रांची(ब्यूरो)। राजधानी को साफ रखने के लिए रांची नगर निगम अपनी तरफ से पुरी तैयारी करता है, लेकिन हर बार फेल हो जाता है। जिस कंपनी को शहर साफ करने की जिम्मेवारी दी जा रही है, वह कंपनी ही धोखा दे रही है। पहले ए टू जेड कंपनी को निगम ने काम दिया था। बाद में उसका काम संतोषजनक नहीं पाया गया, तो कंपनी को हटा दिया गया। पिछले साल सीडीसी और जोंटा कंपनी को शहर स्वच्छ रखने के लिए चयन किया गया, लेकिन एक साल बीतने के बाद अब इस कंपनी का काम भी संतोषजनक नहीं है। इस कंपनी को भी अब हटाने की तैयारी निगम द्वारा की जा रही है।

दिसंबर में दिया था काम

पिछले साल 29 दिसंबर 2020 को शहर की सफ ाई व्यवस्था दो निजी कंपनियों के हाथों में सौंपी गई थी। सीडीसी कंपनी को डोर-टू-डोर कूड़ा उठाकर मिनी कचरा ट्रांसफ र स्टेशन तक पहुंचाना था। दूसरी कंपनी जोंटा थी, जिसे शहर के डस्टबिन में जमा कचरे का उठाव करके झिरी में ले जाकर डंप करना था। अब इन दोनों ही कंपनियों को काम शुरू किये हुए एक साल होने को हैं। अब तक दोनों ही कंपनियों का कार्य संतोषजनक नहीं रहा है। नतीजा नगर निगम ने दोनों ही कंपनियों को अल्टीमेटम दिया है कि दिसंबर माह के अंदर कार्य में सुधार करें, नहीं तो रांची शहर से दोनों ही कंपनियों को चलता कर दिया जाएगा।

60 हजार घरों में ही आरएफ आइडी

डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाली कंपनी के लिए यह शर्त रखी गयी थी कि वह शहर के दो लाख से अधिक घरों में आरएफआइडी चिप लगाएगी। जिससे नगर निगम यह देख सके कि कंपनी ने आज कितने घरों से कूड़े का उठाव किया है और कितने घरों से कूड़े का उठाव नहीं किया गया है। इसी आधार पर कंपनी को राशि का भुगतान किया जाना है। लेकिन, एक साल गुजरने के बाद भी अब तक कंपनी ने मात्र 60 हजार घरों में चिप लगाई है। नतीजा निगम यह जांच ही नहीं कर पा रहा है कि आखिर कंपनी प्रतिदिन कितने घरों से कूड़े का उठाव कर रही है।

मात्र 30 स्मार्ट डस्टबिन

शहर की दूसरी कंपनी जोंटा है, जिसे शहर के विभिन्न जगहों पर 77 लोकेशन में 222 स्मार्ट डस्टबिन लगानी थी। इन डस्टबिन में घर से निकलने वाले कूड़े को डाला जाता। फि र जोंटा कंपनी इस कूड़े को उठाकर झिरी में ले जाकर डंप करती लेकिन एक साल गुजरने के बाद कंपनी ने अब तक मात्र 30 डस्टबिन ही लगाये हैं। जो डस्टबिन लगाये गये हैं वे भी फं क्शनल नहीं हंै। केवल शो पीस बनकर रह गये हैं। एक साल का समय सीमा गुजर गया, लेकिन अब तक दोनों ही कंपनियों के कार्य में कोई प्रगति नहीं है। ऐसे में अगर एक माह में स्थिति नहीं सुधरी तो निगम विधि सम्मत कदम उठाएगा।

रैंकिंग में भी रांची रह गई पीछे

स्वच्छ सर्वेक्षण में पिछडऩे का एक कारण यह भी है कि शहर को साफ नहीं रखा गया है। रैंकिंग में पीछे रहने के लिए यह बात उभर कर सामने आ रही है कि डोर-टू-डोर कचरा उठाव नियमानुसार नहीं हो पा रहा है। किसी मोहल्ले में कचरा उठाने वाली गाड़ी रोज जाती है, तो किसी मोहल्ले में हफ्ते में एक दिन जाती है। राजधानी के बहुत से इलाके ऐसे हैं, जहां कचरा उठाने वाली गाड़ी कभी नहीं जाती। इस वजह से लोग कचरा सड़क के किनारे और नालियों में फेंक देते हैं।

हर दिन 700 टन कचरा

राजधानी में प्रतिदिन 700 टन कचरा निकलता है। इसमें से 500 टन कचरा शहर से ले जाकर झिरी के डंपिग यार्ड में फेंका जाता है। बाकी 200 टन कचरा का उठाव नहीं हो पा रहा है। यही कचरा राजधानी की तस्वीर बदरंग कर रहा है।

रांची में लागू होना था इंदौर मॉड्यूल

इंदौर में हर घर से कचरा उठाव होता है। वहां नगर निगम इसकी पूरी तरह से निगरानी करता है। जब हर घर से कचरा उठाव होता है तो किसी घर में बाहर फेंकने के लिए कचरा रहता ही नहीं है। इंदौर शहर में कहीं डस्टबिन नहीं रखी गई है। सभी लोग नगर निगम की आने वाली गाड़ी में ही कचरा डालते हैं। यही सिस्टम रांची में भी शुरू करने की योजना थी, लेकिन यह सफल नहीं हो पा रही है। इंदौर नगर निगम ने एक साल में डेढ़ करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला है। सख्ती के बाद अब इंदौर में हर दुकान में सूखे और गीले कचरे की अलग-अलग डस्टबिन रखी जाती है।

गाड़ी तक नहीं खरीदी गई

सीडीसी कंपनी अभी तक नगर निगम की गाडिय़ों के सहारे ही कचरा उठाव कर रही है। नगर निगम से उसे 204 छोटी गाडिय़ां मिली हैं। कंपनी के अधिकारियों का कहना था कि 100 छोटी गाडिय़ां खरीदी जाएंगी। इस बात की योजना तैयार हुए 6 महीने बीत गए, अभी तक डोर-टू-डोर कचरा उठाव में गाडिय़ों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है।

नियम एवं शर्तों के साथ एजेंसी को काम करने की जिम्मेवारी की गई थी। एजेंसी ने उनका पालन नहीं किया है। अब एजेंसी को पत्र भेजा गया है और उनसे कहा गया है कि जिस एग्रीमेंट के तहत काम करना था, वह एक साल में नहीं हुआ है। यही वजह है कि अब कार्यों की समीक्षा की जाएगी।

रजनीश कुमार, उप नगर आयुक्त, रांची नगर निगम