रांची(ब्यूरो)। परमेश्वर के लिए हर व्यक्ति मायने रखता है। चाहे वह सभ्य, दुष्ट या पतित ही क्यों न हो। सिर्फ परमेश्वर ही एक आत्मा को नरक से बचा सकते हैं। इसकी बानगी हम संत पॉल्स के जीवन से पाते हैं, जो अपने हृदय परिवर्तन के पूर्व मसीहियों को निर्दयता के साथ मार डालने वाले थे। लेकिन यीशु द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद वह मसीह के लिए एक विनम्र और सामर्थी गवाह बन गए। यह संदेश पेरिश पुरोहित रेव्ह डेविड ने 25 जनवरी को संत पॉल्स दिवस पर आयोजित प्रभु भोज सह धन्यवादी आराधना में दी। बहुबाजार में किया गया था।

संत पॉल बनने की दी जानकारी

इस दौरान रेव्ह डेविड ने प्रेरित पॉल के शाउल से संत पॉल बनने और मसीही विश्वास आधार पर सुसमाचार संदेश लिखने और उनके शहीद होने तक के विवरण पर विस्तार से चर्चा की। इसके अंतर्गत परमेश्वर के राज्य के लिए एक मसीही के समर्पण पर विशेष रूप से चर्चा की और बताया कि पेरित पॉल जीवन से हम परमेश्वर के लिए स्वयं के समर्पण को सीख सकते हैं। इसके पूर्व आराधना विधि की शुरुआत रेव्ह जे भुईंया के ओपनिंग प्रेयर से हुई। आराधना विधि में रेव्ह एस भुईंया, रेव्ह ए बारला, रेव्ह एम ओरेया, रेव्ह वी कुजूर सहित रांची पेरिश के पुरोहित गण सहित संत पॉल्स कॉलेज के प्राचार्य डॉ अनुज कुमार तिग्गा, रेव्ह पीटर बारला सहित संत पॉल्स उच्च व मध्य विद्यालय के प्राचार्य, शिक्षकगण और शिक्षेकेत्तर कर्मचारी और कलीसिया के लोग भी शामिल हुए।

शोभायात्रा निकाली

कार्यक्रम के दूसरे भाग में संत पॉल्स नामित शिक्षण संस्थान की ओर से अपने संरक्षक संत के सम्मान में शोभायात्रा का आयोजन किया गया। इसमें रांची पेरिश के पुरोहित गण सहित शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्राएं और शिक्षकगण भी शामिल हुए। शोभायात्रा संत पॉल्स हाई स्कूल से आरंभ होकर मास्टर लाइन, संत पॉल्स मध्य विद्यालय, संत पॉल्स कॉलेज होकर संत पॉल्स महोपासनालय में संपन्न हो गया। इस दौरान धूप धूवन विधि और स स्तुतिगान किए गए।