रांची(ब्यूरो)। शिक्षकों को सीखने की ललक छोडऩी नहीं चाहिए। उन्हें हमेशा नए चीजों को जानने की उत्सुकता होनी चाहिए। साथ ही खुद को समय के साथ अपडेट करना भी जरूरी है। ये बातें सीनियर करियर काउंसेलर सह ट्रेनर साइमा खान ने शिक्षकों के लिए आयोजित रीइमेजनिंग एजुकेशन वर्कशॉप में कहीं। इस कार्यक्रम का आयोजन अमृता विश्व विद्यापीठम और दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से किया गया, जिसमें अमृता विश्व विद्यापीठम से एकेडमिक मैनेजर सह कांउसेलर, डायरेक्टर ऑफ एडमिशन एंड एकेडमिक आउटरीच डॉ शौर्य कुटप्पा, सीनियर करियर काउंसेलर सह ट्रेनर साइमा खान मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुईं। स्टेशन रोड स्थित होटल बीएनआर में आयोजित इस वर्कशॉप की शुरुआत सरस्वती वंदना और लैंप लाइटिंग के साथ हुई। इसके बाद शिक्षकों को क्वालिटी एजुकेशन से जुड़े कई महत्वपूर्ण टिप्स दिए गए। कार्यक्रम में सिटी के टॉप स्कूलों से डिफरेंट सब्जेक्ट्स के 50 टीचर्स शामिल हुए।
टीचर का रिप्लेसमेंट नहीं
अमृता विश्व विद्यापीठम से आए एकेडमिक मैनेजर और काउंसेलर डॉ। शौरी कुटप्पा ने प्रॉब्लम सॉल्विंग इंटेलिजेंस को कैसे पहचानें, एआई इंटेलिजेंस मापने का सही तरीका है क्या आदि विषयों पर शिक्षकों के साथ इंट्रैक्शन किया। उन्होंने बताया कि मशीन की क्षमता सीमित है। वह कई चीजें नहीं बता सकती, लेकिन शिक्षक ज्ञान के सागर हैं और उनका कोई रिप्लेसमेंट नहीं हो सकता है। शिक्षकों को हमेशा अपडेट रहना चाहिए। बच्चों से ज्यादा शिक्षकों को मेहनत करने की जरूरत है। तभी शिक्षक बच्चों के सारे डाउट्स क्लीयर कर पाएंगे।
फैसिलिटेटर नहीं चेंजमेकर
वर्कशॉप में आई सीनियर करियर कांउसेलर एंड ट्रेनर साइमा खान ने कहा कि शिक्षकों में जानने की ललक और उत्सुकता हमेशा बनी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी तैयारी करनी चाहिए। उन्हें अपने एक्सप्रेशन और प्रोनाउंसिएशन पर भी ध्यान देना चाहिए। टीचर अच्छे से पढाएंगे तो बच्चे भी अच्छे से समझेंगे। शिक्षक को लंबे और बोरिंग लेक्चर से बचना चाहिए। आज शिक्षकों का रोल बदल रहा है और अब उन्हें फैसिलिटेटर कहा जा रहा है, लेकिन टीचर फैसिलिटेटर नहीं चेंजमेकर हैं, क्योंकि वे समाज में बदलाव लाते हैं। उनके बिना बेहतर समाज की कल्पना बेमानी है। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि क्लास में पढ़ाते वक्त हर बच्चे का इन्वॉल्वमेंट होना चाहिए। बच्चों को क्लास में सोचने का और बोलने का मौका देना चाहिए। करियर काउंसलर साइमा खान ने भी राजधानी रांची के शिक्षकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि रांची के स्कूलों के टीचर जानकार और सीखने की ललक रखने वाले हैं।
इन स्कूलों के टीचर्स हुए शामिल
सेंट्रल एकेडमी, टॉरियन वल्र्ड पब्लिक स्कूल, सेंट माइकल पब्लिक स्कूल, पाल्म इंटरनेशनल स्कूल, स्टार इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल, ब्रिजफोर्ड पब्लिक स्कूल, लाला लाजपत राय पब्लिक स्कूल, नीरजा सहाय डीएवी पब्लिक स्कूल, जेवीएम श्यामली, स्प्रिंगडेल पब्लिक स्कूल, गुरुगोविंद सिंह पब्लिक स्कूल, डीएवी हेहल, एस्कॉट पब्लिक स्कूल, बलदेव पब्लिक स्कूल, अनिता गल्र्स कॉन्वेंट।
20 स्कूलों से आए थे टीचर्स
वर्कशॉप में सिटी के 20 टॉप स्कूलों के टीचर्स ने पार्टिसिपेट किया। शिक्षकों ने भी कार्यक्रम को सराहा। शिक्षकों ने कहा कि टीचर्स के लिए भी वर्कशॉप और ट्रेनिंग जरूरी है, ताकि वे भी समय से अपडेट होते रहें और बच्चों को क्वालिटी युक्त शिक्षा मिलती रहे। क्वेश्चन-आंसर सेशन में शिक्षकों ने भी अपने डाउट्स क्लीयर किए। दोनों स्पीकरों से इंट्रैक्शन में शिक्षकों ने अपने प्वाइंट्स सामने रखे।
क्या कहते हैं टीचर्स
काफी अच्छा सेशन रहा। काफी कुछ सीखने को मिला। टीचर्स के लिए भी समय-सयम पर ट्रेनिंग की जरूरत होती है।
- विजय कुमार शर्मा, राइज एकेडमी

दैनिक जागरण और अमृता विश्व विद्यापीठम का आभार। काफी अच्छा कार्यक्रम रहा। दोनों स्पीकर्स से काफी कुछ सीखने को मिला।
- अंजली कुमारी सोनी, सरला बिरला

वर्कशॉप में कुछ न कुछ सीखने को ही मिलता है। ऐसे आयोजन हमेशा होने चाहिए। इससे टीचर भी अपडेट रहते हैं।
- अनामिका मिश्रा, सेंट्रल एकेडमी


वर्कशॉप के सभी सेशन अच्छे रहे। दोनों स्पीकर ने बेहतर तरीके से चीजों को समझाया। खासकर साइमा मैडम का सेशन इंट्रैक्टिव रहा।
- नीरज कुमार तिवारी, विकास विद्यालय

बेहद शानदार आयोजन था। कार्यक्रम में कई चीजें सीखने को मिलीं। सभी शिक्षक बच्चों को बेहतर शिक्षा देने चाहते हैं। इसके लिए उन्हें भी नॉलेजेबल होना जरूरी है।
- डॉ वंदना, जेवीएम श्यामली