रांची(ब्यूरो)। रेलवे प्रबंधन प्रीपेड ऑटो सर्विस शुरू करने वाला है, लेकिन बड़ी संख्या में ऑटो चालक इस सर्विस से जुडऩे में असमर्थ हैैं। वजह यह है कि उनके पास लाइसेंस और परमिट ही नहीं है। रेलवे स्टेशन से चलने वाले अधिकतर ऑटो चालकों के पास न तो ड्राइविंग लाइसेंस है और न ही परमिट है। जबकि, रेलवे की और से जारी अधिसूचना में यह स्पष्ट कहा गया है कि जिनके पास परमिट और लाइसेंस नहीं है, वे इस सर्विस में शामिल नहीं हो सकते हंै। अब ऑटो चालकों के सामने यह समस्या खड़ी हो गई है कि वे करें तो क्या करें। हालांकि, इस संबंध में आरपीएफ पदाधिकारी का कहना है कि फिलहाल जिनके पास लाइसेंस और परमिट है, केवल उन्हें ही शामिल किया जाएगा। फिर धीरे-धीरे संख्या में बढोतरी की जाएगी। इसके लिए आरटीओ से भी बात की गई है। जिन ऑटो चालकों के पास लर्निंग लाइसेंस होगा, उन्हें भी इसमें शामिल कर लिया जाएगा। रेलवे स्टेशन से चलने वाले आधे से अधिक ऑटो ड्राइवर के पास ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं है। इधर, ऑटो चालकों का कहना रेलवे फिर एक बार बिना पूरी तैयारी प्रीपेड सर्विस शुरू करने जा रहा है। पहले भी एक बार रेलवे की ओर से दो बार प्रीपेड ऑटो सर्विस शुरू की गई थी। उस वक्त भी तैयारी के अभाव में यह सर्विस फेल हो गई थी।

50 ऑटो चालक भी नहीं आए

रांची रेलवे प्रबंधन जल्द से जल्द प्रीपेड ऑटो सर्विस शुरू करने की योजना बना रहा है। अगले दस दिनों में इस सर्विस को शुरू करने का लक्ष्य है। फस्र्ट स्टेज में रेलवे कम से कम 50 ऑटो से शुरु करना चाहता है। लेकिन संख्या नहीं होने के कारण जितने चालकों के पास लाइसेंस और परमिट होगा रेलवे उन्हीं के साथ यह सर्विस शुरु कर देगा। इस संख्या को बढ़ाकर 200 तक ले जाने को लक्ष्य है। ऑटो चालकों का कहना है ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने जाते हैं, लेकिन वहां समय भी बर्बाद होता है और पैसे भी काफी ज्यादा लगते हैैं। कई बार काम छोड़कर ऑफिस का चक्कर लगा चुके हंै। लेकिन प्रोसेस जटिल होने के कारण लाइसेंस नहीं बन सका। ऑटो चालक संघ के पूर्व अध्यक्ष पप्पू सिंह ने कहा कि ऑटो चालकों की लिस्ट मांगी गयी थी। लेकिन बहुत कम लोगों का नाम गया है।

पैसेंजर्स को होगी सहूलियत

रांची रेलवे स्टेशन पर आने वाले लोगों को अपने गणतव्य स्थान तक जाने के लिए पैसेंजर ऑटो का सहारा लेना पड़ता है। स्टेशन से बाहर आते ऑटो चालक पैसेंजर्स पर टूट पड़ते हंै। सभी अपनी गाड़ी में बैठने के लिए यात्रियों को परेशान भी करते हैैं। इससे सिर्फ रेलवे ही नहीं बल्कि पूरी सिटी की छवि खराब होती है। ऑटो चालक मनमाना भाड़ा भी वसूलते हैं। इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए रेलवे की ओर से प्रीपेड ऑटो चलाने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय पैसेंजर और ऑटो चालक दोनो के लिए सुविधाजनक है। लेकिन पूरी तैयारी के साथ इसे शुरू किया जाए तब बात बनेगी।

रेंट तय, चालकों ने जताई सहमति

रांची रेलवे स्टेशन से प्रीपेड ऑटो सर्विस को लेकर अलग-अलग एरिया का किराया तय कर दिया गया है। अलग-अलग जोन में बांट कर ऑटो का किराया तय किया गया है। सबसे कम 100 रुपए और मैक्सीमम 300 रुपए के किराए पर सहमती बन चुकी है। 300 रुपए भाड़ा देकर रांची के किसी भी कोने में जाया जा सकता है। सिटी के अंदर के इलाकों में 150 से 200 रुपए किराया रखा गया है। प्रबंधन के इस निर्णय पर ऑटो चालकों की ओर से भी सहमति ले ली गई है। जल्द ही ट्रांसपोर्ट अथारिटी की ओर से रेट चार्ट जारी कर दिया जाएगा। हालांकि, कुछ ऑटो ड्राइवर इसका विरोध भी कर रहे है। प्रीपेड ऑटो के लिए स्टेशन के बाहर ही एक काउंटर बनाया गया है, जहां पर जाकर बुकिंग करनी होगी। इसकी पूरी मॉनिटरिंग आरपीएफ के जवान करेंगे।

बाहर बूथ पर ही देना होगा किराया

प्रीपेड ऑटो सर्विस अगले दस दिनों में शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। किसी भी ट्रेन के स्टेशन पहुंचने पर प्रीपेड ऑटो सेंटर से मिनिमम 30 ऑटो पैसेंजर को सर्विस देने के लिए खडे होंगे। स्टेशन से बाहर निकलते ही यात्रियों को बुकिंग के दौरान ही पेमेंट करना होगा। इसके बाद इस सर्विस का फायदा उठा पाऐंगे। ऑटो की बुकिंग स्टेशन के बाहर बने काउंटर से की जाएगी। ऑटो बुकिंग की रसीद भी यात्रियों को दी जाएगी। जहां तक की बुकिंग होगी, ऑटो चालक पैसेंजर को उस स्थान तक छोड़कर आएंगे। प्रीपेड ऑटो सर्विस के ड्राइवर भी यूनिफार्म में रहेंगे।