रांची (ब्यूरो) । गीता के भगवान शिव अवतरित होते हैं तो वह एक रूद्र गीता ज्ञान यज्ञ अथवा मनुष्य गौशाला खोलते हैं जिसमें समर्पित मनुष्यात्मा रूपी गऊओं का लालन-पालन व ज्ञानामृत पिलाकर अथवा.ज्ञान- रूपी घास-पात खिलाकर करते हैं और कामधेनू के समान परोपकारी बनाते हैं। ये उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय चौधरी बगान, हरित भवन के सामने हरमू रोड रांची के स्थानीय केन्द्र
संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने व्यक्त किया$ उन्होंने आगे स्पष्ट करते हुए कहा कि गोपाल नाम ब्रह्मा तन में अलौकिक जन्म लेने वाले पुनर्जन्मरहित परमात्मा शिव का है$
नर-नारियों हैं गोपियां
शास्त्रों में ब्रह्मा की इन्हीं गऊओं का गायन है$ भगवान शिव से ईश्वरीय ज्ञान के अति गुह्य और गोपिओं के रहस्यों को सुनने वाले उन सौभाग्य शाली नर-नारियों को ही गोप और गोपियां कहा गया है$ इनके परमपिता अथवा गोपी वल्लभ भगवान शिव ही हैं$ श्रीकृष्ण तो देहधारी देवता थे, उन्हें परमात्मा नहीं विश्व महाराज कुनार कहते हैं। इसी प्रकार गोकुल नाम परमात्मा शिव की प्रजापिता ब्रह्मामुखबंशावली गोप-गोपियों के सच्चे ब्रह्माण कुल मनुष्यात्मा रूपी गऊओं के कुल या सम्प्रदाय का ही है।
उसी प्रकार मुरली अथवा बंसी नाम भगवान शिव के ब्रह्मामुख कमल से सुनाये जाने वाले ब्रह्माण्ड और सृष्टि के आदि मध्य-अन्त के सत्यज्ञान अथवा गीता ज्ञान का ही है$ इस आध्यात्मिक ज्ञान - मुरली को.सुनकर गोप-गोपियों कोई शारीरिक नृत्य करने नहीं लग पडती थीं, किन्तु परमात्मा द्वारा सतयुगी सृष्टि के.अपार सुखों का वर्णन सुनकर उन्हें कलियुग के अपार दु:खों की सुध-बुध भूल जाती थी और उनका मन खुशी से नाच उठता था$
गोप-गोपियों से पूछो
इसलिए कहावत भी है- यदि अतीन्द्रिय सुख पूछना हो तो गोपीवल्लभ के गोप-गोपियों से पूछो, स्पष्ट है कि मुरलीघर वा वंशीवाला नाम श्रीकृष्ण के नहीं अपितु भगवान निराकार परमपिता अविनाशी निर्विकारी शिव के हैं$।