RANCHI: सरकार ने कोरोनावायरस के संक्रमण से क्रिटिकल स्थिति में पहुंचनेवाले मरीजों का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज शुरू कर दिया है। रिम्स में यह व्यवस्था शुरू भी कर दी गई है, लेकिन प्लाज्मा डोनेट करने के लिए लोग आगे नहीं आ रहे हैं। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को प्लाज्मा डोनर ढूंढने में काफी परेशानी हो रही है। कई लोग सोशल साइट पर पोस्ट करके लोगों से प्लाज्मा डोनर ढूंढने में मदद करने की अपील कर रहे हैं।

प्रोत्साहित कर रही है सरकार

अब तक सिर्फ स्वस्थ हुए मरीज ही सेंटर पहुंचकर प्लाज्मा डोनेट कर पाए हैं। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब रिम्स की तरफ से प्लाज्मा डोनर के आने-जाने के लिए दो हजार रुपए दिए जाएंगे। रांची से प्लाज्मा डोनेट करने आने वालों को एक-एक हजार रुपए दिए जाएंगे, जबकि झारखंड के दूसरे जिले से आनेवालों को दो-दो हजार रुपए दिए जाएंगे।

अब 14 दिन में ही दे सकते हैं

अब 28 दिनों की जगह 14 दिन के पहले कोरोना से जंग जीतने वाले लोग भी अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकेंगे। प्लाज्मा लेने से पहले डोनर की शारीरिक जांच की जाएगी। प्रशासन की ओर से संपर्क करने के बाद भी ठीक हुए लोग प्लाज्मा डोनेट करने नहीं पहुंच रहे हैं। रिम्स के लैब इंचार्ज राजीव रंजन की मानें तो कोविड-19 के मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद उनका डिटेल्स ब्लड बैंक और अस्पताल प्रबंधन को दे दिया जाता है। इसके बाद उनसे संपर्क किया जाता है कि अगर वह प्लाज्मा डोनेट करने के लिए तैयार हैं तो रिम्स के ब्लड बैंक पहुंचें और अपना प्लाज्मा डोनेट कर दूसरे की जान को बचाएं, लेकिन लोग डर से फिर दोबारा अस्पताल नहीं आना चाहते हैं।

बनी है डॉक्टरों की टीम

प्लाज्मा की कमी दूर करने के लिए रिम्स प्रबंधन ने डॉक्टरों की टीम बनाई है। इसने संक्रमणमुक्त हो चुके 100 लोगों की सूची तैयार की है जो प्लाज्मा दे सकते हैं। इसके बाद टीम लगातार उनसे संपर्क साध रही है, पर कोई भी तैयार नहीं हो रहा। कुछ लोग राजी होते हैं, लेकिन बुलाने पर नहीं आते। अब 10 लोगों ने प्लाज्मा डोनेट करने की इच्छा जताई है।

सेहत पर नहीं पडे़गा असर

कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने के 28 दिन बाद और चार महीने के भीतर प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। एक डोनर महीने में दो बार 400-400 एमएल प्लाज्मा दे सकता है। इससे करीब चार लोगों की जान बच सकती है। एक संक्त्रमित को 200-250 एमएल प्लाज्मा की जरूरत होती है। इच्छुक व्यक्ति का पहले प्लेटलेट्स, हीमोग्लोबीन की जांच होती है। सब ठीक रहा तो प्लाज्मा डोनेशन की इजाजत मिलती है। पूरी प्रक्त्रिया में तीन घंटे लगते हैं। इसके बाद डॉक्टर दो दिन तक अधिक पानी पीने की सलाह देते हैं।

ऐसे काम करती है प्लाज्मा थेरेपी

जो कोरोना मरीज हाल ही में ठीक हुए हैं, उनके शरीर में प्लाज्मा को ब्लड से अलग किया जाता है और इनसे एंटीबॉडीज निकाली जाती है। ये एंटीबॉडीज मरीज के शरीर में इंजेक्ट की जाती है। इसे प्लाज्मा थेरेपी कहते हैं।