RANCHI: स्वच्छता सर्वे शुरू होने में अब दो महीने बचे हैं। लेकिन राजधानी रांची को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर निगम की तैयारी कितनी सुस्त चल रही है। कहीं पब्लिक टॉयलेट पर ताला लगा है तो कहीं गंदगी का अंबार लगा है। इतना ही नहीं, कई जगहों पर निगम ने ही गंदगी फैलाने का इंतजाम भी कर दिया है। ऐसे में सर्वे में रांची की रैंकिंग में कितना सुधार होगा यह तो समय ही बताएगा।

मॉड्यूलर टॉयलेट में ताला

लोगों को नेचुरल कॉल आए तो खुले में न जाना पड़े इसके लिए नगर निगम ने सिटी में मॉड्यूलर टॉयलेट बनाए हैं। हर चौक चौराहे के आसपास में पब्लिक टॉयलेट भी है, जिसमें पब्लिक टॉयलेट तो खुले हुए हैं, लेकिन इस पर ताला लगा दिया गया है। अब सवाल यह उठता है कि जब टॉयलेट में ताला लगा है तो इंसान जाएगा कहां? मजबूरी में या तो उसे नेचुरल काल को रोकना होगा या फिर खुले में जाना होगा।

कचरे के कारण सांस लेना मुश्किल

टॉयलेट में ताला लगाने के अलावा उसके आसपास में घेराबंदी कर दी गई है। इस वजह से वहां पर लोगों ने कचरा डालना शुरू कर दिया है। स्थिति यह है कि अब पास से गुजरना भी लोगों के लिए आफत बन गया है। भले ही वहां पर ब्लीचिंग का रेगुलर छिड़काव कराया जा रहा है पर दुर्गध ने लोगों का सांस लेना मुश्किल तो कर ही रखा है।

वेस्ट डिस्पोजल में मिला था जीरो

स्वच्छता सर्वे 2020 में रांची को देशभर में 30वीं रैंक मिली थी, जिसमें वेस्ट डिस्पोजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण रांची को एक भी मा‌र्क्स नहीं मिला था। जबकि पेपर में नगर निगम ने अपनी पूरी तैयारी की थी। इस बार भी रांची नगर निगम पेपर को अपडेट करने में लगा है। कागजों पर ही सारी तैयारी की जा रही है। लेकिन जमीन पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा।

फाइलों में ही अटकी सफाई-डिस्पोजल व्यवस्था

डोर टू डोर का काम अभी रांची नगर निगम खुद कर रहा है। लोड अधिक होने के कारण हर घर तक निगम की टीम नहीं पहुंच पा रही है, जिससे कचरा का कलेक्शन रेगुलर नहीं हो पा रहा है। अब नगर निगम ने एजेंसी को फाइनल करने के बाद नगर विकास विभाग को भेज दिया है। लेकिन फाइल अबतक विभाग में ही है। वहीं डिस्पोजल को लेकर भी गेल ने इंटरेस्ट दिखाया है। उसपर भी अंतिम निर्णय नहीं हो सका है।