रांची(ब्यूरो)। अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन जो दूसरों के काम आए, उसका क्या कहना। जी हां, अपना खून देकर किसी दूसरे की जिन्दगी बचाना कोई साधारण बात नहीं है और झारखंड के लोगों ने इस नेक काम में दो दशक का रिकॉड तोड़ दिया है। अप्रैल से लेकर अगस्त तक जहां राज्य भर में 151240 यूनिट ब्लड कलेक्ट किया गया है तो सिर्फ अगस्त महीने में सर्वाधिक 33,172 यूनिट ब्लड कलेक्शन का रिकार्ड बन गया है, जो पिछले 23 साल में एक महीने में हुए ब्लड कलेक्शन में सबसे ज्यादा है। ऐसे लोगों के लिए तो बस एक ही शब्द बनता है, वेलडन।

1236 कैंप लगाए गए

झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से अगस्त तक 1,51,240 यूनिट रक्त संग्रह किया गया है। इनमें सर्वाधिक अगस्त महीने में 33,172 यूनिट रक्त संग्रह किया गया है, जो कि झारखंड राच्य के गठन के बाद अब तक का सर्वाधिक मासिक रक्त संग्रह है। वहीं, इसके लिए अप्रैल से लेकर अगस्त तक 1236 स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया।

फैक्ट फाइल

मंथ ब्लड(यूनिट में)

अप्रैल 28,844

मई 28,193

जून 30,301

जुलाई 30,730

अगस्त 33,172

कुल 1,51,240

नेगेटिव ग्रुप की है कमी

सिटी के ब्लड बैंकों में नेगेटिव ग्रुप के खून की कमी है। वहीं कुछ बैंकों में तो यह आउट आफ स्टॉक भी हो चुका है। हालांकि, रिम्स में इमरजेंसी के लिए कुछ यूनिट ही ब्लड को रिजर्व रखा गया है। ऐसे में लोगों से बढ़-चढ़कर ब्लड डोनेट करने की अपील की जा रही है, ताकि ब्लड बैंकों में स्टॉक किया जा सके। राजधानी के सबसे बड़े ब्लड बैंक रिम्स में नेगेटिव ग्रुप के कुछ यूनिट्स ही अवेलेबल हैं। इसकी एक बड़ी वजह प्राइवेट हास्पिटल्स में भी ब्लड की ज्यादा डिमांड है। जहां जरूरत पडऩे पर रिम्स से भी ब्लड लेकर जाते हैं, ताकि मरीज की जान बचाई जा सके। ऐसे में इमरजेंसी की एक-दो यूनिट छोड़कर खून परिजनों को दे दिया जाता है।

रांची में यहां ब्लड अवेलेबल

राजधानी रांची शहर में रेड क्रॉस, मेडिका ब्लड बैंक, राम प्यारी ब्लड बैंक, हेल्थ प्वाइंट ब्लड बैंक, मेदांता ब्लड बैंक, झारखंड ब्लड बैंक, पारस ब्लड बैंक, नागरमल मोदी सेवा सदन ब्लड बैंक, राज हॉस्पिटल ब्लड बैंक, गुरुनानक हॉस्पिटल ब्लड बैंक, देव कमल अस्पताल, सैमफ ोर्ड हॉस्पिटल में ब्लड बैंक हैं। रिम्स ब्लड बैंक की इंचार्ज डॉ सुषमा बताती हैं कि फिलहाल रिम्स में पर्याप्त ब्लड है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से रिम्स ब्लड बैंक में रक्त की मांग बढ़ गई है, क्योंकि निजी ब्लड बैंकों में रक्त संग्रह काफी कम हो गया है। ऐसे में लोग रिम्स पहुंच रहे हैं।

विकल्प में मिल सकते है

-इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी समेत सामाजिक संस्थाएं शिविर लगाकर रक्त संग्रह करती हैं। इसे ब्लड बैंक को दिया जाता है। उपलब्ध रहने पर वहां से मिल सकता है।

-कई जिलों में युवाओं ने रक्तदान समूह बना रखा है। उनसे संपर्क कर ब्लड ग्रुप बताने पर समूह के लोग इंतजाम कर देते हैं।

-मरीज के परिजन पहले ब्लड डोनर की तलाश करते हैं। ब्लड डोनर परिवार के सदस्य भी हो सकते हैं। उनसे रक्त लिया जाता है।

बढ़ी है जागरूकता

रक्तदान के प्रति अब भी लोगों में जागरूकता की जरूरत है। पढ़े-लिखे लोग भी ब्लड दे रहे हैं। कोरोना के बाद ब्लड डोनर्स की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। एनीमिया, थैलेसीमिया पीडि़त, गर्भवती महिलाओं समेत गंभीर रोगों के मरीजों को हर महीने रक्त की जरूरत होती है। रक्तदान के लिए प्रचार-प्रसार अभियान चलाकर लोगों को इसका फायदा बताया जाता है।