RANCHI:सिटी में ट्रैफिक व्यवस्था का हाल बेहाल है। 21 साल राज्य बनने के बाद भी शहर में ट्रांसपोर्टिंग की व्यवस्था नहीं के बराबर है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि रांची में ट्रैफिक व्यवस्था पर काम करने वाली एजेंसी द इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवलपमेंट पॉलिसी(आईटीडीपी) की ओर से रांची की ट्रैफिक व्यवस्था और ट्रांसपोर्टेशन व्यवस्था को लेकर एक सर्वे जारी किया गया है, जिसके अनुसार हर दिन शहर में 36 लोग पैदल चलते हैं। शहर में 15 से 20 सिटी बसें ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर चल रही हैं। आज भी लोगों को सड़कों पर पैदल ही चलना पड़ रहा है।

29 परसेंट लोग ऑटो में

शहर में कहीं आने-जाने के लिए अभी भी सबसे अधिक इस्तेमाल ऑटो का ही किया जाता है। आईटीडीपी के सर्वे के अनुसार शहर में हर दिन 29 परसेंट आबादी ऑटो में सफर करती है। राजधानी में करीब 15,000 ऑटो लोगों के कहीं आने-जाने के लिए उपलब्ध हैं। हालत यह है कि सरकार की ओर से पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर रांची नगर निगम द्वारा सिर्फ 15 से 20 सिटी बसों का ही संचालन किया जा रहा है। बाकी शहर की मैक्सीमम आबादी ऑटो पर ही निर्भर है।

5 परसेंट लोगों के पास कार

सर्वे के अनुसार, राजधानी में सिर्फ 5 परसेंट लोग ही ऐसे हैं, जिनके पास कहीं आने जाने के लिए अपनी कार है और वो इसका इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह 8 परसेंट लोगों के पास अपनी साइकिल है, जिससे वह कहीं आते-जाते हैं। इसी तरह सिर्फ 16 परसेंट लोगों के पास अपनी बाइक है। आज भी शहर में लोगों को चलने के लिए अपनी सवारी नहीं है या तो लोग ऑटो पर निर्भर करते हैं या पैदल ही निकल जाना मुनासिब समझते हैं। शहर में ट्रांसपोर्ट व्यवस्था उपलब्ध कराने के नाम पर सरकार की ओर से कोई भी योजना शुरू नहीं कराई जा रही है, इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

डेली ढाई लाख लोग रोड पर

शहर में हर दिन करीब ढाई लाख की आबादी सड़क पर निकलती है। इसमें से करीब 36 परसेंट आबादी पैदल ही सड़कों पर चलती है। इसके अलावा राजधानी के बाहर के शहरों से भी हजारों की संख्या में लोग रांची शहर पहुंचते हैं। इन लोगों को भी कहीं आने-जाने के लिए ऑटो पर निर्भर रहना पड़ता है या पैदल जाना मुनासिब समझते हैं। इन 21 सालों में भी अगर सरकार लोगों को बेहतर ट्रांसपोर्टेशन राजधानी में उपलब्ध नहीं कर पा रही है तो दूसरे शहरों की क्या हालत होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।