रांची : रांची में बिजली आपूर्ति की हालत ध्वस्त हो गई है। रोज पांच से छह घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। रात में राजधानी के आधे से अधिक इलाके में ब्लैकआउट रहता है। इससे लोगों को परेशानी हो रही है। सोमवार को भी रांची के कई इलाके में बिजली आपूर्ति गुल रही। सबसे ज्यादा कटौती डोरंडा, हरमू, कोकर, लालपुर, ¨हदपीढ़ी, कांटाटोली आदि इलाके में हो रही है। कोकर में सोमवार की शाम को बिजली गई तो देर रात तक नहीं आई। इसके चलते बड़े इलाके में अंधेरा छाया रहा। कोकर के हैदर अली रोड में सोमवार को करीब 10.30 बजे बिजली गुल हुई। विभाग की ओर से इसकी सूचना भी नहीं दी गई है कि बिजली काटी गई है। चार घंटे के बाद बिजली बहाल हो सकी। इसी तरह शाम 5 बजे फिर से बिजली गुल हुई जो करीब 6.45 में आई। रात 9 बजे फिर से बिजली कट गई। स्थानीय लोगों ने फोन कर बताया कि आधे घंटे से बिजली नहीं है।

दिनभर गायब

इमाम कोठी के आसपास के इलाके में सोमवार को दिन भर बिजली गुल रही। बीच में कुछ देर के लिए बिजली आई मगर, रात होते ही फिर गायब हो गई। इमाम कोठी के इलाके में रहने वाले श्री निवास श्रीवास्तव ने बताया कि सुबह से ही बिजली गुल रहने से लोगों के इनवर्टर भी जवाब दे गए। लोग परेशान रहे।

यही हाल हरमू का रहा। हरमू में शाम को बिजली कटी तो देर रात तक अंधेरा रहा। इससे लोग परेशान रहे। जबकि अधिकारियों का कहना है कि रांची को फुललोड बिजली मिल रही है।

कहां जा रही बिजली

कोकर के रहने वाले राम शिरोमणि कहते हैं अगर राजधानी को फुल लोड बिजली मिल रही है। तो बिजली कहां जा रही है। रोज फाल्ट क्यों हो रहा है। तार टूट रहे हैं। ट्रांसफार्मर जल रहे हैं। इंसुलेटर पंक्चर हो रहे हैं। इसका मतलब है कि बिजली विभाग ने पूरी तैयारी नहीं की है। हर साल नियमानुसार गर्मी शुरू होने से पहले बिजली विभाग पूरी तैयारी करता है। क्योंकि, बिजली विभाग जानता है कि गर्मी में लोड बढ़ने पर उसकी आधारभूत संरचना जवाब दे जाती है। इसलिए ट्रांसफार्मर वगैरह चेक किए जाते हैं। जिन ट्रांसफार्मर में तेल खत्म हो उनमें तेल डाला जाता है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। यही वजह है कि राजधानी में इस बार गर्मी में खूब ट्रांसफार्मर जल रहे हैं। रमजान के कांटा टोली में तीन दिन पहले ट्रांसफार्मर जल गया और लगभग 12 घंटे बाद नया ट्रांसफार्मर लगाया गया। तब बिजली आई। उसके पांच दिन पहले कर्बला चौक पर ट्रांसफार्मर जल गया था।

कई साल पुराने हैं सामान

जानकारों का मानना है कि पावर सब स्टेशनों में बिजली की जो आधारभूत संरचना है वह काफी पुरानी है। पुरानी मशीनें लगी हुई हैं। इसी के चलते वह लोड पड़ने पर जवाब दे जाती हैं और फाल्ट आ जाता है। इस मामले में उपभोक्ताओं को मुसीबत झेलनी पड़ती है। सारे साजोसामान पुराने हैं। इसी वजह से जरा सा लोड पड़ने पर ये साजोसामान बैठ जाते हैं और बिजली गुल होने पर लोगों को परेशानी का सामना पड़ना पड़ता है।

वीआइपी इलाकों के लिए ही हैं ट्राली ट्रांसफार्मर

बिजली विभाग के पास ट्राली ट्रांसफार्मर हैं। जहां भी ट्रांसफार्मर जलता है वहां ट्राली ट्रांसफार्मर को लगाया जाता है। एक ट्राली ट्रांसफार्मर तब तक लगा रहता है जब तक ट्रांसफार्मर बदला ना जाए। इस तरह इलाके की बिजली आपूर्ति बहाल रहती है। लेकिन राजधानी में यह सुविधा वीआइपी इलाके के लिए ही है। राजभवन समेत वीआइपी इलाकों में ही ट्राली ट्रांसफार्मर का प्रयोग किया जाता है। या फिर अगर कोई बड़ा नेता फोन करता है तो ट्राली ट्रांसफार्मर लगाया जाता है। आम जनता के लिए ट्राली ट्रांसफार्मर की सुविधा नहीं है। तीन दिन पहले रमजान कालोनी में जब ट्रांसफार्मर जला था। तो यहां सुबह से लेकर रात तक बिजली नहीं आई थी। ट्रांसफार्मर बदला गया तभी बिजली आपूर्ति बहाल हुई। कई लोगों ने बिजली विभाग के अधिकारियों से ट्राली ट्रांसफार्मर लगाने की बात कही। लेकिन बिजली विभाग ने इस इलाके में ट्राली ट्रांसफार्मर नहीं लगाया।

अभी चल रहा है ट्री क¨टग अभियान

बिजली विभाग को मानसून आने से पहले ही मई तक पेड़ों की डाल की छंटाई का अभियान पूरा कर लेना होता है। मगरा, राजधानी में इसमें कोताही बरती जा रही है। कार्यपालक अभियंता इस काम में लापरवाही बरतते हैं और पेड़ों की छंटाई नहीं हो पाती। इसी वजह से जरा तेज हवा चलने पर डालें बिजली के तारों पर गिरती हैं और तार टूटने से बिजली गुल हो जाती है।

कहीं फाल्ट होता है तो इसकी जानकारी मिलने के बाद फौरन विभाग के इंजीनियर मौके पर जाकर इसे दुरुस्त करते हैं। सभी कार्यपालक अभियंताओं को एक बार फिर निर्देश जारी कर दिया गया है कि ट्रांसफार्मर ठीक कराएं। जिस ट्रांसफार्मर में तेल नहीं है। उनमें तेल डालें। बिजली आपूर्ति व्यवस्था ठीक करें।

-प्रभात कुमार श्रीवास्तव, महाप्रबंधक झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड रांची सर्किल