रांची: 10 जून के बाद से ही बालू की कालाबाजारी तेज हो गई है। ब्लैक में बिक्री हो रही है जिसके कारण बालू खरीदना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। कई लोग नवरात्रि में गृह प्रवेश की योजना बना कर रखे थे लेकिन बालू की बढ़ी कीमतों और स्टाक का टोटा होने के कारण लोगों के आशियाने का सपना पूरा नहीं हो सका। फिलहाल एक डंपर बालू की कीमत जहां मई में नौ से 10 हजार रुपये थी। अब बढ़कर 20 से 22 हजार रुपये हो गयी है। एक ट्रक बालू की कीमत में भी डेढ़ से दो हजार रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है। बालू की कालाबाजारी व अवैध उत्खनन को लेकर बनाया गया टास्क फोर्स जैसे डिफंक्ट हो गया है।

10 जून से 15 अक्टूबर तक रोक

गौरतलब है कि 10 जून से एनजीटी के आदेश पर बालू उत्खनन पर रोक लगते ही रांची समेत अन्य जिलों में भी बालू की कालाबाजारी शुरू हो गयी है। वहीं कई लोग अब भी अवैध तरीके से बालू का उत्खनन कर रहे हैं। एनजीटी के आदेश पर बालू उत्खनन पर 15 अक्तूबर तक रोक लगी हुई थी।

बरसात में दूर नहीं हुई किल्लत

बरसात में बालू की किल्लत न हो इसके लिए राज्य सरकार बालू स्टॉक करने हेतु डीलर लाइसेंस देता है। जिन्हें स्टॉकिस्ट कहा जाता है। ये स्टॉकिस्ट 10 जून तक बालू का स्टॉक रखते जाते हैं। 10 जून के बाद बालू स्टॉकिस्ट के माध्यम से ही बालू मिलता है। मई में जिस बालू की दर 2500 से 3000 रुपये प्रति ट्रक थी अब वही बालू चार हजार से लेकर 4500 रुपये तक हो गया है।

सरकारी दर की परवाह नहीं

झारखंड सरकार द्वारा बालू की जो दर निर्धारित की गई है उसके अनुसार एक सौ सीएफटी की दर 400 रुपये है। एक टर्बो 709 ट्रक में 130 सीएफटी बालू आता है। इसका भाड़ा आदि खर्च जोड़कर दर करीब 2200 से 2500 रुपये तक ही आती है। जबकि आज की तिथि में इस दर पर कहीं भी बालू की आपूर्ति नहीं हो रही है। एक बालू कारोबारी ने बताया कि दर बढ़ने का कारण है कि स्टॉकिस्ट द्वारा बालू की क्राइसिस उत्पन्न कर दी गई है।

सप्लाई रोक बढ़ा रहे रेट

मांग के अनुरूप बालू की आपूर्ति नहीं हो रही है। इस कारण कालाबाजारी बढ़ गयी है। हाइवा में भी कम बालू की आपूर्ति की जा रही है। चालान कम काटा जा रहा है। गौरतलब है कि सरकार द्वारा बालू स्टाक करने के लिए लाइसेंस दिया जाता है लेकिन इसी लाइसेंस का फायदा उठाकर बालू स्टॉकिस्ट माल की कमी बता रेट बढ़ा देते हैं।

नहीं है बालू की कमी

प्रदेश में बालू की कमी नहीं है, बावजूद कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। पिछले दो महीने में 25 से 30 फीसद तक कीमतें बढ़ी हैं और इस कारण आम लोगों की जेब पर बोझ बढ़ता ही जा रहा है। नदियों से बालू निकलना बंद होने के कारण पहले से स्टॉक बालू ही लोगों को उपलब्ध कराया जाना था। पहले से बालू की उपलब्धता कम नहीं थी इसके बावजूद कारोबारी फर्जी कमी बताकर कीमतें बढ़ा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो खान विभाग प्रदेश में बालू बिक्री की नीति बदलने की तैयारियों में है। झारखंड राज्य खनिज विकास निगम को इस दौरान अपनी व्यवस्था दुरुस्त कर यह साबित करना होगा कि प्रदेश में बालू बिक्री से संबंधित व्यवस्था को चलाने में सक्षम है।

प्राइवेट प्लेयर्स का खेल

बालू खनन पर रोक के पूर्व निगम के पास 55 लाख सीएफटी बालू का स्टॉक था और निजी ऑपरेटरों के पास लगभग साढ़े छह करोड़ सीएफटी बालू। इसके बाद इसी स्टॉक से बालू की बिक्री हो रही है लेकिन स्टॉक में बहुत कमी नहीं आई है। बालू को लेकर सरकार ने कई घाटों पर टेंडर नहीं किया है। टेंडर कर दिया जाए तो व्यापक पैमाने पर बालू उपलब्ध हो जाएगा। ऐसा होने पर बालू की कमी का सवाल ही नहीं उठता। ऐसे भी वर्तमान में निगम से कहीं अधिक बालू घाट प्राइवेट पार्टियों के पास है। विभागीय सूत्रों की मानें तो बालू बिक्री की खामियों से सरकार त्रस्त है और इसे दूर करने का निर्देश दिया जा चुका है। इसके तहत नीति में व्यापक बदलाव हो सकता है और इस पर कैबिनेट से भी अनुमति ली जाएगी।

व्यवसायियों ने जताया था विरोध

राज्य में बालू की कमी के कारण कई बड़े निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। कई बड़ी परियोजनाओं पर ग्रहण लग गया है। इसे देखते हुए झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, क्रेडाई, बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, बालू ट्रक एसोसिएशन व बालू श्रमिक संघ ने भी जुलाई माह में ही विरोध जताया था। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने बताया कि खनन एवं भूतत्व विभाग ने बालू की ढुलाई केवल ट्रैक्टर से करने का निर्देश दिया। इससे बालू की कीमत में अप्रत्याशित तौर पर वृद्धि हो गयी जिनके कारण निर्माण कार्य ठप हो गए। बिल्डरों के करोड़ों का प्रोजेक्ट फंस गया है।

मैंने नवरात्र में गृहप्रवेश करने का सोचा था लेकिन बालू की किल्लत और बढ़ी हुई कीमत के कारण घर पूरा ही ना हो सका। आज भी बालू की काफी कमी है।

-संजीव

बालू की कमी के कारण हमारे कई प्रोजेक्ट फंस गए हैं। सप्लायर अनाप-शनाप रेट में बालू देना चाह रहे हैं। ऐसे में भारी समस्या हो रही है।

धीरज सिन्हा, बिल्डर