रांची: राजधानी रांची की मेयर आशा लकड़ा ने गुरुवार को राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर नगर आयुक्त की मनमानी व झारखंड नगरपालिका में निहित प्रावधानों को दरकिनार कर विभिन्न योजनाओं को पारित करने का दबाव बनाने की शिकायत की है। मेयर आशा लकड़ा ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, लोकसभा सांसद संजय सेठ, राज्य सभा सांसद महेश पोद्दार व दीपक प्रकाश, रांची नगर निगम क्षेत्र के सभी विधायकों, नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव, डिप्टी मेयर, नगर आयुक्त समेत 53 वार्ड पार्षदों को भी दी है।

पत्र में क्या है

मुख्य सचिव को लिखे पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा है कि रांची नगर निगम क्षेत्र में किसी भी योजना को धरातल पर उतारने के लिए स्थायी समिति व रांची नगर निगम परिषद से स्वीकृति लेना अनिवार्य है। स्थायी समिति व निगम परिषद की स्वीकृति के बाद ही संबंधित योजना का निष्पादन किया जा सकता है। परंतु नगर आयुक्त स्थायी समिति व निगम परिषद की स्वीकृति के बिना ही कई योजनाओं को प्रशासनिक व तकनीकी स्वीकृति देकर संबंधित योजनाओं का टेंडर कर रहे हैं। इसके अलावा नगर आयुक्त 15वें वित्त आयोग के तहत आवंटित राशि का भी दुरुपयोग कर रांची नगर निगम के चयनित जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं।

नगर आयुक्त पर मनमानी के आरोप

मेयर ने कहा कि नागरिक सुविधा मद की राशि मेयर, डिप्टी मेयर, नगर आयुक्त व सभी वार्ड पार्षदों के बीच निर्धारित अनुपात में आवंटित की जाती है। नगर आयुक्त सिर्फ अपने हिस्से की आवंटित राशि से ही नगर निगम क्षेत्र में किसी योजना को स्वीकृति दे सकते हैं। परंतु इन दिनों वह 15वें वित्त आयोग व नागरिक सुविधा मद की राशि पर अपना एकाधिकार करना चाहते हैं। ऐसी परिस्थिति में नगर आयुक्त ही रांची नगर निगम के 53 वार्डो के नीति निर्धारक हो जाएंगे तो मेयर, डिप्टी मेयर समेत 53 वार्ड पार्षदों की भूमिका क्या होगी। झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 के तहत मेयर, डिप्टी मेयर व 53 वार्ड पार्षदों को भी नगर निगम क्षेत्र के विकास के लिए योजनाएं प्रस्तावित करने का अधिकार है। यदि नगर आयुक्त केंद्र सरकार व राज्य सरकार की ओर से आवंटित फंड पर अपनी मनमानी करेंगे तो चयनित जनप्रतिनिधि आम जनता की मांगों व विकास कार्यो को कैसे पूरा करेंगे।