RANCHI : ह्यूमन ट्रैफिकर्स को पीएलएफआई का संरक्षण मिल रहा है। सूप्रीमो दिनेश गोप ने ग्रामीण इलाकों में सक्रिय अपने गुर्गो को खास निर्देश दिया है कि मानव तस्करी से जुड़े लोगों को नुकसान न पहुंचाया जाए। इसके बदले में पीएलएफआई के उग्रवादियों द्वारा मोटी लेवी के साथ-साथ दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरू समेत कई महानगरों में शेल्टर मिल रहा है। इधर, मासूम बच्चे-बच्चियों पर तस्करों की नजर से स्टेट को भारी नुकसान हो रहा है।

बेची जा रही हैं बेटियां

पीएलएफआई के संरक्षण के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में आतंक फैल रहा है। बेटियों को खुलेआम बेचा जा रहा है। पुलिस चाहकर भी इस पर रोक नहीं लगा पा रही, क्योंकि उग्रवादियों के खिलाफ कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं है। मानव तस्करी पर काम करने वाली दीया सेवा संस्था समेत कई संस्थानों ने पुलिस को अलर्ट किया है। सामाजिक कार्यकर्ता सीता स्वांशी ने कहा कि झारखंड में मानव तस्कर और पीएलएफआई के बीच गठजोड़ हो गया है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हो गए हैं। इस कारण लड़कियों की तस्करी ज्यादा बढ़ गई है। गांव में नक्सली बच्चियों के गार्जियन को धमकाते हैं।

खुफिया विभाग ने जारी किया अलर्ट

वरीय अधिकारियों की मानें तो यह खतरनाक ट्रेंड सामने आया है। खुफिया विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए सभी जिलों के एसपी को इसपर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि राज्य पुलिस के अधिकारी इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और तस्करी के लिए ले जाए गए बच्चों को छुड़ाने की बात करते रहे हैं।

रांची, गुमला, खूंटी प्रभावित

हाल के दिनों में रांची, खूंटी, सिमडेगा गुमला जैसे जिलों से गायब बच्चों की जब पड़ताल की गई तो ये खुलासा हुआ कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीएलएफ आई के संरक्षण में इनका अपहरण किया गया। हालांकि नक्सलियों द्वारा पहले भी बच्चों को उठाने के मामलों का खुलासा होता रहा है, लेकिन संगठन में भर्ती के लिए अपहरण किया जाता था। लेकिन, इस बार सीधे तौर पर नक्सली व मानव तस्करों के बीच गठजोड़ की बात सामने आई है।

कई ऑपरेशन खटाई म

ऑपरेशन मुस्कान, हम-तुम जैसे अभियान चला कर तस्करी के शिकार बच्चों के रेस्क्यू से लेकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन सारे अभियान खटाई में पड़ गए हैं। वहीं एंटी ह्यूमन ट्रैफि किंग यूनिट की स्थापना कर मानव तस्करों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू की गई और सफलता मिलनी भी शुरू हो गई थी, लेकिन मानव तस्करी के इस नए ट्रेंड ने पुलिसिया रणनीति पर कई सवाल खड़ा कर दिया है।