अपनी शर्तों पर जिंदगी जीते थे राजेंद्र यादव


रांची के नामी साहित्यकार डॉ अशोक प्रियदर्शी बताते हैं कि राजेंद्र यादव अपनी शर्तों पर जिंदगी जीनेवाले साहित्यकार थे। उनसे विवाद हो सकता था, पर उनकी उपेक्षा संभव नहीं। उनसे मेरी दो-तीन मुलाकात है। 50 के दशक में जब नई कहानी का दौर शुरू हुआ, तो नई कहानी के शीर्ष कहानीकारों मोहन राकेश, कमलेश्वर और राजेंद्र यादव में एक नाम उनका भी था। उनकी मन्नू भंडारी के साथ मिलकर लिखे गए उपन्यास एक इंच मुस्कान को अपनी प्रयोगधर्मिता के कारण आज भी याद किया जाता है। इसका एक अध्याय मन्नू भंडारी ने तो दूसरा राजेंद्र यादव ने लिखा था। उन्होंने औरतों के हक के लिए अंतिम समय तक लड़ाई लड़ी। उनकी तेरी-मेरी उसकी बात संपादकीय की चर्चा आज भी होती है। उनकी भाषा जितनी अच्छी थी, वे उतने ही मुखर थे।