रांची (ब्यूरो) । पारिवारिक, सामाजिक व प्रशासनिक दबाबों के बीच कार्य करते हुए मानव आज असंतोष, तनाव और कुठा में धिरा हुआ है। कुछ लोग इससे मुक्त होने के लिए बीड़ी, सिगरेट,

तम्बाकू, शराब आदि का प्रयोग करते हैं, लेकिन वास्तव में तनाव का इलाज तम्बाकू नहीं, सिगरेट, शराब आदि एक धीमा जहर है। ये उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के

र्थानीय केन्द्र चौधरी बगान, हरमू रोड में उपस्थित राजकिशोर कर्ण अभियंता ने अभिव्यक्त किये। उन्होंने कहा बचपन में भी कई बच्चे बरी संगति के कारण इस लत के शिकार हो जाते हैं।

जाने-अनजाने फंस जाता है

कार्यक्रम में उपस्थित अभियंता अनिल सिंह ने कहा जो भी व्यक्ति इस लत के वश में एक बार जाने-अनजाने फंस जाता है वह समय से पूर्व ही काल का ग्रास बन जाता है। राजयोग के

अभ्यास से कठिनाईयों का सामना करने की शक्ति में बढ़ोतरी होती है। इस बढ़ी हुई इच्छा शक्ति से मन को स्वच्छ बनाकर मानव मलीन विचारों से मुक्त होता है। स्वास्थ्य और मानसिक शुद्धि के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान की राजयोग रूपी प्रयोगशाला का अनुभव करना चाहिए जिससे रोग प्रतिकारक शक्ति में वृद्धि होती है।

400 खतरनाक रसायन

कार्यक्रम में उपस्थित अभियंता किशोरी जी ने कहा धुम्रपान व तम्बाकू का व्यसन एक बुरी चीज है। देह मंदिर से धुआं निकालते व अग्नि को मुख से निगलते मूर्ख मनुष्य गर्व का अनुभव करते हैं। सिगरेट के धूएं में 400 प्रकार के खतरनाक रसायन रहते हैं। सिगरेट पीने से खुन की मात्रा में निकोटीन की मात्रा अधिक होने से ऑक्सीजन वहन की क्षमता बहुत कम हो जाती है जो हृदयरोग, कैंसर हो सकता है। आठ सिगरेट एक दिन में जेब से निकालकर सुलगाने में 16 मिनट लगते हैं जबकि 15 मिनट के राजयोग अभ्यास से वह आदत छूट सकती है।