RANCHI:कोरोना वायरस के चलते मार्च से लेकर मई तक हुए लॉकडाउन में रांची में प्रदूषण स्तर काफी कम हो गया था। अनलॉक 1.0 में पॉल्यूशन फिर से बढ़ने लगा है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार रांची में पीएम 2.5 के स्तर में करीब 45-60 फीसदी की कमी देखने को मिली थी। अब यह काफी बढ़ गया है। रांची में 20 दिनों में ही प्रदूषण के स्तर में दस फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है।

गाडि़यों के कारण बढ़ रहा प्रदूषण

लॉकडाउन के कारण नियंत्रण में आया प्रदूषण स्तर एक बार फिर उछाल मारने लगा है। बाजार के अनलॉक होते ही 20 दिन में ही प्रदूषण स्तर में दस फीसदी का उछाल आ गया है। माना जा रहा है कि वाहनों की आवाजाही बढ़ने के कारण ही प्रदूषण स्तर फिर बढ़ने लगा है। लॉकडाउन के दौरान शहर का प्रदूषण स्तर राष्ट्रीय मानक से भी कम हो गया था। बाजार के अनलॉक होते ही पर्यावरणविद व वैज्ञानिक चिंतित हो उठे हैं। लॉकडाउन से पूर्व खतरनाक स्तर पर पहुंचा पर्यावरण कुछ ही हफ्ते में नियंत्रण में आने लगा था। लेकिन 20 दिन पहले अनलॉक वन लागू होते ही इसका स्तर फिर बढ़ने लगा है। हालांकि अभी भी यह राष्ट्रीय मानक के अनुरूप है, लेकिन आशंका है कि जैसे-जैसे बाजार, व्यापार व वाहनों की आवाजाही बढ़ेगी, प्रदूषण स्तर बढ़ता चला जाएगा।

कम हुआ था पार्टिकुलेट मैटर

लॉकडाउन से सिटी के एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में भारी सुधार हुआ था। जहां आम दिनों में इसका लेवल 90 से 95 रहता था, वो मई में 50 प्रतिशत से अधिक घटकर 49 पर पहुंच गया था। इससे लोगों को शुद्ध हवा मिलने लगी थी। राजधानी में पिछले कई सालों में ऐसा पहली बार हुआ, जब क्षेत्र के लोगों को इतनी ताजी हवा मिल रही थी। जबकि सामान्य दिनों में शहर में पीएम 10 व पीएम 2.5 का स्तर 100 से ऊपर रहता है। अब फिर से इसका लेवल बढ़ने लगा है।

पीएम 10 में सबसे ज्यादा गिरावट

22 मार्च से 31 मई के बीच शहर में लगातार अच्छी हवा मिल रही थी। जनता क‌र्फ्यू के बाद लॉकडाउन के दौरान पीएम 10 और नाइट्रोजन ऑक्साइड में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली थी।

क्यों बढ़ता है एयर पॉल्यूशन

वायु प्रदूषण बढ़ने की 70 फीसदी वजह वाहनों का धुआं और खुले में निर्माण कार्य से निकलने वाली धूल होती है। पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ नीतीश प्रियदर्शी बताते हैं कि हवा में धूल, धुएं और हानिकारक गैसों के मिश्रण के कारण प्रदूषण बढ़ता है। इस वजह से सूचकांक में बढ़ोतरी हो जाती है, लेकिन लॉकडाउन के कारण निर्माण कार्य बंद रहे। इक्का-दुक्का वाहन चल रहे थे। उद्योग भी पूरी तरह से बंद थे। इन वजहों से प्रदूषण नहीं हो रहा था। अब फिर से सभी चीजें सामान्य दिनों की तरह खुल गई है, इसलिए प्रदूषण का लेबल बढ़ा रहा है।