- लगभग 100 से ज्यादा अपील याचिकाओं पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

- आदेश के खिलाफ सरकार नहीं दाखिल करेगी अपील : महाधिवक्ता

-छठी जेपीएससी के चयनित अभ्यर्थियों को ने ली राहत की सांस

रांची: छठी जेपीएससी के चयनित अभ्यर्थियों को झारखंड हाई कोर्ट से अंतरिम राहत मिली है। झारखंड हाई कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश पर अगले आदेश तक यथास्थिति (स्टेट्स-को) बनाए रखने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में एकल पीठ में याचिका दाखिल करने वाले सभी प्रार्थियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद फिलहाल 326 पदाधिकारियों की नौकरी बच गई है।

हालांकि अदालत ने कहा है कि इस मामले में अंतिम निर्णय के बाद उक्त अभ्यर्थी किसी प्रकार से नौकरी का दावा नहीं करेंगे। इस संबंध में अपील करने वालों का पक्ष रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण की ओर से अंडरटे¨कग दी गई है।

28 सितंबर अगली डेट

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 28 सितंबर की तिथि निर्धारित की है। सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार के पक्ष पर हैरानी जताई। जब महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि इस मामले में राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश का अनुपालन करने का निर्णय लिया है। इसलिए सरकार की ओर से कोई अपील दाखिल नहीं की गई है। इस पर अदालत ने कहा कि एकलपीठ में सुनवाई के दौरान सरकार ने जेपीएससी की ओर से जारी मेरिट लिस्ट को सही माना था। लेकिन अब सरकार अपना निर्णय बदल रही है।

सरकार के पक्ष पर सहमति

इस दौरान जेपीएससी की ओर से सरकार के पक्ष पर ही सहमति दी गई है। हालांकि कोर्ट ने इस दौरान पूछा कि क्या जेपीएससी ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की है। इस पर जेपीएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और ¨प्रस कुमार सिंह ने अपील दाखिल करने की बात कही। अदालत ने पूछा कि क्या अपील वापस ले ली गई है। उनकी ओर से कहा गया कि बिना कोर्ट की अनुमति के अपील वापस नहीं ली जा सकती है। अभी उस पर सुनवाई लंबित हैं।

-------------

जेपीएससी की ओर से जारी मेरिट लिस्ट बिल्कुल सही : प्रशांत भूषण

सुनवाई के दौरान अपील दाखिल करने वालों की ओर से पक्ष रख रहे प्रशांत भूषण ने कहा कि जेपीएससी ने विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप ही मेरिट लिस्ट जारी किया है। विज्ञापन के अनुसार पेपर वन (¨हदी व अंग्रेजी) में क्वालिफाइंग मा‌र्क्स लाना अनिवार्य था। लेकिन इस अंक को कुल प्राप्तांक में नहीं जोड़ा जाना है, ऐसी कोई शर्त निर्धारित नहीं है। इसके अलावा कुछ छह पेपर में किसी प्रकार के न्यूनतम अंक लाने की शर्त नहीं है। विज्ञापन के अनुसार कुल 1050 अंक के छह पेपर थे, जिसमें पेपर वन का अंक भी शामिल है। अगर पेपर वन के अंक को नहीं जोड़ा जाता है, तो कुल अंक 950 होंगे। इसलिए जेपीएससी ने पेपर वन के मा‌र्क्स को जोड़कर ही मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी किया है और मेरिट लिस्ट जारी की है।

क्वालिफाइंग अनिवार्य

प्रशांत भूषण ने कहा कि पेपर वन में क्वालिफाइंग मा‌र्क्स (30 प्रतिशत) लाना अनिवार्य था। ऐसा नहीं होने पर उनका चयन नहीं होता। अदालत ने सवाल उठाया कि अगर कोई पेपर वन को छोड़ कर सभी पेपर में 70 प्रतिशत अंक प्राप्त करता है, लेकिन पेपर वन में क्वालिफाइंग अंक नहीं लाया तो उसे फेल माना जाएगा। सभी ने इस पर सहमति जताई। इस दौरान वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि छठी जेपीएससी परीक्षा में चयनित हुए अभ्यर्थी एक साल से नौकरी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार उनकी नियुक्ति पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। भले ही विज्ञापन गलत हो। अदालत ने कहा कि अगर विज्ञापन गलत हुआ तो उससे हुई सारी प्रक्रिया गलत होगी। अपील करने वाले शिशिर तिग्गा की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने पक्ष रखा।

-----------------

एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील नहीं करेगी सरकार : महाधिवक्ता

सुनवाई के दौरान अपीलार्थी की ओर से बहस पूरी करने के बाद अदालत ने महाधिवक्ता राजीव रंजन से उनका पक्ष पूछा। इस पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश के अनुपालन करने का निर्णय लिया है। यानी मेरिट लिस्ट में संशोधन किया जाएगा। इसके चलते ही राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ कोई अपील दाखिल नहीं की है। अदालत ने कहा कि इस मामले में सरकार अपना स्टैंड बदल रही है और तटस्थ हो गई है। ऐसा करने से कई चयनित अभ्यर्थियों की नौकरी खतरे में है। हालांकि कोर्ट ने माना कि यह सरकार का निर्णय हो सकता है, कि वह अपील दाखिल करने या नहीं। महाधिवक्ता ने कहा कि अब इस मामले में खंडपीठ का जो भी आदेश होगा, उसका पालन किया जाएगा।

नहीं बनाया प्रतिवादी

इस मामले में सुनवाई के दौरान कई अधिवक्ताओं ने इस मुद्दे को उठाया कि कई ऐसा अभ्यर्थियों को अपील में प्रतिवादी नहीं बनाया गया है, जिन्होंने एकल पीठ में याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद ही कोर्ट ने मेरिट लिस्ट संशोधित करने का आदेश दिया है। इस पर अदालत ने एकल पीठ में याचिका दाखिल करने वाले सभी अभ्यर्थियों को प्रतिवादी बनाने के लिए नोटिस जारी किया है।

इस दौरान प्रतिवादियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अपराजिता भारद्वाज, विकास कुमार, कुमारी सुगंधा और अमृतांश वत्स ने पक्ष रखा।

मेरिट लिस्ट किया है निरस्त

इस मामले में एकलपीठ ने जेपीएससी की ओर से जारी मेरिट लिस्ट को निरस्त कर दिया है। अदालत ने अपने आदेश में माना है कि पेपर वन (¨हदी व अंग्रेजी) का क्वालिफाइंग मा‌र्क्स कुल प्राप्तांक में नहीं जोड़ा जा सकता है। साथ ही सभी पेपर में न्यूनतम अंक सभी अभ्यर्थियों को लाना अनिवार्य होगा। इसी आधार पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था।

--