रांची (ब्यूरो): अगर तर्कसंगत जवाब नहीं मिलता है, तो एलाटमेंट भी कैंसिल किया जाएगा। जियाडा की ओर से जिस स्पेशलिस्ट इंडस्ट्री लगाने के लिए जमीन दी गई थी, उस काम को नहीं करके दूसरा काम शुरू कर दिया गया। अधिकतर ने तो घर बनाकर रेंट पर लगा दिया है। यह उद्योग की श्रेणी में नहीं आता। यही वजह है कि अब जियाडा ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने जा रहा है।

बना लिया है आशियाना

इंडस्ट्रीयल एरिया में बहुत सारे ऐेसे लोग भी हैं, जिन्होंने जमीन तो इंडस्ट्री लगाने के लिए ली, लेकिन वहां अपने सपनों का महल बना लिया। बहुत सारे लोगों ने इंडस्ट्री लगाने के बजाए घर बना लिया है। यहां करोड़ों रुपए जो इंडस्ट्री खड़ी करने में खर्च किए जाने थे, उन पैसों से लोगों ने आलिशान मकान बना लिये। ऐसे लोगों को भी नोटिस दिया गया है। घर बनाने वाले लोगों से जब बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने जवाब देना मुनासिब नहीं समझा और फोन काट दिया।

सब लीज और रेंट नहीं दे सकते

जियाडा के एक अधिकारी ने बताया कि इंडस्ट्रीयल एरिया में जिस मकसद से लोगों को जगह दी गई है, वही काम उनको करना है। लेकिन कोकर इंडस्ट्रीयल एरिया में बहुत सारे लोगों ने अपनी जमीन को रेंट पर भी दे दिया है। वैसे लोगों को भी नोटिस भेजा जा रहा है। जियाडा के अधिकारी ने बताया कि जियाडा की लीज प्रोपर्टी को अगर कोई सब लीज या रेंट पर देता है, तो यह एग्रीमेंट का उल्लंघन माना जाएगा और उसे कैंसिल भी किया जाएगा।

80 लोगों की है इंडस्ट्री

कोकर इंडस्ट्रीयल एरिया में टोटल 165 प्लॉट उपलब्ध हैं। इसमें से 80 इंडस्ट्री अभी चल रही है। इसमें से 35 लोगों को जियाडा की ओर से नोटिस भेजा गया है, जिन्होंने शर्तों का उल्लंघन किया है। जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है, उनको पहले भी कई बार नोटिस भेजा जा चुका है। अब इस बार फिर से नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने को कहा गया है।

कई साल से हैं बंद

कोकर इंडस्ट्रीयल एरिया में कई ऐसे प्लाट भी हैं, जो कई साल से बंद पड़े हैं। वहां कोई भी व्यावसायिक गतिविधि नहीं हो रही है। लोगों ने एक बार प्लॉट ले लिया। कुछ दिन तक बिजनेस किया उसके बाद उसे बंद कर दिया। अब इसका उपयोग कुछ नहीं हो रहा है। ऐसे बंद पड़े उद्योगों को भी नोटिस भेजा गया है कि क्यों नहीं उनका प्लॉट कैंसिल करके दूसरे लोगों को दिया जाए।

90 साल की लीज पर मिली जमीन

कोकर इंडस्ट्रीयल एरिया में जितने भी प्लॉट लोगों को लीज पर दिये गये हैं, वह 90 साल की लीज पर हैैं। एकीकृत बिहार के समय राज्य सरकार ने 1974 में कोकर इंडस्ट्रीयल एरिया का गठन किया था। उसी समय बहुत सारे लोगों को एक साथ 90 साल की लीज पर जमीन दी गई थी। अब सरकार ने नियम बदल दिया है। जिन नए लोगों को अब प्लॉट दिया जा रहा है, उनको 30 साल के लिए जमीन मिल रही है।

बिहार के समय गुलजार था एरिया

एचईसी की स्थापना के बाद कोकर इंडस्ट्रियल एस्टेट की स्थापना की गई थी। इनमें कई छोटी-बड़ी कंपनियां खुलीं। यहां सबसे बड़ी कंपनी ब्रिटिश की मिनीमैक्स और डकबैक कंपनी थी। डकबैक को बिहार रबर कंपनी के नाम से जानते हैं। मिनीमैक्स फायर बिग्रेड और फ ायर एक्सटिंग्यूशर बनाया करती थी। भारत की यह प्रमुख कंपनी थी, लेकिन यह कंपनी यहां दो साल ही चली।

कई तरह की थीं कंपनियां

यहां रबर, रेनकोट, प्रिंटिंग प्रेस, फैंसी कागज व बोर्ड, मेडिसीन व आयुर्वेद दवाएं, फूड प्रोडक्ट, पैक रसगुल्ला व मिष्ठान्न, ब्रेड, लकड़ी के खिलौने व फर्नीचर, प्लास्टिक कंघी और अन्य सामान, बिजली बल्ब, मोटर बाइंडिंग, प्लास्टिक रबर होस पाइप, चमड़ा जूता, गारमेंट्स, कालीन, इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रॉनिक सामान, सीमेंट ह्यूम पाइप, मोम, चूना पाउडर, चूर पत्थर, मिट्टी की प्रतिमाएं, लोहा का बेलचा-फावड़ा, रेल का चक्का, गाड़ी की स्प्रिंग पत्ती, बस-ट्रक बॉडी बिल्डिंग, रेडिएटर, गाड़ी बैट्री, लोहे के टेबल-चेयर, आलमारी, ग्रिल आदि के कारखाने थे।

कोकर इंडस्ट्रीयल एरिया में 35 लोगों को नोटिस भेजा गया है, उनसे पूछा गया है कि उनको जिस मकसद से प्लाट दिया गया था, वह पूरा क्यों नहीं कर रहे हैं? जिस काम के लिए जमीन ली थी, उसके जगह दूसरा काम क्यों कर रहे हैं? 30 दिन का समय दिया गया है। जवाब तर्कसंगत नहीं मिलने पर जांच की जाएगी, जांच में सही पाए जाने पर प्लॉट का री-एलाटमेंट किया जाएगा।

अजय कुमार सिंह, क्षेत्रीय निदेशक, जियाडा, रांची