रांची: हार्ट को पूरी बॉडी का पावर हाउस कहा जाता है। अगर दिल धड़कना बंद कर दे तो इंसान की सांसें थम जाती हैं और उसका अंतिम समय आ जाता है। लेकिन रिम्स के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में मरीजों के दिल का इलाज किया जा रहा है। वहीं जिनके दिलों की धड़कन पर ब्रेक लगने वाला था उसे डॉक्टरों ने फिर से धड़का दिया है। आज ऐसे लोग फिर से अपनी नार्मल लाइफ जी रहे हैं। इतना ही नहीं, जिन्होंने जीने की उम्मीद छोड़ दी थी आज उनका जीवन भी पहले की तरह हो गया है। और यह सब हो पाया है रिम्स में दिल का इलाज करने वाले डॉक्टरों की वजह से। यही वजह है कि रिम्स के हार्ट सर्जन और कार्डियक सर्जन दिल से मरीजों का इलाज कर रहे हैं, ताकि उन्हें नया जीवन मिल सके।

7 महीने में 45 ओपन हार्ट सर्जरी

पिछले साल अक्टूबर में रिम्स में लिमिटेड संसाधनों के साथ ओपन हार्ट सर्जरी शुरू हुई। उस समय मरीजों का आपरेशन करना एक बड़ा चैलेंज था। लेकिन हार्ट सर्जन डॉ अंशुल के नेतृत्व में टीम ने मरीजों की ओपन हार्ट सर्जरी शुरू की। जिसके लिए मरीजों को दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता था। वहीं इलाज कराने में भी काफी पैसे खर्च करने होते थे। आज 45 लोगों की ओपन हार्ट सर्जरी हुई और वे अपनी नार्मल लाइफ जी रहे हैं, जिसमें से 40 लगातार हार्ट सर्जन से फॉलोअप के लिए जुड़े हुए हैं। वहीं ओपन हार्ट सर्जरी के बाद कई बार डॉक्टर दो-दो दिनों तक अपने घर नहीं जा पाते। चूंकि पेशेंट को लगातार मॉनिटर करने की जरूरत पड़ती है। स्ट्रेंथ कम होने के बावजूद हर हफ्ते दो मरीजों की ओपन हार्ट सर्जरी की जा रही है।

मैनपावर की कमी चुनौती

दिल के मरीजों को ट्रीटमेंट के बाद प्रॉपर केयर की जरूरत होती है, जिसके लिए मैनपावर सबसे जरूरी होता है। लेकिन रिम्स के कार्डियोलॉजी में आजतक मैन पावर की फुल स्ट्रेंथ नहीं है। वहीं हार्ट सर्जरी डिपार्टमेंट में तो गिनती के डॉक्टर व स्टाफ हैं। इसके बावजूद डॉक्टर हार मानने को तैयार नहीं हैं। मरीजों को बेहतर इलाज देना ही लक्ष्य बना लिया है। हालांकि, जब अपनी कैपासिटी जवाब देने लगती है तो मरीजों की जान बचाने के लिए रेफर करने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं होता। स्ट्रेंथ नहीं होने के कारण चाहकर भी वे मरीजों का इलाज कर पाने में सक्षम नहीं होते। हालांकि, इसके लिए प्रक्रिया तो शुरू हुई पर पूरी नहीं की जा सकी। ऐसे में मरीजों का इलाज चैलेंज से कम नहीं।

दिल के मरीजों के लिए वरदान

आज से दस साल पहले रिम्स में कार्डियोलॉजी विंग की शुरुआत हुई। डॉ हेमंत नारायण ने इस विंग को अपनी टीम के साथ मिलकर सुपरस्पेशियलिटी के लेवल पर पहुंचा दिया। इसके बाद कैथलैब और फिर हार्ट सर्जरी की शुरुआत हुई। आज दिल के मरीजों के लिए रिम्स का यह विंग वरदान साबित हो रहा है। चूंकि दिल के इलाज के लिए अब मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल्स की दौड़ नहीं लगानी पड़ रही है। वहीं नए डॉक्टरों के आने से मरीजों का भी भरोसा रिम्स पर बढ़ गया है।

सीजीएचएस रेट पर इलाज

दिल के मरीजों का इलाज रिम्स में सेंट्रल गवर्नमेंट के तय रेट पर किया जाता है, जिससे कि मरीजों पर ज्यादा बोझ भी नहीं पड़ता और उनका इलाज हो जाता है। इसके तहत बीपीएल व आयुष्मान कार्ड वाले मरीजों का इलाज तो फ्री में किया जाता है। जबकि एपीएल के लिए भी सरकार ने रेट तय किया है, जिससे कि कम खर्च में ही बेहतर इलाज किया जा रहा है। हालांकि, ओपन हार्ट सर्जरी में रेट को लेकर कुछ चीजें तय की जानी हैं। इसके बाद मरीजों को इलाज का और लाभ मिलने लगेगा।

हार्ट सर्जरी केस

35 साल की एक महिला सफाई का काम करती थी। इस बीच उसे थकना, हांफने और वजन घटने के अलावा बॉडी में सूजन की शिकायत होने लगी। यह उस पर इतना हावी हो गया कि वह मेंटल हेल्थ की चपेट में आ गई। परिजन उसे लेकर रिम्स में आए। जहां सीटीवीएस में तत्काल एडमिट कर उसका साइकियाट्री ट्रीटमेंट शुरू हुआ। जब उसका टेस्ट किया तो पाया कि उसके हार्ट में बड़ा होल हो गया है, जिसे सर्जरी कर पैच लगाकर बंद किया।

आर्टरी ब्लाकेज केस

55 साल के एक व्यक्ति के हार्ट की आर्टरी में चार ब्लॉकेज थे, जिसमें राइट आर्टरी 90 परसेंट ब्लॉक था। इस वजह से उन्हें काफी परेशानी हो रही थी। वहीं चलने-फिरने में सीने में दर्द हो रहा था। जब रिम्स में उनका टेस्ट किया गया तो डॉक्टरों ने पाया कि उन्हें स्टेंट लगाना होगा। उसके बाद मरीज को चार स्टेंट लगाए गए, जिससे कि आर्टरी को दुरुस्त किया गया।

कार्डियोलॉजी में इंफ्रास्ट्रक्चर को और बढ़ाने की जरूरत है। कैथलैब के साथ मैनपावर भी जरूरी है। जब शुरुआत हुई थी तो मरीज कम थे। अब तो मरीज बढ़ने के साथ संसाधने बढ़ाना चाहिए। साथ ही जितने भी मेडिकल कॉलेज खुले है वहां भी कार्डियोलॉजी की शुरुआत की जाए तो बेहतर होगा।

-डॉ हेमंत नारायण, एचओडी, कार्डियोलॉजी, रिम्स