माण कराया जाएगा। कांके सीओ ने जमीन के संबंध में अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी है। जल्द ही यहां बिल्डिंग का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। जमीन चिन्हित होने और रिपोर्ट आने के बाद समाज कल्याण की ओर से इसकी जानकारी महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग को भेज दी गई है।

स्किल डेवलप होगा

प्लेस ऑफ सेफ्टी में रहने वाले बाल बंदियों को स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग भी जाएगी। साथ ही लाइफ स्टाइल सुधारने और मुख्यधारा से जोडऩे के उददेश्य से इन बाल बंदियों को हुनरमंद भी बनाया जाएगा। इसके अलावा प्लेस ऑफ सेफ्टी में ही शिक्षा की भी व्यवस्था होगी। समय-समय पर ब'चों की कांउसलिंग भी कराई जाएगी, ताकि ब'चे अपराध की दुनिया से बाहर आएं और बेहतर जिदंगी जी सकें। इससे डुमरदगा स्थित संप्रेषण गृह के माहौल में भी बदलाव आएगा।

डीसी ने दिया था निर्देश

डीसी छवि रंजन ने समाज कल्याण विभाग को पत्र लिखकर प्लेस ऑफ सेफ्टी के लिए स्थान चयन करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद कांके अंचल के मदनपुर मौजा में 4.5 एकड़ जमीन चिन्हित करने में विभाग को सफलता मिली है।

क्यों पड़ी जरूरत

रांची के डुमरदगा स्थित बाल संप्रेषण गृह में आए दिन बाल बंदियों के बीच हो रही मारपीट को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से 16 से 18 साल के बाल बंदियों को प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखने का निर्णय लिया गया है। फिलहाल यहां हर वक्त तनाव की स्थिति बनी रहती है। थोड़े लंबे समय से रह रहे बाल बंदी खुद को सीनियर समझते हैं, और वे छोटी उम्र के ब'चों को परेशान करते हैं उनके साथ मारपीट व गाली गलौज करते है। ऐसे में सीनियर बाल बंदियों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करना जरूरी है।

सुधरने के बजाय बिगड़ रहे

कई बार कम उम्र के बाल बंदी इनकी संगत में रहकर सुधरने के बजाय फिर से छूटने के बाद क्राइम में वापस लौट आते हैं। लेकिन प्लेस ऑफ सेफ्टी के निर्धारण से बड़े बाल बंदियों को अलग रखा जा सकेगा। इससे उनके अंदर सुधार लाने के प्रयास के साथ कम उम्र के बंदियों को भी सुधारा जा सकेगा। साथ ही गुटबाजी की संभावना भी कम होगी।

इस साल 4 बार मारपीट

इस साल अब तक चार बार संपे्रषण गृह में मारपीट हो चुकी है। जिसमे कई बाल कैदी गंभीर रूप से घायल भी हो चुके हैं। बीते 6 फरवरी को बाल बंदियों के दो गुटों के बीच हुई मारपीट की घटना में 21 किशोर चोटिल हुए। इसके बाद भी यहां मारपीट की शिकायत आती रही। संपे्रषण गृह में कई बार मोबाइल फोन से लेकर शराब, गांजा व दूसरे नशीले पदार्थ भी बरामद हो चुके है।

कैपासिटी से अधिक बंदी

डुमरदगा स्थित संप्रेषण गृह में क्षमता से अधिक बाल कैदी रहते हैं। यहां कुल 120 बाल बंदियों को रखने की क्षमता है, जबकि 160 से ज्यादा बाल कैदी यहां रह रहे हैं। रांची के अलावा पलामू प्रमंडल के भी तीन जिलों के किशोरों को भी यहां रखा जाता है। इनमे कई तो गंभीर अपराधों में संलिप्त होने की वजह से यहां बंद है। अक्सर बाल बंदी आपस में ही मारपीट कर लेते है।

इन मामलों में बंदी

रांची सहित अन्य संप्रेषण गृह में चोरी, हत्या, डकैती और पोक्सो एक्ट जैसे संगीन मामलों के आरोप में बाल बंदी बंद हैं। इनमें से दर्जनों बंदियों की उम्र 16 से 18 उम्र के बीच है। ये बंदी कई बार छूटने के बावजूद अपराध के आरोप में फिर वापस आ जाते हैं। राज्य में प्लेस ऑफ सेफ्टी नहीं होने से किशोर बाल बंदियों को भी कम उम्र के बंदियों के साथ रखना पड़ रहा है।