रांची (ब्यूरो) । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवा केन्द्र चौधरी बगान, हरम् रोड में पर्यावरण दिवस के अवसर पर ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने उद्गार अभिव्यक्त करते हुए कहा कि अभी आवश्यकता है दूषित वातावरण को बदलने की। अगर हम प्रकृति पति परम पुरूष से योग लगा कर वातावरण को ही बदल दे तो स्वत: उस वातावरण में रहने वालों को श्रेष्ठ बनने की प्रेरणा आयेगी और हम एक नये विश्व का निर्माण कर सकेंगे। आभी ऐसे निर्माण के लिए एक सांस्कृतिक मन गढऩे की जरूरत है, जिसके लिए मन रूपी घोड़े को संस्कारित करना जरूरी है। वर्तमान समय मानव के अस्तित्व को बचाये रखने के लिए समाज के बुद्धिमान व्यक्तियों को इस पर विचार करना आवश्यक है।

स्वास्थ्य की परिभाषा

उन्होंने पर्यावरण को मानव स्वास्थ्य से जोड़ते हुए स्वास्थ्य की परिभाषा देते हुए कहा कि स्व स्थिति आर्थात वह इंसान जो आत्मिक स्थिति में स्थित हो। इस स्थिति में सातों गुण ज्ञान, पवित्रिता, शांति, प्रेम, सुख आनन्द और शक्तित की अनुभूति होती है। ज्ञान मस्तिष्क को पोषण देता है, पवित्रता त्वचा को पोषण देती है। उसी प्रकार शांति फेफड़ों को प्रेम-हदय को सुख-आंतों को आनन्द हारमोंस को शक्ति और हडिड्यों को पोषण देती है। परम आनन्द का श्रोत परमात्मा हैं, आज का मानव उससे दूर होता जा रहा है। ज्यों-ज्यों आनन्द कम होता जा रहा है आयु कम होती जा रही है। मेडिटेशन परमात्मा से हमें जोड़ता है। वैचारिक प्रदूषण को कम करने की दिशा में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विद्यालय के द्वारा दिए जा रहे राजयोग का प्रशिक्षण मानव जीवन में उन्नति का सशक्त माध्यम है जो वर्तमान समय स्वयं परमपिता परमात्मा के द्वारा सिखाया जा रहा है।