रांची (ब्यूरो)। पुलिस हेल्प सेंटर का इस्तेमाल ट्रैफिक पुलिस करने लगी है। ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को जब भूख लगती है या फिर जब लंच का समय होता है तो वे इसी पिकेट में जाकर लंच करते हैं। जबकि ट्रैफिक पुलिस के लिए अलग से पिकेट मौजूद है। मगर साफ-सुथरा होने और नया बना होने की वजह से पुलिस कर्मी इसी स्थान पर आकर खाना पसंद करते हैं। ऐसे ज्यादातर समय पुलिस सहायता केंद्र बंद ही रहता है। सिर्फ सहजानंद चौक का सेंटर ही खुलता है क्योंकि यहां से वीआईपी मूवमेंट ज्यादा रहता है। वीआइपी की नजर में पुलिस की छवि खराब न हो, इसलिए मजबूरन खोलकर बैठना पड़ता है। हालांकि, यहां कोई पुलिस पदाधिकारी नहीं होता। ट्रैफिक पुलिस ही पिकेट में बैठे होते हैं।

चौक-चौराहों पर बने थे हेल्प सेंटर

आम पब्लिक की मदद करने के उद्देश्य से रांची के अलग-अलग चौक-चौराहों पर पुलिस सहायता केंद्र बनाया गया है। कुछ सेंटर का उद्घाटन सीनियर एसपी एसके झा ने खुद किया था। लेकिन उन सेंटरों पर भी ताले लटके हुए हैं। चुटिया, धुर्वा, डिबडीह पुल, कुसई कॉलोनी चौक, हिनू चौक और जगन्नाथपुर में पुलिस हेल्प सेंटर बनाए गए हैं। लेकिन कहीं से भी पब्लिक की हेल्प नहीं हो रही है। उद्घाटन के समय खुद वरीय अधिकारी ने ही यह आश्वस्त किया था कि लोगों को अपराध की शिकायत लेकर थाने जाने की जरूरत नहीं होगी। पुलिस सहायता केंद्र से ही वे अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। सहायता केंद्र में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती का भरोसा भी दिलाया गया था, वो भी पूरा नहीं हुआ। आपराधिक घटनाओं पर फौरन एक्शन और पीडि़त को जल्द न्याय मिले इसी की पूर्ति के लिए सहायता केंद्र का कान्सेप्ट लाया गया और कुछ स्थानों पर इसकी स्थापना भी की गई। हालांकि अब भी कई स्थानों पर हेल्प सेंटर की स्थापना होनी है। लेकिन पहले से बने सेंटरों पर ही कोई हेल्प नहीं मिल रही है तो सवाल उठता है कि दूसरे सेंटर के निर्माण का क्या फायदा।

24 घंटे इंस्पेक्टर की होनी थी तैनाती

पुलिस हेल्प सेंटर में पब्लिक की सेवा के लिए 24 घंटे इंस्पेक्टर लेवल के अधिकारी की तैनाती की भी बात कही गई। 24 घंटे तो क्या दो घंटे के लिए भी पुलिस की तैनाती नहीं हुई। अपराधियों पर पैनी नजर रखने के लिए भी इस सेंटर की स्थापना हुई थी। लेकिन शहर की वर्तमान हालत में भी इस सेंटर का उपयोग नहीं किया जा रहा है। सिटी में आये दिन फायरिंग, लूट, छिनतई हो रही है। इसके अलावा पुलिस सहायता केंद्र से ही बीट पुलिसिंग को मजबूत करने और आपराधिक एक्टिविटी पर नजर रखने के उद्देश्य से भी इसका गठन हुआ था। हेल्प सेंटर के बंद रहने से एक भी उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। सेंटर की मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी संबंधित थाना क्षेत्र के प्रभारी की है। लेकिन वे भी इसमें ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे।